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अगर आप भी कराना चाहते हैं Loan Restructuring तो इन बातों का रखना होगा ध्यान, नहीं तो हो सकता है नुकसान
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स्टेट बैंक ने लॉन्च किया ऑनलाइन पोर्टल
कर्जदारों को लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा देने के लिए हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI) ने एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है। इसके जरिए कर्जदार होम लोन, एजुकेशन लोन, ऑटोमोबाइल लोन या पर्सनल लोन के रिस्ट्रक्चरिंग विकल्प को अपना सकते हैं। लेकिन इसके कुछ ऐसे पहलू हैं, जिन्हें ध्यान में नहीं रखा जाए तो आगे चल कर वित्तीय नुकसान हो सकता है।
(फाइल फोटो)
किसे मिल सकती है लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा किसे मिल सकती है। यह जानने के साथ-साथ इसका भी पता करना भी जरूरी होगा कि आप अपने कर्ज के रिपेमेंट को कितने वक्त के लिए टाल सकते हैं। उस पर एक्स्ट्रा क्या लागत आएगी। रिकैलकुलेटेड EMI अमाउंट, लोन चुकाने की अवधि और अनुमानित ब्याज कितना होगा।
(फाइल फोटो)
क्या कोविड से आपकी इनकम प्रभावित हुई
लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा हासिल करने के लिए यह दिखाने की जरूरत होगी कि आपकी आय कोविड महामारी से प्रभावित हुई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्मचारियों को सैलरी स्लिप या अकाउंट स्टेटमेंट दिखाना होगा, जिससे लॉकडाउन के दौरान सैलरी में कटौती, सस्पेंशन या जॉब लॉस को साबित किया जा सके। वहीं, सेल्फ इम्प्लॉइड कर्जदारों को एक डिक्लेरेशन देना होगा, जो लॉकडाउन में कारोबारी गतिविधि बंद होने या कम होने को दिखाता हो। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सिर्फ वही लोन रिस्ट्रक्चर किए जाएंगे, जो 1 मार्च 2020 तक बैंक की बुक्स में मौजूद थे।
(फाइल फोटो
किस तरह के लोन पर मिलेगी रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा केवल हाउसिंग, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन (कमर्शियल इस्तेमाल से अलग) और पर्सनल लोन्स पर उपलब्ध है। लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए 24 दिसंबर 2020 तक अप्लाई किया जा सकता है। लोन का स्टैंडर्ड लोन होना जरूरी है और डिफॉल्ट 1 मार्च 2020 तक 30 दिन से ज्यादा का नहीं होना चाहिए।
(फाइल फोटो)
कितने समय तक के लिए मिल सकती है सुविधा
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्जदारों को 2 साल तक की अवधि के मोरेटोरियम या किस्तों की रिशेड्यूलिंग की पेशकश की जा सकती है। लोन चुकाने की अवधि में विस्तार मोरेटोरियम की अवधि के बराबर, यानी 2 साल तक का रहेगा।
(फाइल फोटो)
इस सुविधा के लिए भरना होगा ज्यादा ब्याज
मोरेटोरियम और रिस्ट्रक्चरिंग प्लान लेने का मतलब यह नहीं है कि आपको कर्ज के रिपेमेंट में छूट मिल गई है। इन दोनों ऑप्शन में ब्याज EMI डिफरमेंट यानी टाली गई EMI अवधि के दौरान भी लगेगा। एसबीआई का कहना है कि अगर कर्जदार लोन मोरेटोरियम चुनते हैं तो उन्हें लोन की बची हुई अवधि के लिए मौजूदा प्राइसिंग के ऊपर 0.35 फीसदी का अतिरिक्त ब्याज देना होगा। यह बैंक द्वारा किए जाने वाले एक्स्ट्रा प्रोविजन्स की लागत की भरपाई के लिए है। इस अतिरिक्त ब्याज से ग्राहक को पहले की तुलना में ज्यादा ब्याज का भुगतान करना होगा। इसलिए कर्जदारों के लिए यह जान लेना जरूरी है कि रिस्ट्रक्चरिंग प्लान कैसे उनके लोन के बोझ पर असर डालेगा।
क्या होगा बेहतर
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर लोन के रिपेमेंट करने में ज्यादा परेशानी नहीं हो तो हर हाल में यह कोशिश करें कि कर्ज चुका दें। इससे आगे ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा। जब लोन समय पर चुकाने का कोई जरिया नहीं रह गया हो और दूसरा कोई ऑप्शन नहीं मिल रहा हो, तभी लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा लें।
(फाइल फोटो)