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गाड़ी, बंगले और रुतबे के लिए नहीं देशसेवा के लिए आया हूं अफसर बनके...22 साल के IAS वैभव के संघर्ष की कहानी
करियर डेस्क. Success Story Of IAS Topper Vaibhav Gondane: यूपीएससी का चार्म युवाओं में बहुत ज्यादा है। देश के कोने-कोने में अफसर बनने और उसके रुतबे को लेकर लोग जुनून में रहते हैं। पर सिविल सर्विस चुनने का असली मतलब देशसेवा और समाज सेवा ही है। इस बात को दिमाग में रखकर और पूरे जुनून के साथ मात्र 22 साल की उम्र में एक लड़का अफसर बना। महाराष्ट्र के वैभव गोंडाने उन गिने-चुने कैंडिडेट्स में से आते हैं, जिनकी प्लानिंग और स्ट्रेटजी सटीक बैठती है और जिनका पहली बार में ही चयन हो जाता है। वैभव ने पहली बार में ही यूपीएसससी क्लियर किया और अफसर बन गए।
आईएएस सक्सेज स्टोरी में हम आपको वैभव की सफलता की कहानी के साथ उनके टिप्स भी बता रहे हैं-
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वैभव ने मात्र 22 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा अपने पहले ही अटेम्पट में पास की। सफलता के लिए जरूरी दूसरे कारकों के अलावा वैभव स्ट्रांगली मानते हैं कि इस क्षेत्र में जाने के पीछे का आपका मोटिवेशन क्या है, यह बहुत महत्व रखता है। अगर आप सच में देश के लिए, समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो यह क्षेत्र आपके लिए बेस्ट है लेकिन अगर केवल आईएएस पद के रुतबे, गाड़ी, बंगले के लिए इस क्षेत्र में आना चाहेंगे तो ऐसा मोटिवेशन बहुत दिन नहीं चलता।
ऐसे कारणों से मोटिवेट हो कर आप तीन या चार महीने तो पढ़ लेंगे पर यूपीएससी परीक्षा के लिए जिस तरह की तैयारी चाहिए वह आप ऐसी ड्राइविंग फोर्स के साथ नहीं कर सकते। वैभव खुद भी देश और समाज सेवा के लिए सिविल सर्विस में आए हैं। कुल मिलाकर वैभव के अनुसार सफलता पाने के लिए मोटिव का पवित्र होना बहुत जरूरी है।
50-50 के रेशियो में करें तैयारी –
सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के संबंध में अपना अनुभव साझा करते हुए वैभव कहते हैं कि वे केवल रीडिंग को महत्व नहीं देते थे। उनके हिसाब से रीडिंग को 50 परसेंट वेटेज देना चाहिए और बाकी 50 परसेंट के अंतर्गत बाकी चीजें जैसे आंसर राइटिंग, मॉक टेस्ट, नोट्स मेकिंग, न्यूज पेपर रीडिंग आदि को शामिल करना चाहिए।
वैभव मानते हैं कि केवल किताबों में घुसे रहने से ही इस परीक्षा में सफलता नहीं मिलती। उसके अलावा भी आसपास की चीजों पर ध्यान देना जरूरी होता है। यहां केवल ज्ञान की परीक्षा नहीं होती बल्कि उस ज्ञान को कैसे अप्लाई करना है यह भी सीखना जरूरी है।
गिनी-चुनी किताबें ही सेलेक्ट करें –
दूसरे कैंडिडेट्स की तरह वैभव का भी मानना है कि अपने रिर्सोस लिमिटेड रखें. एक ही विषय की बहुत सारी किताबें इकट्ठा न करें बजाय इसके जरूरी यह है कि जो किताबें हैं उनका ही ठीक से अध्य्यन करें और उन्हें बार-बार रिवाइज करें। रिवीजन की परीक्षा पास करने में अहम भूमिका है।
अक्सर स्टूडेंट्स पढ़ तो बहुत लेते हैं पर याद कुछ नहीं रख पाते। एक बार जब कोर्स पूरा हो जाए तो टेस्ट दें ताकि समझ पाएं की कहां गलती कर रहे हैं और उन गलतियों को कैसे सुधारना है। समय के अंदर पेपर सॉल्व करें और अपने आंसर्स को एनलाइज करें ताकि बेहतर तरीके से उन्हें लिख पाएं।
(Demo Pic)
वैभव की सलाह –
वैभव कहते हैं कि अगर इस परीक्षा को पास करने का विचार भी आपके मन में आया है तो ये मान ले कि आप बहुत हिम्मती हैं। अगला स्टेप है परीक्षा की जरूरत के हिसाब से अपना टाइम-टेबल डिजाइन करना। वे आगे कहते हैं जैसे मैंने कॉलेज के साथ पढ़ाई की थी तो कॉलेज के बाद किसी एक्स्ट्रा एक्टिविटी के लिए मैं वहां नहीं रुकता था क्योंकि मेरी प्राथमिकता दूसरी थी।
ठीक इसी तरह अगर आप भी अपनी प्राथमिकताएं तय कर चुके हैं तो उनके अनुसार ही व्यवहार करें। तैयारी के साथ अन्य कार्य नहीं हो सकते। अपनी हर क्लास को गंभीरता से पास करें ताकि आपको दोबारा उन्हें न पढ़ना पड़े।
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वैभव ने क्लास दस में ही तय कर लिया था कि उन्हें सिविल की परीक्षा देनी है इसलिए वे तब से ही अपनी पढ़ाई इसी हिसाब से कर रहे थे। वैभव, तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबों को बहुत अहम मानते हैं साथ ही न्यूपेपर पढ़ना भी। ये दोनों काम आप बहुत पहले ही शुरू कर सकते हैं। अंत में वैभव यही सलाह देते हैं कि यूपीएससी को एक परीक्षा की तरह लें इससे ज्यादा नहीं। अगर नहीं भी सफल हुए तो इससे जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। हालांकि इसकी तैयारी आपको खूब निखार देती है।
युवाओं और खासतौर पर यूपीएससी की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को वैभव से प्रेरणा लेनी चाहिए। कैसे पहली कोशिश में भी सही स्ट्रेटजी और इरादों के साथ सफलता पाई जा सकती है।
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