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कोरोना के कारण बढ़ी नींद नहीं आने की प्रॉब्लम, इंटरनेट और मोबाइल का यूज दोगुना हुआ
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पहले लॉकडाउन में हुआ रिसर्च
रिसर्च के अनुसार- इटली के पहले राष्ट्रीय लॉकडाउन के तीसरे और सातवें हफ्ते के दौरान 2,123 इटली नागरिकों को लेकर ये सर्वे किया गया है। लॉकडाउन के तीसरे सप्ताह (25 मार्च - 28 मार्च, 2020) पता चला कि पिट्सबर्ग स्लीप क्वालिटी इंडेक्स और अनिद्रा गंभीरता सूचकांक का उपयोग करते हुए नींद की गुणवत्ता और अनिद्रा के लक्षणों का मूल्यांकन किया।
7वें हफ्ते में लोगों ने ज्यादा वक्त दिया
दूसरा सर्वेक्षण 21 से 27 अप्रैल 2020 के दौरान किया गया। इसमें लोगों से सोने से दो घंटे पहले इलेक्टानिक उपकरणों के उपयोग के बारे में पूछताछ की गई। शोध में हिस्सा लेने वाले 92.9 प्रतिशत लोगों ने बताया कि इलेक्ट्रानिक उपकरणों के इस्तेमाल का समय बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि उनकी नींद की गुणवत्ता में कमी आई है, अनिद्रा के लक्षणों में बढ़ोतरी हुई है।
सोने के घंटों में कमी
सर्वे में बताया गया है कि इंटरनेट का उपयोग बढ़ने से रात के समय सोने की कुल अवधि घट गई है। साथ ही सोने और उठने का समय भी बढ़ गया है। ज्यादातर लोगों ने मध्यम से गंभीर अनिद्रा के लक्षणों की शिकायत की। 7.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे शाम के समय स्क्रीन पर कम समय दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी नींद बेहतर हुई है और अनिद्रा के लक्षण कम हुए हैं।
कई लोगों ने नहीं किया बदलाव
रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों ने अपने स्क्रीन टाइम एक्सपोज़र में कोई बदलाव नहीं होने की सूचना दी, इसी तरह उनकी नींद की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया। डॉ फेडेरिको सल्फी, पीएच.डी. स्टूडेंट औऱ रिसर्चर ने कहा- सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक यूज हमारे समाज में विशेष रूप से युवा लोगों के बीच महामारी आपातकाल से पहले से ही एक गहरी जड़ें थी। हमारी राय में मोबाइल ने सोशल डिस्टेंसिंग को औऱ बढ़ा दिया।
नींद जरूरी है
लॉकडाउन के दौरान स्क्रीन की आदतों और नींद की गड़बड़ी के बीच एक मजबूत संबंध के प्रमाण बताते हैं कि सामान्य नींद स्वास्थ्य को हेल्दी बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।