जब 36 साल तक बिना मुख्यमंत्री के रही दिल्ली, विधायक चुनने के लिए तरस गए थे लोग
| Published : Jan 21 2020, 10:36 AM IST / Updated: Jan 21 2020, 11:23 AM IST
जब 36 साल तक बिना मुख्यमंत्री के रही दिल्ली, विधायक चुनने के लिए तरस गए थे लोग
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दिल्ली विधानसभा चुनाव का सफर 1952 से शुरू हुआ था। उस समय कांग्रेस नेता ब्रहम प्रकाश ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। वो 2 साल 332 दिन तक सीएम रहे थे। उनके बाद 12 फरवरी 1955 में कांग्रेस के गुरुमुख निहाल सीएम बने थे। वो 1 साल 263 दिन तक सीएम रहे।
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पहले विधानसभा चुनाव में दो सीएम के बाद 1956 में विधानसभा को भंग कर दिया गया। इसके बाद वहां 36 साल तक गवर्नर रूल लागू कर दिया गया।
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36 साल तक दिल्ली में कोई भी मुख्यमंत्री नहीं रहा। लोग अपने पसंद का प्रतिनिधि नहीं चुन पाए।
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आखिरकार 1993 में दिल्ली में अगला विधानसभा चुनाव हुआ। इस बार पहली बार दिल्ली में बीजेपी सत्ता में आई। मदनलाल खुराना सीएम बने। लेकिन उनका कार्यकाल 2 साल 66 दिन चला। इसके बाद साहिबसिंह वर्मा सीएम बने। उन्होंने भी 2 साल 288 दिन बतौर सीएम निकाले। इसके बाद दिल्ली को मिली पहली महिला सीएम वो भी सुषमा स्वराज के रूप में। हलांकीम, वो मात्र 52 दिन ही सत्ता में रह पाई।
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इसके अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से शीला दीक्षित को सीएम बनाया गया। शीला दीक्षित ने लगातार 15 साल 25 दिन दिल्ली पर राज किया।
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1998 से 2013 तक दिल्ली में कांग्रेस राज रहा। लेकिन 2013 में हुए चुनावों में आम आदमी पार्टी ने तख्तापलट कर दिया। कांग्रेस के साथ मिलकर आप ने सरकार तो बनाई लेकिन 49 दिन में ही इनमें फूट पड़ गई और सरकार गिरने के बाद एक साल तक वहां राष्ट्रपति शासन लग गया।
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2015 में फिर से चुनाव हुए और इस बार फिर आप ने बहुमत से सरकार बनाई। सीएम अरविन्द केजरीवाल शीला दीक्षित के बाद दूसरे पूर्णकालिक सीएम बने।
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अब 2020 में दिल्ली अपने नए नेता को चुनने के लिए पूरी तरह तैयार है।