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कोरोना वायरस के वो 5 सवाल, जिनके नहीं मिले जवाब तो इलाज हो सकता है मुश्किल

नई दिल्ली. पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है और करीब एक करोड़ से ज्यादा लोग अब तक इस महामारी का शिकार हो चुके हैं। साथ ही 5 लाख से ज्यादा लोग इससे जंग भी हार चुके हैं। सरकार और वैज्ञानिक इससे लड़ने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं। डॉक्टर्स वैक्सीन और दवा का लगातार परिक्षण कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक वैक्सीन या दवा में प्रमाणिक सफलता नहीं मिल पाई है।

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Asianet News Hindi
Published : Jul 09 2020, 09:24 AM IST
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कोरोना वायरस को पूरी दुनिया में आए हुए 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब भी कोरोना को लेकर कुछ ऐसे रहस्य हैं, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि साइंस जर्नल नेचर ने दुनिया के वैज्ञानिकों के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। 
 

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इसमें महामारी को लेकर 5 ऐसे रहस्यों का जिक्र किया गया है जिससे अब तक पर्दा नहीं उठ पाया है। माना जा रहा है कि जब तक इन पांच सवालों का जवाब नहीं मिलता तब तक इस वायरस का प्रभावी उपाय नहीं किया जा सकता है।

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कोरोना वायरस की कहां से हुई उत्पत्ति? 

अभी तक सभी को पता है कि कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान से हुई और वहीं से वो पूरी दुनिया में फैला है। लेकिन, अब भी सबसे बड़ा सवाल इस वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई है, को माना जा रहा है। वैज्ञानिक अभी तक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं कि आखिर ये वायरस कब, कहां और कैसे पैदा हुआ। शुरुआती रिपोर्ट्स में यह दावा किया जाता रहा है कि यह चमगादड़ से इंसानों में फैला है। इसके पीछे आरएटीजी 13 को जिम्मेदार बताया जा रहा है, जो चमगादड़ों में पाया जाता है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक इस दावे को सही नहीं मानते हैं और उनका दावा है कि अगर ऐसा होता तो इंसान और चमगादड़ों के जीनोम में चार फीसदी का अंतर नहीं होता जो इस वायरस के लिए जिम्मेदार है।

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लोगों के शरीर में वायरस के खिलाफ अलग-अलग रिएक्शन क्यों? 

रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि जितने भी लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हुए हैं उनमें देखा गया है कि समान, उम्र और समान क्षमता के बाद भी हर व्यक्ति पर इस वायरस का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। यह अब तक अबूझ पहेली ही है कि आखिरकार ऐसा क्यों होता है। वैज्ञानिक अब तक इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि वायरस के खिलाफ अलग-अलग शरीर की प्रतिक्रिया एक दूसरे से डिफरेंट क्यों है? कोरोना संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इटली और स्पेन में 4000 संक्रमित लोगों पर शोध के बाद वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि इनमें एक या दो अतिरिक्त जीन हो सकते हैं।
 

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कोरोना के खिलाफ कब तक लड़ सकता है शरीर 

बताया ये भी जा रहा है कि वैज्ञानिक अब तक ये नहीं समझ पाए हैं कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता कब तक बनी रहेगी। वायरस जनित दूसरी बीमारियों में यह क्षमता कुछ महीनों तक शरीर में बनी रहती है। इसलिए, शोध के जरिए वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज में उत्पन्न एंटीबॉडीज कितने समय तक इस बीमारी से शरीर को प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है।

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वायरस कहीं कम- कहीं ज्यादा घातक क्यों

दुनिया के कई देशों में इस वायरस ने अपना बेहद खतरनाक रूप दिखाया है और लाखों लोगों की जान ले ली है। वहीं, कुछ देशों में इसका प्रभाव कम है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इस वायरस के कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश में जुटे हुए हैं। क्षेत्र के हिसाब से वायरस में बदलावों का भी वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं।

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कब तक आएगी वैक्सीन या टीका

कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन अब तक यह किसी को पता नहीं कि आखिरकार कब तक इसका टीका लोगों को मिल पाएगा। कोरोना के वैक्सीन को विकसित करने के लिए पूरी दुनिया में करीब 200 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इनमें से 20 प्रोजेक्ट मानव टेस्टिंग लेवल तक पहुंच पाए हैं। जितने भी टीकों के टेस्टिंग की रिपोर्ट आई है उसमें ज्यादातर यही संकेत दे रहे हैं कि यह फेफड़ों को संक्रमण से बचाने में कारगर है, लेकिन संक्रमण को पूरी तरह यह टीका नहीं रोक सकता।

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