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School reoeping: कोरोना से है बच्चों को बचाना, तो उन्हें स्कूल भेजते समय रखें इन 8 चीजों का ध्यान
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कोविड-19 ने माता-पिता के मन में चिंता और भय पैदा कर दिया है। छोटे बच्चों को कोविड वैक्सीन नहीं लगी है और माता-पिता उन्हें स्कूल भेजने में घबराहट महसूस करते हैं। हालांकि, शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि बच्चों में कोविड 19 का कोई अत्यधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन आप सरकार और स्कूल के दिए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन करें और बिना डर के अपने बच्चों को स्कूल भेंजे।
स्कूल रिओपन होने से पहले माता-पिता को अपने बच्चे की मनःस्थिति को बढ़ाना होगा। रेगुलर क्लासेस शुरू करने से पहले उन्हें क्लास में बैठने के योग्य बनाएं। उन्हें तनावमुक्त, खुश और नई परिस्थितों का सामना करने के लिए तैयार करें। कोविड 19 के प्रकोप के दौरान पैदा हुई अवांछित मानसिक चिंता ने उन पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। तो स्कूलों के फिर से खुलने से बच्चों में मानसिक चिंता दूर हो जाएगी।
स्कूल जाने से पहले जब आप बच्चों का बैग रेडी करें, तो उसमें एक साफ हैंड टॉवल, सैनिटाइजर, हैंड वॉश या पेपर सोप और एक एक्स्ट्रा मास्क जरूर रखें। साथ ही खाने और पीने का सामान अलग रखें। स्कूल जाने से पहले अपने बच्चे को सारी चीजें बता दें कि कौन सी चीज कहां रखी है और कैसे उसका इस्तेमाल उसे कैसे करना है।
जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करें तो बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर नजर रखें। यदि वे चिढ़ या चिंतित महसूस करते हैं तो विशेषज्ञ की राय लें और स्कूल में रिपोर्ट करें। ऐसा उन बच्चों के साथ हो सकता है, जो पहली बार स्कूल जा रहे हो।
पिछले 2 सालों से बच्चे घर में सुरक्षित हैं। लेकिन अब जब स्कूल खुल जाएंगे तो मां-बाप को इस बात की चिंता सता रही है कि कोविड-19 नियमों का पालन सही से हो पाएगा या नहीं। इसके लिए आप पहले से ही अपने बच्चे को ट्रेन्ड करना शुरू कर दें कि स्कूल जाते समय भी वह हाथों को सैनेटाइज करने, सोशल डिस्टेंजिंग करने जैसी चीजों का ध्यान रखें। बच्चों का मन वैसे भी बहुत साफ होता है। अगर हम उन्हें कोई चीज सीखाएं तो उन्हें वह लंबे समय तक याद रहती हैं।
बच्चों के ऊपर स्कूल का प्रेशर डालने से बेहतर होगा कि आप उसे स्कूल के एडवांटेज बताएं, जैसे- स्कूल जाने से उसकी लाइफ में क्या पॉजिटिव चेंज आएंगे, उनके नए दोस्त बनेंगे, टीचर्स से इंटरेक्शन होगा और खेलने के लिए समय मिलेगा आदि।
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स्कूल टॉयलेट से सबसे ज्यादा इंफेक्शन का खतरा होता है। ऐसे में बच्चों को वॉशरूम का इस्तेमाल करने के तरीके सिखाएं कि, टॉयलेट का गेट कोहनी से खोलना है। वेस्टर्न की जगह इंडियन टॉयलेट सीट पर बैठना है और उसके बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना है ताकि जब उस स्कूल में टॉयलेट का इस्तेमाल करें तो किसी प्रकार का संक्रमण उन्हें ना घेर लें।
कोरोना के मामले में कमी जरूर आई है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम मास्क लगाना या हाथों को सैनेटाइज करना छोड़ दें। बच्चों में ये हैबिट डिवेलप करें कि वह क्लास में भी एक दूसरे से प्रॉपर डिस्टेंसिंग रखें और मास्क जरूर लगाएं।
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