MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Chhattisgarh
  • जुगाड़ का कमाल, पटरियों पर चलती है यह साइकिल, जानिए क्यों हुआ इसका आविष्कार

जुगाड़ का कमाल, पटरियों पर चलती है यह साइकिल, जानिए क्यों हुआ इसका आविष्कार

बिलासपुर, छत्तीसगढ़. भारतीयों का दिमाग कबाड़ को भी काम की चीजों में बदल देता है। यह अनोखी साइकिल इसी का उदाहरण है। कई कंपनियों ने महंगी-महंगी साइकिलों बाजार मे उतार दी हैं। लेकिन भारतीय रेलवे ने सबसे सस्ते मॉडल यानी करीब 5 हजार रुपए वाली साइकिल को अपने के लिए बेहद काम की चीज बना दिया। इस साइकिल ट्रेन की पटरियों पर दौड़ती है। इस साइकिल के बाद अब रेलवे ट्रैक की पेट्रोलिंग करना आसान हो गया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन-बिलासपुर अब इस साइकिल का इस्तेमाल करने लगा है। बता दें कि बिलासपुर में 13 हजार ट्रैकमेंटेनर हैं। प्रत्येक करीब 5 किमी पैदल चलकर रेलवे ट्रैक की निगरानी करता है। इस साइकिल के जरिये अब वे 15 किमी तक बिना थके पेट्रोलिंग कर सकते हैं। इस जुगाड़ वाली साइकिल का नार्थ वेस्टर्न रेलवे-अजमेर पहले ही सफल प्रयोग कर चुका है। इस साइकिल पर हथौड़ा, पेचकस, प्लास आदि भारी चीजों को एक थैले में रखकर आसानी से लटकाया जा सकता है। इस साइकिल का वजन महज 20 किलो है। वहीं इसकी गति 10 किमी/प्रति घंटा है। पढ़िये इस साइकिल की खूबी...

3 Min read
Asianet News Hindi
Published : Aug 04 2020, 12:13 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
16

सबसे पहले इस देसी जुगाड़ वाली साइकिल का प्रयोग नार्थ-वेस्टर्न रेलवे-अजमेर ने पेट्रोलिंग में किया था। साइकिल के अगले पहिये को एक लोहे के पाइप के जरिये व्हील से जोड़ा जा गया है। वहीं, दूसरी पटरी तक भी एक व्हील दो पाइप के जरिये जोड़ी गई है। इससे साइकिल व्हील पर तेजी से पटरी पर भागती है। आगे पढ़िए इसी साइकिल के बारे में...

26

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन-बिलासपुर के सीपीआरओ साकेत रंजन बताते हैं कि इस साइकिल से अब पेट्रोलिंग आसान हो गई है। आगे पढ़िए..कबाड़ से बना दी साइकिल को बाइक...

36

देसी जुगाड़ का यह मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के आमला गांव का है। यहां 9वीं क्लास के बच्चे ने देसी जुगाड़ से साइकिल को बाइक में बदल दिया। इस बच्चे ने पापा से बाइक की डिमांड की थी। लेकिन पिता ने सुरक्षा की दृष्टि से उसे साइकिल दिला दी। बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया। हालांकि उसने साफ कहा कि वो इस बाइक को सिर्फ मोहल्ले में चलाएगा। ट्रैफिकवाली जगहों पर नहीं जाएगा। आगे पढ़िए इसी खबर का शेष भाग...

46

कबाड़ में पड़े इंजन का किया सदुपयोग
यह है अक्षय राजपूत। इन्होंने कबाड़ी से पुरानी चैम्प गाड़ी का इंजन खरीदा। इसके बाद कुछ दिनों की मेहनत से उसे साइकिल में फिट करके बाइक का रूप दे दिया। अक्षय के पिता बताते हैं कि उसे इस तरह के प्रयोग का शौक रहा है। इसी शौक की वजह से उसे कलेक्टर और विधानसभा अध्यक्ष ने सम्मानित किया था। अक्षय के पिता टेंट हाउस चलाते हैं। उन्होंने बताया कि अक्षय ने वादा किया कि वो इस बाइक को ट्रैफिक वाली जगहों पर नहीं ले जाएगा। आगे पढ़िए..किसान ने खेती के लिए बनाया सुपर स्कूटर...

56

देसी जुगाड़ का यह मामला झारखंड के हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ के उच्चघाना से जुड़ा है। यह मामला कुछ समय पुराना है, लेकिन इसे आपको इसलिए पढ़ा रहे हैं, ताकि मालूम चले कि असंभव को कैसे संभव किया जाता है। यह हैं रमेश करमाली। ये संयुक्त परिवार में रहते थे। लेकिन एक दिन इनके छोटे भाई ने मजबूरी में अपनी दोनों भैंसें बेच दीं। भैंसें खेतों की जुताई में भी काम आती थीं। लिहाजा, रमेश को अपने खेत जोतने में दिक्कत होने लगी। कुछ समय तो उन्होंने दूसरों से बैल लेकर काम चलाया, लेकिन ऐसा कब तक चलता। रमेश एक छोटे-मोटे मैकेनिक भी रहे हैं। उन्होंने तीन हजार में कबाड़ से एक स्कूटर खरीदा और पांच हजार रुपए और खर्च करके देसी जुगाड़ से पॉवर टीलर बना लिया।  आगे पढ़ें इसी खबर का शेष भाग..

66

यह पॉवर टीलर दस गुने कम खर्च पर खेतों की जुताई कर रहा है। यानी ढाई लीटर पेट्रोल में पांच घंटे तक खेतों की जुताई कर सकता है। रमेश तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। तीन साल की उम्र में वे पिता के साथ पुणे चले गए थे। पिता वहां मजदूरी करते थे। 1995 में रमेश बजाज शोरूम पर काम करने लगे। 2005-06 में बजाज कंपनी से मैकेनिक की ट्रेनिंग ली। लेकिन कम पढ़े-लिखे होने से उन्हें जॉब नहीं मिली, तो वे गांव लौट आए। यह कहानी यह बताती है कि समस्याओं का समाधान आपके नजरिये से जुड़ा है।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।
Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved