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जरूरी नहीं कि IAS नहीं बन पाए, तो फ्यूचर खराब हो गया, इनसे सीखिए कैसे बदल दी अपनी जिंदगी
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मनोज बताते हैं कि उनका सपना था कि वे आईएएस बनें। 1994-95 में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। वहां कई साल तैयारी की, लेकिन सफल नहीं हो सके। इसके बाद मनोज को सामाजिक कामों में दिलचस्पी जागी। वे आरटीआई कार्यकर्ता बन गए। 2006 में अरविंद केजरीवाल की टीम से जुड़ गए। मनोज कहते हैं कि जिंदगी में सबकुछ करने के बाद अब वे सिर्फ किसानी करके खुश हैं।
मनोज पुरानी यादें ताजा करते हैं वे अन्ना आंदोलन से भी जुड़े रहे। जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो उसके साथ भी रहे। आप में कई पदों पर रहने के बावजूद उनका राजनीति में मन नहीं लगता था। आखिरकार 2016 में उन्होंने राजनीति को गुडबॉय कह दिया। तब यह नहीं मालूम था कि आगे क्या करना है।
मनोज बताते हैं कि उनके पिता प्रिंसिपल से रिटायर्ड हुए। एक भाई दिल्ली में लेक्चरर है। दूसरा भाई बागपत के बड़ौत में एक स्कूल में प्रिंसिपल। यानी सब एजुकेशन विभाग में। किसी का खेती-किसानी से कोई मतलब नहीं था। शुरुआत में उनकी खुद भी खेती-किसानी में कोई रुचि नहीं थी। लेकिन एक दिन किसी दोस्त ने उन्हें किसानों के वाट्सऐप ग्रुप से जोड़ दिया। यही से खेती-किसानी में रुचि पैदा हो गई।
मनोज कहते हैं कि जिंदगी कब नये रास्ते पर चल पड़े, कोई नहीं जानता। वाट्सऐप ग्रुप पर खेती-किसानी से संबंधित वीडियो और नई-नई जानकारियां आती थीं। इन्हें देख-देखकर उन्हें खेती-किसानी में दिलचस्पी बढ़ती गई। फिर मनोज ने खेती-किसानी के तरीके सीखे। यह और बात है कि शुरुआत में जब मनोज ने गन्ना उगाया, तो काफी परेशानी हुई। चीनी मिलों के चक्कर काटने पड़े, लेकिन बाद में सही रास्ता मिल गया।
मनोज ने गन्ने से गुड़ बनाकर बेचने का प्लान बनाया। उन्होंने ऑर्गेनिक गुड़ बनाना शुरू किया। यह 80 रुपए प्रति किलो बिकता है। मनोज ने महज 10 हजार रुपए में गुड़ बनाने का सेटअप तैयार किया है। मनोज आज यूपी के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तराखंड सहित 6-7 राज्यों में गुड़ भेजते हैं। आज मनोज सालभर में आराम से करीब 6 लाख रुपए सिर्फ गुड़ से कमा लेते हैं।