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भारत के टॉप 5 स्मार्टफोन ब्रांड में 4 चीनी, PUBG भी ड्रैगन का; कंपनियों और ऐप की बड़ी लिस्ट
बिजनेस डेस्क। ग्लोबल लीडर बनने की रेस में दौड़ रहे चीन को लद्दाख में विवाद और झड़प में भारतीय जवानों की शहादत की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। भारत में चीन और उसकी कंपनियों, उत्पादों को लेकर भयंकर आक्रोश नजर आ रहा है। हर तरह से बहिष्कार की मजबूत होती मांग चीन की रेस को कमजोर भी कर सकता है। 2019 के दौरान नॉमिनल GDP साइज के मामले में 14.14 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। चीनी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा टेलिकॉम कम्पोनेंट, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रानिक गुड्स और गैजेट के निर्यात से आता है। इस लिहाज से भारत चीन के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है।
| Published : Jun 18 2020, 05:29 PM IST / Updated: Jun 18 2020, 05:42 PM IST
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बहिष्कार की मांग के बीच कैसे और कितने समय में भारत चीन के कारोबारी 'चंगुल' से बाहर निकल पाएगा, इसका पता आने वाले दिनों में ही चलेगा। लेकिन ऊपर बताए गए निर्यात के अलावा कई और बड़े सेक्टर्स में चीन पर भारत निर्भर है। FICCI के मुताबिक भारत के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में चीन का 40% निवेश है। जबकि मेटालुर्जिकल इंडस्ट्री में भी 17% तक निवेश है। भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में चीन का 70 प्रतिशत कब्जा है।
भारत ने बेचा कम खरीदा ज्यादा
हालांकि चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार 2017-18 के मुक़ाबले 2018-19 में नीचे गिरा है जो 89.71 बिलियन डॉलर के मुक़ाबले 2018-19 में 87.07 अमेरिकी डॉलर था। 2018-19 में भारत ने 70.32 बिलियन डॉलर चीन से आयात किया जबकि इसी अवधि में हमारा निर्यात महज 16.75 डॉलर है। मौजूदा तनाव के बाद दोनों देशों का द्विपक्षीय कारोबार और नीचे जा सकता है।
किन चीनी कंपनियों का स्मार्टफोन खरीदते हैं आप
भारत में नोकिया और सैमसंग के कमजोर होने के बाद चीनी कंपनियों ने भारत के स्मार्टफोन बाजार पर लगभग कब्जा जमा लिया। 70 प्रतिशत कारोबार चीनी कंपनियों के हाथ में हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि भारत के टॉप 5 स्मार्टफोन ब्रांड में 4 चीनी हैं। जियोमी की भारत में 7 फैक्ट्रियां हैं। कंपनी भारत में अपना रिटेल प्रजेन्स बढ़ाने के लिए निवेश को 500 मिलियन डॉलर तक बढ़ाने के बारे में सोच रही है।
ओपो, विवो, और वन प्लस की भी यूपी में दो फैक्ट्रियां हैं। जल्द ही तीसरी खोलने पर विचार है। स्मार्टफोन और लैपटॉप बनाने वाली लेनेवो भी चीनी कंपनी है। फोटो में दिख रही बड़ी चीनी कंपनियों के अलावा टेकनो, जीफाइव, मेइजू, लीइको जैसी और भी कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं।
पबजी भी चीनी ऐप
चीनी दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनियों में आलीबाबा, टेनसेंट होल्डिंग, ZTE और बाइटडांस का भारत में तगड़ा कारोबारी बेस है। अलीबाब ग्रुप ईकॉमर्स के अलावा भारत के न्यूज एग्रीगेटर बिजनेस में भी है। यूसी न्यूज कई भारतीय भाषाओं में एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म है। जबकि सोशल प्लेटफॉर्म हेलो और सोशल-एंटरटेनमेंट प्लेटफॉर्म टिकटॉक बाइटडांस का वेंचर है। पबजी, टेनसेंट होल्डिंग का गेमिंग ऐप है। इसके अलावा कई दर्जन चाइनीज ऐप और सॉफ्टवेयर भारत में इस्तेमाल होते हैं।
अन्य सेक्टर में काम करती हैं ये चीनी कंपनियां
ऊपर बताई कंपनियों के अलावा निर्माण, ऑटोमोबाइल, स्टील और दूसरे सेक्टर में भी कई चीनी कंपनियां भारत में काम करती हैं। इनमें हैं चाइना डोंगफैंग इंटरनेशनल, बोशन आइरन एंड स्टील लिमिटेड, चोंगकिंग लिफन इंडस्ट्री और डोंगफैंग इलेक्ट्रिक।
पढ़ते-पढ़ते यह भी जान लीजिए कि मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो दुनिया की एकमात्र ऐसी टेलिकॉम कंपनी है जिसमें किसी भी चाइनीज कम्पोनेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है। खुद अंबानी ने डोनाल्ड ट्रम्प को ये जानकारी दी थी।