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Nanda Anniversary: 50 पार करने के बाद की थी सगाई, लेकिन 1 खौफनाक हादसे के कारण नहीं बन पाई सुहागन
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नंदा अपने दौर की बेहद खूबसूरत एक्ट्रेसेस में से एक थीं। उन्होंने पांच साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उस दौरान वो लीड एक्टर की छोटी बहन का किरदार निभाया करती हैं। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी इमेज बदली और फिल्मों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया।
1944 जब वे पांच साल की थीं। एक दिन वो स्कूल से लौटीं तो उनके पिता ने कहा कि कल तैयार रहना। फिल्म के लिए तुम्हारी शूटिंग है। इसके लिए तुम्हारे बाल काटने होंगे। बता दें कि नंदा के पिता विनायक दामोदर कर्नाटकी मराठी फिल्मों के सफल एक्टर और निर्देशक थे। बाल काटने की बात सुनकर नंदा नाराज हो गईं थी।
एक इंटरव्यू में नंदा ने बताया था- मैंने पिता जी से कहा मुझे कोई शूटिंग नहीं करनी। हालांकि, मां के समझाने पर मैं शूटिंग पर जाने को राजी हुईं। वहां मेरे बाल लड़कों की तरह छोटे-छोटे काट दिए गए। इस फिल्म का नाम था मंदिर। फिल्म के इसके निर्देशक नंदा के पिता दामोदर ही थे। फिल्म पूरी होती इससे पहले ही नंदा के पिता का निधन हो गया। घर की आर्थिक हालत बिगड़ने के चलते नंदा के छोटे कंधों पर जिम्मेदारी आ गई। मजबूरी में उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया।
1959 में नंदा ने फिल्म छोटी बहन में बलराज सहानी और रहमान की अंधी बहन का रोल प्ले किया था। उनका किरदार इतना पसंद आया था कि उस दौरान लोगों ने उन्हें सैकड़ों राखियां भेजी थीं। इसी साल राजेंद्र कुमार के साथ उनकी फिल्म धूल का फूल सुपरहिट रही। इस फिल्म ने नंदा को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। बहन के रोल उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे। नंदा एक बार फिर 1960 की फिल्म काला बाजार में देव आनंद की बहन बनीं।
बता दें कि नंदा ने 1961 में आई फिल्म हम दोनों में लीड एक्ट्रेस का रोल प्ले किया। फिल्म हिट रही। इसके बाद उन्हें लीड एक्ट्रेस के रोल ऑफर होने लगे। सबसे ज्यादा 9 फिल्में शशि कपूर के साथ कीं। उन्होंने उनके साथ 1961 में चार दीवारी और 1962 में मेंहदी लगी मेरे हाथ जैसी फिल्में कीं लेकिन शशिकपूर के साथ सुपरहिट फिल्म रही जब जब फूल खिले। इस फिल्म ने नंदा को बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
1972 में आई मनोज कुमार की फिल्म शोर बतौर एक्ट्रेस नंदा की अंतिम हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने मनोज कुमार की पत्नी का रोल निभाया था। इस फिल्म में अपनी छोटी सी भूमिका में नंदा ने दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी थी।
शोर फिल्म में काम करने के बाद अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए नंदा ने फिल्मों में काम करना कम कर दिया। इस दौरान उनकी परिणीता, प्रायश्चित, कौन कातिल, असलियत और नया नशा जैसी फिल्में आईं, लेकिन ये सभी फ्लॉप रहीं। फिल्मों की असफलता को देखते हुए नंदा ने इंडस्ट्री से किनारा कर लिया।
परिवार की जिम्मेदारियां उठाने में उन्हें अपने बारे में सोचने का कभी मौका ही नहीं मिला। डायरेक्टर मनमोहन देसाई से वो बेपनाह मोहब्बत करती थीं। देसाई भी उन्हें चाहते थे। लेकिन बेहद शर्मीली नंदा ने मनमोहन को कभी अपने प्यार का इजहार करने का मौका ही नहीं दिया और उन्होंने शादी कर ली।
मनमोहन की शादी के बाद नंदा गुमनामी के अंधेरों में खो गईं। मनमोहन भी अपनी जिंदगी में बिजी हो गए। लेकिन कुछ समय बाद उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद मनमोहन ने फिर से नंदा के नाम मोहब्बत का पैगाम पहुंचाया। नंदा ने उसे कबूल कर लिया। उस दौरान नंदा 52 साल की हो चुकी थीं। 1992 में 53 साल की नंदा ने उनसे सगाई की। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मनमोहन अपनी लाइलाज बीमारी से काफी परेशान रहते थे और उन्होंने एक दिन आत्महत्या कर ली। इसके बाद नंदा ने किसी से शादी नहीं की।
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