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16 साल का था जब पिता को खो दिया; मां बहन का पेट पालते की पढ़ाई, फिर ऐसे बना IPS अफसर
नई दिल्ली. हर साल देश में पुलिस अफसर बनने या आईएएस अफसर बनने के लिए छात्रों की एक पूरी फौज तैयार होती है। देश में यूपीएसससी की तैयारी करते लाखों स्टूडेंट्स अफसर बनने का सपना लेकर दिन रात पढ़ाई करते हैं। पर बहुत बार पुलिसवालों के बच्चों पर भी पुलिस में ही जाने का प्रेशर बन जाता है। पिता को आदर्श मानने वाला एक लड़का अपनी जिंदगी में कुछ और बनने के सपने देखता था। लेकिन एक दिन दिल्ली में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे उसके पिता का साया ही उसके सिर से उठ गया। 50 से ज्यादा एनकाउंटर करने वाले दिल्ली के सुपरकॉप राजबीर सिंह की साल 2008 में एक मुठभेड़ में मौत हो गई थी। उसके पिता की बहादुरी के किस्से हर जगह छाए रहते थे, ऐसे में पिता को आदर्शन मान उसने भी पुलिसवाला बनने की ठान ली। IPS सक्सेज स्टोरी में हम आपको रोहित राजबीर सिंह के संघर्ष और चुनौतियों की कहानी सुना रहे हैं।
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ये कहानी है देश के टॉप एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में शुमार रहे क्राइम ब्रांच के एसीपी राजबीर सिंह के बेटे रोहित सिंह की। रोहित ने आईपीएस बन न सिर्फ पिता का नाम रोशन किया बल्कि असफल होने पर हौसले की उड़ान से लोगों को प्रेरित भी किया है। रोहित ने अपने संघर्ष से दूसरों बच्चों को मुश्किलों में भी हिम्मत रखने का जज्बा दिया। पिता की जांबाजी के किस्से सुनकर रोहित ने भी पुलिस सेवा में जाने की ठान ली थी।
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रोहित के पिता पुलिस में थे, ऐसे में पिता की बहादुरी के किस्से हर जगह छाए रहते थे। रोहित के पिता दिल्ली पुलिस में भर्ती होकर एसआई सिर्फ 13 साल के भीतर एसीपी बन गए थे। उन्होंने अपनी पुलिस सर्विस के दौरान 50 से अधिक एनकाउंटर किए थे। 24 मार्च 2008 को पैसों के लेन-देन को लेकर गुड़गांव में प्रॉपर्टी डीलर ने राजबीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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वहीं एक तरफ उनके मन के भीतर पिता की तरह पुलिस में जाने की इच्छा जागने लगी। वो सपना देखने लगे कि मैं भी एक दिन आईपीएस अफसर बन पिता के नक्शे कदम पर चलूं। पर रोहित के पैरों में परिवार की बेड़ियां थीं। मां और बहन का खर्च उठाने के लिए उनका नौकरी करना मजबूरी था।
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सपने और फर्ज के बीच हो रही लड़ाई में फंसे रोहित ने सोचा एक बार मां से बात कर लूं। रोहित थक हारकर अपनी मां के पास गए और दो साल का समय मांग लिया। दो साल मन लगाकर पढ़ाई करूंगा और आईपीएस बनने का अपना सपना पूरा करूंगा। तब तक आप लोग जैसे-तैसे खर्च चला लो।
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उनकी मां ने बेटे को सपोर्ट किया रोहित ने बिना कोचिंग दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ाई शुरू कर दी। उन्होंने एक बार एग्जाम दिया लेकिन वो फेल हो गए। रोहित ने उम्मीद छोड़ दी। तब उनकी मां ने एक और बार कोशिश करने को कहा। मां के कहने पर यूपीएससी को दोबारा देने के लिए उन्होंने हौसला बनाए रखा।
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उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। देश की सबसे कठिनतम माने जाने वाले यूपीएससी एग्जाम के लिए रोहित राजबीर सिंह ने हर रोज 17-18 घंटों तक ही पढ़ाई की। फिर साल 2015 में रोहित इस परीक्षा में सफल हो गए।
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हैदराबाद में ट्रेनिंग के बाद रोहित राजबीर सिंह को दिल्ली कैडर मिला। मौजूदा समय में रोहित पटेल नगर के एसीपी हैं और अब तक वे मर्डर, लूट जैसे गंभीर क्राइम के कई मामले सुलझा चुके हैं।दिल्ली में महिलाओं से जुड़े अपराधों पर लगाम लगाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।
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रोहित ने एक शो में बातचीत के दौरान बताया कि, वो छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देते हैं। अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सुनना पसंद करते हैं। वो गरीब, बुजुर्ग और महिलाओं की किसी भी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
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नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के सीमापुरी इलाके में हुई हिंसा में एडिशनल डीसीपी रहे रोहित राजबीर घायल भी हुए थे। भीड़ ने उनपर पत्थर बरसाए थे। रोहित के आंख और सिर में चोटें आई थीं। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
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यूपीएससी की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को रोहित सलाह देते हैं कि, अपने साथ एक मजबूत इरादा लेकर ही सिविल सेवा में जाना चाहिए, आप समाज सेवा के लिए कुछ नया आइडिया लेकर जाएंगे तभी इस क्षेत्र में चमकेंगे और अपने काम से संतुष्ट होंगे।
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