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कभी सड़क पर पानी पुरी बेचता था ये लड़का, सोता था भूखा; अब राजस्थान की तरफ से किया डेब्यू
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यशस्वी जायसवाल का जन्म यूपी के भदोही में हुआ। यशस्वी के पिता भूपेंद्र की पेंट की दुकान है। वे बताते हैं कि उनके बेटे ने काफी संघर्ष किया। कभी किराने की दुकान पर काम किया तो कभी सड़कों पर गोल गप्पे बेचे।
कभी टेंट में सोए
क्रिकेटर बनने के लिए यशस्वी 10 साल की उम्र में मुंबई आ गए। उनके रिश्तेदार संतोष का घर मुंबई के वर्ली में है, लेकिन वहां रहना भी मुश्किल था। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका घर बहुत छोटा था। इसलिए मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के मैनेजर संतोष ने वहां के मालिक से गुजारिश करके यशस्वी के रूकने की व्यवस्था करा दें। व्यवस्था हुई और यशस्वी को वहां ग्राउंड्समैन के साथ टेंट में रहना पड़ता था।
यशस्वी को पेट पालने के लिए गोपगप्पे भी बेचना पड़ा है। दरअसल यशस्वी खाने का जुगाड़ करने के लिए आजाद मैदान में राम लीला के दौरान गोपगप्पे और फल बेचने में मदद करते थे।
पिता नहीं बन सके क्रिकेटर, तो बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठानी
यशस्वी के पिता भूपेंद्र भी क्रिकेट खेलते थे। लेकिन पारिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण वह खेल ज्यादा दिन तक जारी नहीं रख सके। बाद में उन्होंने दुकान खोली। भूपेंद्र ने शुरू से ही अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाने की ठान ली थी भूपेंद्र के दो बेटे और दो बेटियां हैं। उन्होंने बेटों को क्रिकेट में ही आगे बढ़ाया।
सचिन ने गिफ्ट किया बल्ला
सचिन के बेटे अर्जुन और यशस्वी अच्छे दोस्त हैं। दोनों की मुलाकात बेंगलुरु में स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में हुई थी। एक बार अर्जुन ने यशस्वी की मुलाकात सचिन से करवाई। बात 2018 की है। अर्जुन यशस्वी को अपने घर ले गए। पहली मुलाकात में ही सचिन ने यशस्वी से प्रभावित होकर उन्हें अपना बल्ला गिफ्ट में दे दिया।
जायसवाल ओपनर बल्लेबाज के साथ साथ पार्ट स्पिन गेंदबाज भी हैं। वे इंडिया अंडर 19 में खेलते हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही उनका इंडिया टीम में भी सिलेक्शन हो सकता है।
राजस्थान ने 2.5 करोड़ में खरीदा
यशस्वी जायसवाल को इस साल राजस्थान रॉयल्यस ने 2.4 करोड़ में खरीदा। इसके बाद उनके परिवार ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। आसपास के लोगों ने आतिशबाजी की और यशस्वी को माता-पिता को इस बात की बधाई दी थी।