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जब मां ने चप्पल से की थी वीरेंद्र सहवाग की पिटाई, जानें क्यों वीरू को मिली थी इतनी बड़ी सजा
स्पोर्ट्स डेस्क : हरियाणा के जाट परिवार में पैदा हुए पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग की कहानी बहुत दिलचस्प है। 7 महीने की उम्र से ही उनका क्रिकेट के लिए प्यार जाग गया था और खिलौने खेलने के उम्र में भी वह सिर्फ बैट से ही खेलते थे। बचपन से ही खेल के लिए वह क्रेजी थो 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलते हुए वीरू ने अपना दांत तक तुड़वा लिया था। इसके बाद भी उन्होंने खेलना बंद नहीं किया और खेल के प्रति डेडिकेशन के चलते ही उनका अंडर 19 क्रिकेट टीम में सिलेक्शन हुआ। लेकिन इस बीच ऐसा क्या हुआ कि वीरू की मां ने उनकी चप्पलों से पिटाई कर दी। आइए जानते हैं
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वीरेंद्र सहवाग अपने माता-पिता के चार बच्चों में तीसरी संतान हैं। सहवाग से बड़ी दो बहनें मंजू और अंजू हैं जबकि उनका एक छोटा भाई विनोद हैं।
सहवाग बताते हैं कि हम सभी ज्वाइंट फैमली में रहते थे। परिवार में हम 4 भाई-बहनों के अलावा चाचा-ताऊ के भी बच्चे थे। हम लोग सब आपस में क्रिकेट खेला करते थे।
वीरू ने बारह साल की उम्र में क्रिकेट खेलते समय अपना दांत तक तुड़वा लिया था। जिसके बाद उनके पिता किशन सहवाग ने उनका खेल बंद करवा दिया था।
सहवाग बताते हैं कि खेल खेलने और पढ़ाई के लिए तो उनकी कई बार पिटाई होती थी लेकिन एक बार तो उनकी मां ने उनकी चप्पलों से तक से मार लगाई थी।
सहवाग ने बताया कि एक दिन मैंने अपने पिता की बीड़ी का बंडल चुरा लिया और मैं चार कजन के साथ घर के पास बने हॉस्पिटल की दीवार पर बैठ गया। हम पांचों भाई लाइन में एक साथ बीड़ी के कश लगा रहे थे। फिर क्या था, हमारी चप्पलों और डंडों से खूब पिटाई हुई थी।
सिर्फ इतना ही नही सहवाग स्कूल जाने में भी परेशान किया करते थे। उनकी मां ने बताया कि अक्सर वीरू स्कूल जाने में नाटक करता था। मैं इसके लिए पानी गर्म करके रखती थी। ये उसे गिरा देता था। इसके बाद दोबारा गर्म करने पर टाइम ज्यादा और घंटी बजने का बहाना बनाकर ये छुट्टी कर लेता था।
बचपन में वीरू ने जितने भी पंगे क्यों ना किए हों पर क्रिकेटर के तौर पर वह एक शानदार प्लेयर रहे हैं। वे टेस्ट मैचों में 2 बार तिहरा शतक लगाने वाले भारत के इकलौते बल्लेबाज हैं।