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नक्सली हमले में 3 दिन से लापता है जवान, 5 साल की बेटी रोते हुए कह रही मेरे पापा को छोड़ दो नक्सल अंकल
रायपुर (छत्तीसगढ़). शनिवार को बीजापुर के जंगल में हुए नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हो गए। वहीं 31 जवान घायल हुए हैं। वहीं राकेश्वर सिंह मनहास नाम के एक जवान तीन दिन होने के बाद भी लापता है। बताया जा रहा है कि जवान नक्सलियों को कब्जे में हैं, उसे उन्होंने बंधक बना लिया है। इधर परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। फौजी की पांच साल की मासूम बेटी अपने पिता को याद कर बिलख रही है। वह बार-बार यही कह रही है कि पापा आप कहां हो जल्दी घर आ जाओ। बच्ची का दर्द दख हर कोई भावुक है। पढ़िए मासूम बेटी का दर्द..
| Published : Apr 06 2021, 08:01 PM IST
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दरअसल, रविवार को 22 जवानों के शहादत की पुष्टि की गई थी। इनमें सभी के पार्थिव शरीर को सुरक्षाबलों ने हेलीकाप्टर की मदद से उठा लिया था। वहीं सीआरपीएफ कोबरा बटालियन में तैनात राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे। जिनकी काफी खोजबीन की गई, लेकिन उनका कहीं कोई पता नहीं चल पाया है। पिछले तीन से लगातार सेना उनको बीजापुर और सुकमा के जंगलो में तलाश कर रही है, लेकिन अभी तक कोई खबर नहीं है।
जवान राकेश्वर सिंह की बेटी राघवी का भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें राघवी ने नक्सलियों अपील करते हुए कहा कि पापा को छोड़ दीजिए, में उनको बहुत मिस कर रही हूं। प्लीज मेरी बात मान लीजिए में अपने पापा को बहुत प्यार करती हूं। उन्हें हमारे घर भेज दीजिए। मासूम बच्ची की यह बात सुनकर पूरा परिवार रोने लगा। राकेश्वर सिंह का परिवार उनकी वापसी का इंतजार कर रहा है।
वहीं जवान राकेश्वर सिंह की पत्नी मीनू मनहास का भी रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने मीडिया के जरिए पीएम मोदी से अपील भी की है। मीनू ने कहा कि 'मोदी जी मेरे पति को वापस ले आइए। अगर वह सुरक्षित हैं तो उन्हें वापस ला दो जैसे अभिनंदन को पाकिस्तान से वापस लेकर आए थे। वैसे ही मेरे पति को वापस ला दो।'
राकेश्वर सिंह के चचेरे भाई गोविंद सिंह ने बताया कि दो दिन होने के बाद हमने जब सीआरपीएफ कंटोल रूम में बात की तो अधिकारियों बताया गया कि उनके बारे में भी अभी कोई खबर नहीं है। राकेश्वर सिंह की तलाश की जा रही है और जैसे ही कोई सूचना मिलता है फौरन बताया जाएगा।
मीनू मनहास ने बताया कि मेरी राकेश्वर आखिरी बात शुक्रवार को हुई थी। रात के 10 मैंन उनसे बात की थी, इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह अभी एक ऑपरेशन के लिए निकल रहे हैं, इसलिए कल आकर बात करता हूं। पत्नी ने रोते कहती है कि आज तक उनका कल नहीं आया। पता नहीं वह कहां होंगे और किस हाल में होंगे।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि हमले के दौरान राकेश्वर सिंह मनहास की गोलियां खत्म हो गई थीं। इस दौरान वह अपने आप को बचाने के लिए एक पहाड़ी के पीछे छिप गए। रात होने के कारण वह रास्ता भटक गए और गांव की तरफ चले गए। जहां नक्सली संगठन ने उनको देख लिया और उनकी रायफल छीनते हुए बंधक बना लिया। वहीं सीआरपीएफ के अधिकारियों ने भी कहा कि है कि कुछ इनपुट तो मिले हैं जिससे पता चला है कि राकेश्वर को माओवादियों ने बंधक बना लिया है। कुछ स्थानीय पत्रकारों ने जवान के बंधक होने का दावा भी किया है।