स्किन पर तिल भी हो सकता है Skin Cancer, जानें लक्षण,ट्रीटमेंट और बचाव
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कैंसर की दर आने वाले सालों में और बढ़ेगी
वैसे तो यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि स्किन कैंसर की दर क्यों बढ़ रही है। लेकिन शोधकर्ताओं की मानें तो बढ़ते वैश्विक तापमान कम से कम आंशिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार है। अक्टूबर 2021 में लांसेट साइंस मैगजीन के एडोटोरियल में कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन के कारण पराबैंगनी विकिरण को त्वचा कैंसर और मेलेनोमा की बढ़ती घटनाओं से जुड़ा माना जाता है। यानि जलवायु परिवर्तन की वजह से स्किन कैंसर बढ़ रहा है और आने वाले सालों में इसकी और बुरी तस्वीर सामने आएगी।
इन लोगों को कैंसर का जोखिम
पीली त्वचा, नीली आंखों और लाल या सुनहरे बालों वाले लोगों को त्वचा कैंसर होने का अधिक खतरा होता है। ब्राउन स्किन वाले लोग सूरज के पराबैंगनी किरण को सहन कर सकते हैं इसलिए उनमें स्किन कैंसर होने के जोखिम कम होते हैं। इसी वजह से अफ्रीका और एशिया में त्वचा के कैंसर ना के बराबर है।लेकिन ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी के आंकड़े हैं जो सुझाव देते हैं कि 2022 की तुलना में 2040 तक अफ्रीकी देशों में नए मामलों में 96% की वृद्धि देखी जा सकती है। इसी अवधि में एशिया में 59% और लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में 67% की वृद्धि देखी जा सकती है।
स्किन कैंसर के लिए जिम्मेदार कारक क्या हैं?
बुजुर्ग लोगों में स्किन कैंसर अधिक आम है। लेकिन युवा लोगों को भी इससे खतरा है। कभी-कभी स्किन को नुकसान कम उम्र में ही हो जाता है या फैमिली हिस्ट्री भी इसके लिए जिम्मेदार होती है। इसके अलावा स्किन ज्यादा धूप नहीं बर्दाश्त करता हो। स्किन पर कई तिल या फिर झुर्रियां। गंभीर सनबर्न का इतिहास हो। ये कारण भी स्किन कैंसर का जिम्मेदार हो सकता है।
सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणे स्किन कैंसर का सबसे बड़ा जोखिम कारक हैं। जिसका अर्थ है कि यदि आप भूमध्य रेखा के पास या वास्तव में भूमध्य रेखा के दक्षिण में रहते हैं, तो आप त्वचा कैंसर के उच्च जोखिम का सामना करते हैं।
कैंसर कैसे पनपता है
स्किन कैंसर में त्वचा के टीश्यू में घातक कैंसर कोशिकाएं बनती हैं। यानी जब त्वचा की कोशिकाएं (स्किन सेल) असमान्य रूप से बढ़ने लगे तो उसे स्किन कैंसर कहते हैं। स्किन कैंसर सूरज के किरणों के संपर्क में आने से होता है। यह चेहरे, गर्दन या हाथ पर ज्यादा देखने को मिलता है।
त्वचा कैंसर के 8 प्रमुख उपसमूह हैं
सतही प्रसार मेलेनोमा जो सबसे आम प्रकार है। यह 30 से 50 साल के पुरुष और महिलाओं को प्रभावित करता है। यह पुरुषों के शरीर के मध्य भाग में और महिलाओं के पैरों में पाया जाता है।
गांठदार मेलेनोमा (Nodular melanoma) यह मेलेनोमा का दूसरा सबसे आम प्रकार है जो शरीर के किसी भी हिस्से में पाया जाता है। तीसरा लेंटिगो मालिग्ना मेलेनोमा चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर पाया जाता है। इसके अलावा एमेलानोटिक मेलेनोमा,Acral lentiginous melanoma ,म्यूकोसल मेलेनोमा ,आंख का मेलेनोमा और डेस्मोप्लास्टिक मेलेनोमा है।
स्किन कैंसर के लक्षण
सबसे पहले तो जान लें कि स्किन पर सभी विकास स्किन कैंसर से संबंधित नहीं होते हैं और सभी स्किन कैंसर एक जैसे नहीं दिखते हैं। इसके कुछ शुरुआती लक्षण को देखकर डॉक्टर के पास जा सकते हैं-
-त्वचा पर तिल का आकार या संख्या अचानक बढ़ जाना।
-भूरे और लाल रंग के घाव जो लंबे वक्त तक नहीं हो रहे ठीक।
-त्वचा पर पपड़ी का परत उतरना।
-आंखो के आसपास अक्सर जलन महसूस होना।
-पीठ और छाती पर सपाट, पपड़ीदार, लाल रंग का पैच जो वक्त के साथ बड़े हो रहे हों।
स्किन कैंसर ट्रीटमेंट
त्वचा की रंग की जांच की जाती है। इसके बाद त्वचा की बायोप्सी की जाती है।
त्वचा की बायोप्सी के चार प्रकार होते हैं-
शेव बायोप्सी,पंच बायोप्सी, इन्सिज्नल बायोप्सी और एक्सिसनल बायोप्सी।
इसके बाद सर्जरी,रेडिएशन थेरेपी,कीमोथेरपी, फ़ोटोडायनॉमिक थेरेपी,टारगेट थेरपी,इम्मयुनो थेरपी के जरिए इलाज किया जाता है। डॉक्टर पहले मरीज को देखते हैं और उसके कैंसर के बारे में जानकर उनके अनुसार इनमें से किसी से ट्रीटमेंट करते हैं।
स्किन कैंसर से बचाव
त्वचा को कैंसर से बचाने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग करके बाहर निकलें।पूरे कपड़े पहनकर निकलें ताकि स्किन अल्ट्रावायलेट यानी पराबैगनी किरणों के संपर्क में डायरेक्ट आने से बच सकें।अगर त्वचा से कुछ भी असमान्य महसूस कर रहे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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