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कभी बैट खरीदने के लिए भी नहीं होते थे पैसे, लकड़ी से करती थी प्रैक्टिस अब वर्ल्डकप में कर रही कमाल
नई दिल्ली. महिला वर्ल्डकप 2020 में टीम इंडिया का विजय रथ जारी है। भारतीय टीम ने ग्रुप स्टेज के अपने सभी मैच जीत लिए हैं और सेमीफाइनल में अपने प्रतिद्वंदी का इंतजार कर रही है। लीग स्टेज के आखिरी मैच में श्रीलंका के खिलाफ स्पिनर राधा यादव ने शानदार गेंदबाजी की और अपनी टीम को जीत दिलाई। इस मैच में उन्होंने 23 रन देकर 4 विकेट झटके, पर टीम इंडिया तक का उनका सफर बिल्कुल आसान नहीं था। राधा ने 220 फीट की झुग्गी से टीम इंडिया तक का सफर तय किया है।
| Published : Feb 29 2020, 07:23 PM IST
कभी बैट खरीदने के लिए भी नहीं होते थे पैसे, लकड़ी से करती थी प्रैक्टिस अब वर्ल्डकप में कर रही कमाल
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पहली बार राधा यादव जब भारतीय टीम में शामिल किया गया था, तब उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। वो मूलतः उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली हैं।
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राधा ने महज 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। वह अपने मोहल्ले के लड़कों के ही साथ क्रिकेट खेलती थी। इस बात को लेकर उनके परिवार को कई बार ताने भी सुनने पड़ते थे।
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हालांकि, राधा के पिता ने कभी भी लोगों की सोच की परवाह नहीं की और हमेशा बेटी को खुलकर खेलने की छूट दी।
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राधा के अलावा भी उनके तीन भाई बहन हैं। उनके पिता मुंबई में एक छोटी सी दुकान चलाते थे, जिससे घर का खर्च निकालना भी मुश्किल होता था। उसमें भी हर कभी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन अतिक्रमण के नाम पर दुकान हटा सकता था।
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पिता की कमाई से राधा के लिए खुद का बैट खरीदना भी मुश्किल था। वह लकड़ी को ही बैट बनाकर प्रैक्टिस करती थी।
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राधा के पिता अपनी साइकिल से उन्हें 3 किलोमीटर दूर स्टेडियम तक छोड़ने जाते थे और वापस आते समय कभी ऑटो तो कभी पैदल ही उन्हें वापस आना पड़ता था।
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राधा यादव को पहली बार राजेश्वरी गायकवाड़ के चोटिल होने पर मौका मिला था। उन्होंने यहीं से चयनकर्ताओं को प्रभावित करना शुरू किया।
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गुजरात की टीम से खेलने वाली राधा पहली खिलाड़ी हैं, जिन्हें भारतीय टीम में जगह दी गई है।
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श्रीलंका के खिलाफ आखिरी लीग मैच में राधा ने 4 विकेट लेकर विपक्षी टीम की कमर तोड़ दी। इस मैच में भारत ने बड़ी आसानी से जीत दर्ज की।
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अभी भी राधा की उम्र सिर्फ 19 साल ही है। राधा जैसी खिलाड़ियों की वजह से ही टीम इंडिया में नई ऊर्जा आई है।