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12 साल पहले ऐसी थी अनिल अंबानी की साख; इस कंपनी का आईपीओ लॉन्च किया, कुछ ही सेकेंड में बिक गए सारे
बिजनेस डेस्क। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी के कारोबारी साम्राज्य का जहां दिन दूनी रात चौगुनी गति से विस्तार हो रहा है, वहीं उनके छोटे भाई अनिल अंबानी की हालत लगातार खराब होती जा रही है। रिलायंस ग्रुप और उससे जुड़ी कई कंपनियों के प्रमुख अनिल अंबानी भारी कर्ज में डूबे हुए हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन की एक अदालत ने अनिल अंबानी को चीन के बैंकों को करीब 5500 करोड़ रुपए भुगतान करने का आदेश दिया था, वहीं भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अनिल अंबानी से 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम की वसूली के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में आवेदन दिया है। इससे पहले स्वीडन की कंपनी एरिक्सन से जुड़े कर्ज के एक मामले में अनिल अंबानी के सामने जेल जाने की नौबत आ गई थी, लेकिन तब मुकेश अंबानी ने 550 करोड़ रुपए की मदद देकर उन्हें जेल जाने से बचाया था। अनिल अंबानी आज अपनी कारोबारी जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन आज से 12 साल पहले 2008 में जब उनकी कंपनी रिलायंस पावर (Reliance Power) का आईपीओ लॉन्च किया गया था, तो उसने इंडियन कैपिटल मार्केट में एक इतिहास बना दिया था। एक मिनट से कम समय में कंपनी के सारे आईपीओ बिक गए थे। ऐसी थी अनिल अंबानी की साख।
| Published : Jul 14 2020, 11:05 AM IST / Updated: Jul 14 2020, 11:24 AM IST
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बंटवारे के समय अनिल अंबानी थे आगे
2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद कुछ समय तक तो मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने साथ मिल कर काम किया, लेकिन बाद उनमें बिजनेस के बंटवारे के लिए संघर्ष शुरू हो गया। साल 2005 में देश के सबसे बड़े औद्योगिक गराने रिलायंस में दोनों भाइयों का बंटवारा हो गया। इसके पहले ही अनिल अंबानी ने एक पावर जनरेशन प्रोजेक्ट की घोषणा कर दी थी। बंटवारे के बाद अनिल अंबानी संपत्ति के मामले में बड़े भाई मुकेश अंबानी से आगे थे। फोर्ब्स की 2008 की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में अनिल अंबानी का नाम छठे स्थान पर था।
क्या आया अनिल अंबानी के हिस्से में
बंटवारे के बाद अनिल अंबानी ने अपना अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप बना लिया। इसमें रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नैचुरल रिसोर्सेस और आरकॉम प्रमुख थीं। वहीं, मुकेश अंबानी के हिस्से में पेट्रोकेमिकल के मुख्य कारोबार, इंडियन पेट्रोकेमिकल कॉर्प लिमिटेड, रिलांयस पेट्रेलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आई थीं।
मोबाइल फोन की दुनिया में लाई थी क्रांति
साल 2002 के आसपास जब मोबाइल फोन लग्जरी में गिना जाता था, तब अनिल अंबानी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (तब रिलायंस इन्फोटेक) ने सिर्फ 500 रुपए में लोगों को मोबाइल की सुविधा देकर इस क्षेत्र में एक क्रांति ला दी थी। 'कर लो दुनिया मुट्ठी में' के स्लोगन के साथ उन्होंने रिलायंस को इस क्षेत्र में लीडर बना दिया था। इंडस्ट्री में जब कॉम्पिटीशन बढ़ा तो उन्होंने सस्ती कॉल दरें और अट्रैक्टिव ऑफर्स देकर नए बिजनेस मॉडल की शुरुआत की, जिसे बाद में दूसरी कंपनियों ने अपनाया।
अनिल अंबानी की फ्लैगशिप कंपनी थी आरकॉम
आरकॉम (RCom) अनिल अंबानी ग्रुप की प्लैगशिप कंपनी थी। देश में मोबाइल यूजर्स की संख्या बढ़ाने और घर-घर तक मोबाइल पहुंचाने में इस कंपनी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। इससे अनिल अंबानी को भारी मुनाफा हुआ, लेकिन जानकारों के मुताबिक गलत एक्सपेंशन प्लान की वजह से कंपनी को घाटा होने लगा। कंपनी पर कर्ज बढ़ता गया, जिसे चुका पाने में वह असमर्थ हो गई। बाद में टेलिकॉम इंडस्ट्री में रिलायंस जियो के आने के बाद प्राइस वॉर शुरू हो गया और कैश की कमी की वजह से आरकॉम इस मुकाबले में टिक नहीं पाई।
2018 में बिजनेस से बाहर हो गई कंपनी
2010 तक टेलिकॉम इंडस्ट्री में आरकॉम का शेयर 17 फीसदी था और यह इस क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी। कंपनी के सब्सक्राइबर्स की संख्या भी अच्छी-खासी थी। लेकिन कंपनी के विस्तार के लिए कर्ज बढ़ता गया, जो 2010 में 25 हजार करोड़ से 2018 में 45 हजार करोड़ हो गया। रिलायंस जियो आने के बाद टेलिकॉम इंडस्ट्री में प्राइस वॉर के साथ डाटा वॉर चला, जिसमें कैश की किल्लत के चलते आरकॉम का टिके रह पाना मुश्किल हो गया। इसी बीच एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन जैसी कंपनियां भी इस कॉम्पिटीशन में आ गईं। आरकॉम इसमें टिक नहीं पाई और सितंबर, 2018 में इस बिजनेस को अलविदा कह दिया।
अब दिवालिया हो चुकी है आरकॉम
एक समय अनिल अंबनी के रिलायंस ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी रही आरकॉम अब दिवालिया हो चुकी है। आरकॉम पर करीब 46 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया में है। ऐसी चर्चा है कि इसे UVARCL और रिलायंस जियो खरीद सकती है।
अनिल अंबानी को कर्जमुक्त होने का है भरोसा
बहरहाल, अनिल अंबानी को अभी भी यह भरोसा है कि वे मौजूदा संकट के दौर से निकल जाएंगे और उनकी कंपनी कर्जमुक्त हो जाएगी। रिलायंस पावर की सालाना बैठक (एजीएम) में अनिल अंबानी ले शेयरहोल्डर्स को यह भरोसा दिलाया था कि वे मुश्किल हालात से निकल जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही चीनी कर्जदाताओं का मामला भी सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि जो कर्ज लिया गया था, वह पर्सनल लोन नहीं है। अनिल अंबानी ने उसे कॉरपोरेट लोन बताया।
कंपनी के कर्जमुक्त होने का दिया भरोसा
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज तय लक्ष्य से पहले पूरी तरह कर्जमुक्त कंपनी बन गई है। ऑनलाइन हुई एजीएम में अनिल अंबानी ने शेयरहोल्डर्स को यह भरोसा दिलाया कि 2020-2021 वित्तीय वर्ष में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कोई कर्ज नहीं रहेगा। अनिल अंबानी ने कहा कि प्रमोटर्स की योजना कंपनी में लागू रेग्युलेटर गाइडलाइन के तहत शेयर होल्डिंग्स बढ़ाने की है।
2018 में मिले थे 18,800 करोड़
रिलायंस इन्फ्रा ने 2018 में मुंबई स्थित ऊर्जा कारोबार अडानी ट्रांसमिशन को करीब 18,800 करोड़ रुपए में बेच दिया था। इससे उसके कर्ज में लगभग 7,500 करोड़ रुपए की कमी हुई। कंपनी दिल्ली-आगरा टोल रोड को सिंगापुर स्थित क्यूब हाईवे एंड इंफ्रा को 3,600 करोड़ रुपए में बेचने की प्रक्रिया में है। अनिल अंबानी के मुताबिक आरइंफ्रा को लगभग 60,000 करोड़ पाने हैं, जो विनियामक और मध्यस्थता मामलों में 5-10 साल से अटके हुए हैं।
कितनी है अनिल अंबानी की पूंजी
अनिल अंबानी ने एजीएम में बताया था कि कंपनी के पास 65 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी, 11000 करोड़ से ज्यादा नेटवर्थ और 5000 करोड़ से ज्यादा कैशफ्लो है। अब देखना यह है कि अनिल अंबानी कंपनी को किस तरह कर्जमुक्त बनाते हैं और डूब रहे बिजनेस एम्पायर को फिर से कैसे खड़ा करते हैं।