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तो इसलिए Lata Mangeshkar एक दिन में खा जाती थी 12 मिर्च, खुद बताई थी इसके पीछे की ये अजीबोगरीब वजह
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28 सितंबर, 1929 को इंदौर में एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में जन्मी लता का नाम पहले 'हेमा' था। हालांकि जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने इनका नाम 'लता' रख दिया था। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार सतरंगी पैराशूट गाना गाया था, उसके बाद से वो सिंगिग से दूर हो गई थी।
बता दें कि लता मंगेशकर 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। लता के अलावा उनकी बहनें मीना, आशा, उषा और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। महज 5 साल की उम्र से ही लता ने गाना सीखना शुरू कर दिया था, क्योंकि पिता दीनदयाल रंगमंच के कलाकार थे। लता को संगीत की कला विरासत में मिली थी।
आपको बता दें कि लता जी ने 1942 में फिल्म किटी हसाल के लिए पहला गाना गाया था। लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने गाना कटवा दिया था।
लता मंगेशकर की पहली कमाई महज 25 रुपए था। ये उन्हें पहली बार स्टेज पर गाने गाने के एवज में मिली थी। बता दें कि लता मंगेशकर ने करियर में अलग-अलग भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए थे।
आपको बता दें कि उन्हें कारों का भी काफी शौक था। उन्होंने अपने पहली कार 8000 रुपए में खरीदी थी। ये कार इंदौर से खरीदी थी। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ये कार उन्होंने अपनी मां के नाम से खरीदी थी।
कहा जाता है कि लता जी क्रिकेट देखने का बहुत ज्यादा शोक था। और यहीं वजह है कि लाडर्स में उनकी एक सीट हमेशा बुक रहती थी। और यही वजह है कि ट्वीटर पर सचिन तेंदुलकर को फॉलो करती थी।
बता दें कि लता जी ने लग जा गले, मेरा साया साथ होगा, ऐ मेरे वतन के लोगों, शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है, दिल तो पागल है दिल दीवाना है, कभी खुशी कभी गम, दीदी तेरा दीवाना, मेरे ख्वाबों में जो आए जैसी कई गानों को उन्होंने आवाज दी थी।
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