सार
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश दिया है। पुतिन ने 'यूक्रेन के विसैन्यीकरण और विमुद्रीकरण( demilitarisation and denazification of Ukraine) के उद्देश्य से विशेष सैन्य अभियान' की घोषणा की है।
वर्ल्ड डेस्क न्यूज. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश दिया है। पुतिन ने 'यूक्रेन के विसैन्यीकरण और विमुद्रीकरण (demilitarisation and denazification of Ukraine) के उद्देश्य से विशेष सैन्य अभियान' की घोषणा की है। एक टेलीविजन संबोधन में पुतिन ने यूक्रेन की सेना से 'अपने हथियार डालने' का आह्वान किया है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि उनके देश को अन्य तरीकों से अपनी रक्षा करने का कोई मौका नहीं छोड़ा गया था। "मैंने एक विशेष सैन्य अभियान चलाने का फैसला किया है।" ऐलान के वक्त पुतिन का लहजा सख्त था। उन्होंने कहा कि यह विवाद उनके जीवन-मरण का है। बाहर से जो कोई भी इसका दखल देगा, उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, जो इतिहास में कभी नहीं भुगते होंगे। सभी जरूरी फैसले ले लिए गए हैं। आशा है कि आपने मुझे सुन लिया होगा। उन्होंने लाल रेखा(यूक्रेन) को पार किया है। हमने स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया है।
अमेरिका ने कहा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है-इस हमले से होने वाली मौतों और तबाही के लिए रूस अकेला जिम्मेदार है। अमेरिका और उसके सहयोगी एकजुट और निर्णायक तरीके से जवाब देंगे। दुनिया इसके लिए रूस को जवाबदेह ठहराएगी।
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नाटो को रूस ने दी धमकी
रूसी सैनिक क्रीमिया के रास्ते यूक्रेन में घुस चुके हैं। बार्डर पर रूस के 2 लाख सैनिक तैनात हैं। रूस के राष्टपति पुतिन ने नाटो को कड़े लहजे में चेताया है कि अगर उसने यूक्रेन का साथ दिया, तो नतीजे भंयकर होंगे। बताया जाता है कि यूक्रेन में विद्रोहियों यानी रूस समर्थकों इलाके में बमबारी होने लगी है। यूनाइटेड नेशन(UN) ने शांति की अपील की है।
तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर दुनिया
तमाम कोशिशें आखिकार विफल रहीं और रूस-यूक्रेन (Russia Ukraine conflict) का तनाव युद्ध में बदल गया है। इस लड़ाई ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध(third world war) के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। रूस को इस संकट के लिए दोषी ठहरा रहा है, तो कोई अमेरिका को। रूसी सेना ने यूक्रेन को चारों तरफ से घेर रखा है। युद्ध टालने के लिए रूस पर दवाब बनाने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी ने रूस पर प्रतिबंध का ऐलान किया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखाई दिया। रूस ने यूक्रेन के दो प्रांतों (लुहांस्क और डोनेट्स्क) को आजाद देश घोषित कर दिया था। ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन(Australian PM Scott Morrison) ने आशंका जताई है कि रूस किसी भी क्षण यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
यह है विवाद की वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही रूस को चेता चुके थे कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।
नाटो क्या है
नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन(नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वॉशिंगटन में किया गया था। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है। इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था। इसमें फ्रांस, बेल्जियम,लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली,नार्वे, पुर्तगाल, अमेरिका, पूर्व यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी और स्पेन शामिल हैं।
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