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देवघर में 151 वर्षो से चली आ रही अनोखी परंपरा...सावन में मंदिर बाबा मंदिर के अंदर लगती है बेलपत्र प्रदर्शनी
देवघर (झारखंड). झारखंड के देवघर बाबा मंदिर में कई अनोखी परंपराएं देखने को मिलती हैं। इनमें से एक है बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा। यह परंपरा देवघर में 151 वर्षों से चली आ रही है। प्रदर्शनी सिर्फ देवघर के बाबा मंदिर में ही लगाया जाता है। इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। बता दें कि देवनगरी विविधताओं से भरी पड़ी है। कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ के दरबार बाबाधाम की परंपराएं भी काफी निराली और अद्वितीय है। हर साल की तरह इस बार भी बाबा मंदिर परिसर में बेलपत्र प्रदर्शनी लगाई गई। पूर्व निर्धारित स्थानों पर सभी दलों ने आकर्षक और अनोखे पहाड़ी बेलपत्र की प्रदर्शनी लगाई। यहा प्रदर्शनी लगाने वाले भक्तगण द्वारा झारखंड-बिहार के जंगलों से खोज कर बेलपत्र लाया जाता है। श्रावणी मेलें के समय यह प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रहता है। तस्वीरों में देखिए वहां के मेले के शानदार दृश्य...
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शिव शंकर भगवान को पसंद है बेलपत्र
बेलपत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं। बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर भक्त भाव विभोर हो जाते थे, लेकिन इस बार मेला नहीं लगने से इस परंपरा को पुरोहित निभाते हैं। बाबा भोले के तीन नेत्र हैं और बेलपत्र के तीन पट्टी इसी के सूचक हैं। सालों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही बेलपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है।
पुरोहितों के आठ दल लगाते हैं प्रदर्शनी
सभी पुरोहितों के आठ दल होते हैं, जो बिहार झारखंड के विभिन्न जंगलों से दुर्लभ बेलपत्र खोजकर लाते हैं और उसे प्रदर्शनी के दिन चांदी और स्टील की थाल पर सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं। बाबा मंदिर ही नहीं पूरे विश्व में धर्म को जागृत करने के लिए ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाती है।
बेलपत्र प्रदर्शनी देवघर के बैद्यनाथ मैं हर साल लगती है। ये सिर्फ और सिर्फ बाबाधाम देवघर में ही होता है। यहां यह प्रदर्शनी पंडा समाज की तरफ से लगाई जाती है। सभी पंडा बाबा बैद्यनाथ पर बेलपत्रों को अर्पित करते हैं।
प्रदर्शनी की परंपरा की शुरुआत
बेलपत्र प्रदर्शनी की परंपरा की शुरुआत सबसे पहले बम बम बाबा ब्रह्मचारी महाराज ने 151 साल पहले विश्वकल्याण की कामना के लिए की थी। आज भी इस परंपरा का निर्वहन यहां के तीर्थ पुरोहित करते आ रहे हैं।
इस प्रदर्शनी को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते थे। साल भर इस दृश्य को देखने के लिए इंतजार करते थे और बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर धन्य हो जाते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के डर के कारण सिर्फ पंडा समाज यह प्रदर्शनी कर रहे हैं।
कहा जाता है कि सिर्फ बेलपत्र के चढ़ाने से भी बाबा भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। दूसरी तरफ बेलपत्र को अनेक गुणों से परिपूर्ण भी माना गया है। बेलपत्र कि यह प्रदर्शनी देखने लायक होती है। इसीलिए बिहार- झारखंड के जंगलों से भक्तगण बेलपत्र खोजकर लाते थे।
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विजेता को किया जाता है पुरस्कृत
श्रावणी मेला के समय यह बेलपत्र प्रदर्शनी आकर्षक का केंद्र रहती है और इसे देखने के लिए शिवभक्त लालायित रहते हैं। प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के की ओर से पुरस्कृत भी किया जाता है।