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देवघर में रोजाना हजारो कावंरियों की बोल बम के नारों के साथ कर रहे जलाभिषेक,भक्तोंकी गिनती करने की ट्रिक है खास
देवघर. झारखंड में पूरे सावन देवघर के बाबा मंदिरों में शिवभक्त बाबा का जलाभिषेक करेंगे। कुछ लोग सुल्तानगंज से गंगा का जल कांवर में लाकर बाबा को जल अर्पित करेंगे तो कुछ अपनी गाड़ी या ट्रेन से देवघर पहुंचेंगे। बता दें कि रोजाना हजारों भक्त बोल-बम के नारे के साथ बाबा मंदिर पहुंच रहे हैं। भीड़ मैनेजमेंट के लिए इनकी संख्या जानना प्रशासन के लिए बहुत जरुरी है। इसके लिए प्रशासन ने व्यवस्था कर रखी है। भीड़ को देखते हुए बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा पर एक्सेस कार्ड सेंटर बना है। इस सेंटर में 16 कर्मचारी सहित एक दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया जाता है। झारखंड की सीमा में प्रवेश करने वाले सभी श्रद्धालुओं को यहां पर एक कंप्यूटरकृत कूपन दिया जाता है।
| Published : Jul 20 2022, 09:13 PM IST / Updated: Jul 20 2022, 09:15 PM IST
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ऐसे होती है श्रद्धालुओं और कावियों की गिनती
झारखंड के देवघर में श्रावणी मेला के दौरान लाखों भक्त बाबा नगरी पहुंचते हैं ऐसे में जरूरी है कि झारखंड की सीमा में प्रवेश करने वाले कावड़ियों का आंकलन किया जाए। इसी के आधार पर मंदिर में भीड़ को नियंत्रित किया जाता है। दुम्मा बॉर्डर पर एक्सेस कार्ड (प्रवेश कार्ड) सेंटर बनाया गया है। जिसमें आठ काउंटर हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक प्रवेश कार्ड देते हैं। इसी के आधार पर जिला प्रशासन आंकड़ा इकट्ठा करता है कि कितने कांवरिया और किस रफ्तार से झारखंड में प्रवेश कर रहे हैं। देवघर श्रावणी मेला में आंकड़ों के आधार पर क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम चलता है, ऐसे में जरूरी है कि आने वाले कांवड़ियों का एक आंकड़ा इकट्ठा किया जाए। बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा पर एक्सेस कार्ड सेंटर में एक दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया जाता है। झारखंड की सीमा में प्रवेश करने वाले सभी श्रद्धालुओं को यहां पर एक कंप्यूटरकृत कूपन दिया जाता है। इस प्रवेश कार्ड को लेकर कांवरिया देवघर पहुंचते हैं। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को तुरंत मिल जाती है। देवघर में सबसे ज्यादा इसी रास्ते से कांवरिया पहुंचते हैं।
मंदिर में लगा है हेड काउंट सिस्टम
देवघर में कावरिंया के अलावा ट्रेन, बस और अपनी गाड़ियों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनके लिए मंदिर में हेड काउंट सिस्टम लगाया गया है। कुल मिलाकर इस सेंटर पर आने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े इकट्ठे कर देवघर बाबा मंदिर में दर्शन के लिए प्रबंध किया जाता है। इस सेंटर पर श्रद्धालुओं को संपूर्ण जानकारी भी दी जाती है। यहां मौजूद पुलिसकर्मी और मजिस्ट्रेट श्रद्धालुओं को जागरूक भी करते हैं और यहां से गुजरने वाले श्रद्धालु इस कूपन को लेकर बाबा धाम प्रवेश करते हैं।
54 फीट का कांवर बना आकर्षण का केंद्र, नौ लोगों की मदद ये उठाया जाता है कांवर
पटना सिटी के कांवरियों का जत्था 54 फीट का कांवर लेकर सुल्तानगंज से जल भर कर पैदल ही देवघर के बाबा वैद्यनाथ मंदिर और बासुकीनाथ धाम में जलाभिषेक के लिए निकल पड़ा है। इसे नौ लोग मिलकर उठाते हैं। कांवरियों का बड़ा जत्था ढोल व मांदर बजाते हुए नाचते-गाते बाबा धाम की यात्रा कर रहे हैं जो बेहद ही मनभावन दृश्य है. इसे देखने के लिए रास्ते में
15वें साल लगातार ले जा रहे कांवर
टीम के सदस्यों की मानें तो लगातार 15वें साल इतने बड़े कांवर लेकर सुल्तानगंज से बाबाधाम तक की यात्रा पर हैं। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के लिए कच्ची कांवरिया पथ पर पटना के के मारुफगंज शिव भक्तों का जत्था बाबा बैद्यनाथ नाथ धाम की यात्रा पर है। शिव भक्त कीर्तन करते हुए चल रहे हैं जो बेहद ही आकर्षक लगता है।
कांवर पर बनी है कई मंदिर की आकृति
कांवर पर विभिन्न प्रकार की मंदिर की आकृति के साथ-साथ श्री श्री बड़ी देवी जी, पटन देवी, रानीपुर मां काली और भगवान शिव की प्रतिमा बनी हुई है. साथ ही शिव-पार्वती, गणेश सहित कई देवी देवताओं की मूर्ति से सजाया गया है। 2008 से लगातार यह विशाल कावड़ यात्रा कर रहे है। करीबन 600 से 700 लोग शामिल हैं। यह कांवर 54 फीट का है जिसे लेकर 54 घंटे में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर लेते हैं।
श्रद्धालु भी इस सेवा से संतुष्ट
श्रद्धालु भी इस सुविधा से काफी खुश हैं उन्हें लगता है कि इस कार्ड के जरिए प्रशासन इनके बाबा मंदिर पहुंचने से पहले व्यापक व्यवस्था कर लेगी। इस बार के पहले सोमवारी को जिला प्रशासन ने इसी सेंटर के माध्यम से यह आंकड़ा इकट्ठा किया था कि दो लाख से ज्यादा कांवरिया आएंगे और दो लाख के करीब ही कांवरिया आए।