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आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व होम्योपैथी दिवस? जानें इसका उद्देश्य और इतिहास से जुड़ी ये बातें
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हर साल 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। होम्योपैथी के जनक माने जाने वाले जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन हैं। ये दिवस उनके जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। उनका जन्म 10 अप्रैल को ही हुआ था।
इस साल उनकी 266वीं जयंती है। विश्व होम्योपैथी दिवस केवल डॉ. हैनिमैन की जयंती के उपलक्ष्य में ही नहीं बल्कि होम्योपैथी को आगे ले जाने की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों को समझने के लिए भी मनाया जाता है।
इस साल उनकी 266वीं जयंती है। विश्व होम्योपैथी दिवस केवल डॉ. हैनिमैन की जयंती के उपलक्ष्य में ही नहीं मनाया जाता बल्कि होम्योपैथी को आगे ले जाने की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों को समझने के लिए भी मनाया जाता है।
विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि चिकित्सा की इस अलग प्रणाली के बारे में लोगों को जागरूक करना है, साथ ही इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों लोगों तक पहुंचाना है।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के अनुसार कहा जाता है कि ये दवाओं द्वारा रोगी का इलाज करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है, जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति का इलाज हो सके।
होम्योपैथी चिकित्सा का एक ही वैकल्पिक रूप है, जो 'समरूपता' दवा सिद्धांत पर आधारित है। इस विधि में मरीजों का इलाज न केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझकर किया जाता है।
होम्योपैथी एक सुरक्षित चिकित्सकीय तरीका है, जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है। इसकी आदत भी नहीं पड़ती है।
होम्योपैथी को गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए सुरक्षित माना है।