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जब कोख में थीं नेहा कक्कड़ तो मां को नहीं चाहिए था बच्चा, पहुंच गई थी हॉस्पिटल
मुंबई. बॉलीवुड की प्लेबैक सिंगर नेहा कक्कड़ आज 32 साल की हो चुकी हैं। वो टॉप सिंगर्स में से एक हैं। उनके लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। उन्होंने और उनकी फैमिली ने काफी संघर्ष किया है। एक वक्त ऐसा था कि नेहा के परिवार में इतनी मुश्किलें थी कि उनकी मां उन्हें जन्म तक नहीं देना चाहती थीं। अपनी बेटी को खत्म करने के ख्याल से वो हॉस्पिटल भी पहुंच चुकी थीं। आज सिंगर के जन्मदिन के मौके पर उनके स्ट्रगल के बारे में जानते हैं।
| Published : Jun 06 2020, 02:44 PM IST
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आज म्यूजिक की दुनिया में नेहा कक्कड़ का अपना अलग ही नाम है। दुनियाभर में उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। उनके गानों पर लोगों की पूरी शाम बीत जाती है।जिस नेहा के मधुर आवाज की आज दुनिया गुलाम है, उसने 4 साल की उम्र से अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए गाना शुरू कर दिया था।
नेहा वैसे तो अपनी जिंदगी की दर्द भरी कहानी खुद एक सिंगिग रिएलिटी शो के मंच पर भी बयां कर चुकी हैं, जिसे सुनाते वक्त वह फूट-फूटकर रो पड़ी थीं, लेकिन अब जो वीडियो शेयर किया है उसमें उनके परिवार के उस कठिन दौर की कुछ झलकियां भी हैं, जिसमें उनकी तंगहाली की कहानी साफ नजर आ रही है।
नेहा का जन्म 6 जून 1988 को ऋषिकेश में हुआ था। बताया जाता है कि उस समय उनका परिवार तंगहाली के दौर से गुजर रहा था कि मां उन्हें जन्म भी नहीं देना चाहती थी। नेहा कक्कड़ ने अपने जन्मदिन से एक दिन पहले अपने फैंस के लिए एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें उनकी पिछले वक्त के इसी दर्द भरी कहानी को गानों में पिरोकर बताया है।
इस वीडियो में बताया गया है कि किस तरह से नेहा के जन्म से पहले उनकी मां हॉस्पिटल गई थीं क्योंकि उन्हें इस बच्चे को जन्म नहीं देना था, लेकिन तब प्रेग्नेंसी के 8 वीक हो चुके थे और अब यह संभव नहीं था। नेहा ने 5 जून को स्टोरी ऑफ कक्कड़ का सेकंड चैप्टर रिलीज किया है इसमें उनकी जिंदगी की वह कहानी है, जो बेहद दर्दनाक है।
इसमें पूरे परिवार का स्ट्रगल दिखाया गया है। किस तरह तीनों बच्चों को लेकर दिल्ली के आसपास जागरण में गाने के लिए वे निकला करते और दूसरी सुबह घर आया करते थे। जब उनकी बहन सोनू कक्कड़ जगराते में गाती थीं तो 4 साल की नेहा सुनते-सुनते सब सीख जाती थीं।
जिस वक्त बच्चों के खेलने-कूदने की उम्र होती है, उस समय नेहा अपने कंधे पर परिवार को बोझ ढो रही थीं। भाई-बहनों के साथ मिलकर घंटों गाती रहतीं ताकि पैसे मिल जाएं। जिंदगी की इसी मुश्किलों ने उन्हें स्कूल तक जाने का वक्त नहीं दिया।