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मां तुझे सलाम! कंधे पर बच्चों को बिठाकर जा रही गांव, बोली यहां रहूंगी तो मेरे बेटे भूखे ही मर जाएंगे
धनबाद (झारखंड). दिहाड़ी करके दो वक्त की रोटी कमाने वाले इन मजदूरों की घर वापसी दर्द और पीड़ा से भरी हुई है। जब परिवार का पेट भरने के लिए जेब में एक रुपया नहीं बचा तो यह मजूबर होकर यह सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर के लिए चल पड़े। ऐसी एक तस्वीर झारखंड से सामने आई है, जहां एक महिला चिलचिलाती धूप में अपने कंधों पर दो बच्चों लेकर पैदल चली जा रही थी।
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दरअसल, मायूसी और बेबसी की यह तस्वीर रविवार को धनबाद से सामने आई है। जहां ईंट भट्ठे पर काम करने वाली महिला का तपती दुपहरी में अपने घर बंगाल के पुरूलिया जिले की तरफ जा रही थी। उसने दोनों कंधो पर अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को बिठाया हुआ था और चली जा रही थी। जब उससे किसी ने पूछा क्यों जा रही हो तो महिला ने नम आंखों से कहा-यहां रहेंगे तो भूखे मर जाएंगे, लॉकडाउन ने हमारी रोजी-रोटी छीन ली, अब इन बच्चों को क्या खिलाऊंगा और कहां रहूंगी। इसलिए इन हालतों में अपने गांव जाने का फैसला किया।
यह तस्वीर गुमला से सामने देखने को मिली है, जहां यह मजदूर विशाखपट्टनम से पैदल चलकर आए हैं। उनको अपने घर बिहार जाना है। जब प्रशासन ने उनको रोका तो मजूदरों ने कहा-सर ना हमको खाना चाहिए और ना ही कुछ रुपया-पैसा। अगर हो सके तो हमको हमारे गांव पहंचा दो।
यह तस्वीर रविवार को रांची से सामने आई है, जहां कुछ मजदूर आंध्रा से पैदल चलकर आए हैं। वह बताते हैं कि उनके पास एक भू पूटी कौड़ी नहीं बटी थीस इसिलए उनको पैदल आना पड़ा है। जो कुछ था वह इतने दिन तक खर्ज चलाते रहे। अब हम कैसे बिहार तक पहुंचगे।
यह तस्वीर झारखंड की है, जब युवक तपती दुपहरी में चलते-चलते थक गया तो वह जमीन पर ही सो गया। साथ ही उसने अपनी छाती पर अपने मासूम बेटे को भी सुलाया हुआ है।
यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के रायपुर से झारखंड के सरायकेला के लिए निकले मजदूरों की है। सभी एक ट्रक में बैठकर आ रहे थे, पलामू में पुलिस ने उन्हें रोक लिया तो वह पैदल ही घर की ओर निकल पड़े।