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जब Lata Mangeshkar की आवाज को पतली बता इस शख्स ने कर दिया था रिजेक्ट, हुई थी जहर देकर मारने की कोशिश
मुंबई। स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) पिछले 14 दिनों से मुंबई के ब्रीचकैंडी अस्पताल में एडमिट हैं। उन्हें कोरोना पॉजिटिव और निमोनिया होने के बाद 8 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फैंस उनके जल्दी से ठीक होने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं। लता मंगेशकर अब तक अलग-अलग भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गा चुकी हैं। हालांकि, लताजी के लिए यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान भी नहीं था। दरअसल, एक शख्स ने तो उनकी आवाज को पतला बताते हुए गाना गवाने से ही मना कर दिया था। आखिर कौन था वो शख्स..
| Published : Jan 21 2022, 01:57 PM IST
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शुरुआत में बहुत से लोगों ने लताजी (Lata Mangeshkar) की आवाज को पतली और कमजोर बताकर खारिज कर दिया था। लेकिन लता भी धुन की पक्की थीं, उन्होंने सबकी बताई गलतियों से सबक लिया और दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बनाई। लताजी की आवाज को पतली बताने वाले पहले इंसान थे मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी।
एक बार लताजी (Lata Mangeshkar) के गुरु गुलाम हैदर साहब ने फिल्ममेकर एस मुखर्जी को दिलीप कुमार और कामिनी कौशल की फिल्म ‘शहीद’ के लिए लता की आवाज सुनाई। मुखर्जी ने पहले तो बड़े ध्यान से उनका गाना सुना और फिर कहा कि वो इन्हें अपनी फिल्म में काम नहीं दे सकते क्योंकि उनकी आवाज कुछ ज्यादा ही पतली है।
वहीं एक बार लताजी (Lata Mangeshkar) के गुरु गुलाम हैदर साहब, खुद लता मंगेशकर और दिलीप कुमार मुंबई की लोकल ट्रेन से कहीं जा रहे थे। ऐसे में हैदर ने सोचा कि क्यों ना दिलीप कुमार को लता की आवाज सुनाई जाए और शायद इसके बाद उन्हें कोई काम मिल जाए।
फिर लता (Lata Mangeshkar) ने जैसे ही गाना शुरू किया तो दिलीप कुमार ने उन्हें टोकते हुए कहा कि मराठियों की आवाज से ‘दाल-भात’ की गंध आती है। उनका इशारा लता के उच्चारण पर था। इसके बाद लता ने हिंदी और उर्दू सीखने के लिए एक टीचर रखा और अपना एक्सेंट सही किया था।
बता दें कि लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) जब 33 साल की थीं, तब उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। लता की करीबी मित्र पद्मा सचदेव की किताब 'ऐसा कहां से लाऊं' में भी इस बात का जिक्र है। यह घटना 1963 की है, जब लताजी को लगातार उल्टियां हो रही थीं। डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि उन्हें धीमा जहर दिया गया है।
हालांकि, बाद में खुद लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने इस कहानी के पीछे से पर्दा हटाया था। लताजी ने एक बातचीत में कहा था- हम मंगेशकर्स इस बारे में बात नहीं करते। क्योंकि यह हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था। मुझे इतनी कमजोरी महसूस होने लगी थी कि मैं बिस्तर से बड़ी मुश्किल से उठ पाती थी।
जब लताजी (Lata Mangeshkar) से पूछा गया था कि क्या ये सच है कि डॉक्टर्स ने उन्हें कह दिया था कि वे दोबारा कभी नहीं गा पाएंगी? इसके जवाब में लताजी ने कहा- ये बात सही नहीं है। ये एक काल्पनिक कहानी है, जो मुझे दिए जाने वाले धीमे जहर के इर्द-गिर्द बुनी गई है।
बता दें कि लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। लता के अलावा उनकी बहनें मीना, आशा, उषा और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। महज 5 साल की उम्र से ही लता ने गाना सीखना शुरू कर दिया था, क्योंकि पिता दीनदयाल रंगमंच के कलाकार थे। लता को संगीत की कला विरासत में मिली थी।
28 सितंबर, 1929 को इंदौर में एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में जन्मी लता (Lata Mangeshkar) का नाम पहले 'हेमा' था। हालांकि जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने इनका नाम 'लता' रख दिया था। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार ‘सतरंगी पैराशूट’ गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर हैं।
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