MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Jharkhand
  • तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं, मासूमों के सवालों का क्या जवाब देती मां कि क्यों वे मारे-मारे फिर रहे

तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं, मासूमों के सवालों का क्या जवाब देती मां कि क्यों वे मारे-मारे फिर रहे

धनबाद, झारखंड. कोरोना को हराने दुनिया के पास लॉकडाउन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन हमारे देश में लॉकडाउन ने गरीबों की कमर तोड़ दी। उन्हें मीलों पैदल चलकर घर जाने को मजबूर होना पड़ा। क्या जवान और क्या बूढ़े..लाचार, दिव्यांग और बच्चों को भी नंगे पांव पैदल जाते देखा गया। पैरों में छाले और आंखों में मायूसी..सबने पढ़ी, लेकिन उतनी मदद नहीं मिल सकी, जितनी उन्हें जरूरत थी। पहली तस्वीर एक दु:खी मां लता की है। ये तमिलनाडु से अपने मासूम बच्चों के साथ धनबाद पहुंची थीं। इन्हें सरायकेला जाना था। बेशक उन्हें यहां तक आने के लिए श्रमिक ट्रेन मिली, लेकिन इस दौरान कितनी तकलीफें उठाईं, यह बताते हुए वे फूट-फूटकर रो पड़ीं। सबकुछ बेचने के बाद सिर्फ थोड़ा-बहुत घर-गृहस्थी का सामान बचा था। उसे वे सिर पर उठाकर ला रही थीं। जबकि इस सामान की कीमत कुछ सौ रुपए ही होगी। लेकिन उनके लिए अब यह सबकुछ था। बता दें कि गुरुवार को तमिलनाडु और कर्नाटक से करीब 3500 श्रमिक झारखंड लौटे।

3 Min read
Asianet News Hindi
Published : May 29 2020, 12:03 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
114

पहली तस्वीर लता की है। वहीं, दूसरी तस्वीर हरियाणा के गुरुग्राम से झारखंड लौटती एक प्रवासी मजदूर महिला की है। लता दु:खी हैं कि तमिलनाडु में मेहनत-मजदूरी करके उन्होंने थोड़ी-बहुत कमाई की थी, वो सब खत्म हो गई। घर लौटे तो खाली हाथ। वे अपने मासूम बच्चों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रही थीं, जो बार-बार पूछ रहे थे कि मां हम गांव क्यों लौट आए? लता चेन्नई में लोगों के घरों में काम करती थीं। शराबी पति छोड़कर चला गया। लॉकडाउन में जब रोटियों को तरसीं, तो घर के बर्तन तक बेचने पड़े। फिर किसी से श्रमिक ट्रेन की जानकारी दी, तो वो घर लौट आईं। हालांकि वे परेशान दिखीं कि आगे बच्चों को क्या खिलाएंगी? आगे देखिए प्रवासी मजदूरों की समस्याएं दिखातीं इमोशनल तस्वीरें..

214

हजारों प्रवासी मजदूरों को काम-धंधा बंद होने से घर लौटना पड़ा है। यह तस्वीर गुरुग्राम से झारखंड लौटते मजदूरों की है।

314

गुरुग्राम से झारखंड के लिए निकलते प्रवासी मजदूर।

414

झारखंड के प्रवासी मजदूरों को इस तरह सिर पर बोझ उठाकर अपने घर जाना पड़ा। यह तस्वीर गुरुग्राम की है।

514

यह पहली तस्वीर यूपी के प्रयागराज(इलाहाबाद) की है। साधन न मिलने पर अपने घरों के लौटतीं प्रवासी मजदूर महिलाओं ने अपने बच्चों को यूं ट्रॉली में बैठा लिया, ताकि उन्हें धूप से बचाया जा सके। पैदल न चलना पड़े। दूसरी तस्वीर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के तिफरा ओवरब्रिज के पास की है। अपने बच्चे को कंधे पर बैठाकर रायपुर जाता एक मजदूर पिता। यह शख्स झारखंड से निकला था।

614

यह तस्वीर नोएडा की है। घर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर खड़े बच्चे।

714

यह बच्चा ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ के जांजगीर पहुंचा था। करीब 215 किमी उसे पैदल चलना पड़ा। कहीं-कहीं लिफ्ट भी मिली। जब ये जांजगीर पहुंचा, तो उसके नंगे पैर देखकर बिर्रा थाने के प्रभारी तेज कुमार यादव भावुक हो उठे। उन्होंने बच्चे को नई चप्पलें दिलवाईं और उसके परिवार को खाना खिलवाया। इसके बाद गाड़ी का इंतजाम करके सबको घर तक पहुंचवाया।

814

यह तस्वीर जयपुर की है। जब बात मीलों पैदल चलने की हुई, तो जूते-चप्पलों ने भी दगा दे दिया।

914

यह तस्वीर भोपाल से सामने आई थी। यह मासूम बच्चा अपने मां-बाप और छोटे भाई के साथ 700 किमी दूर छत्तीसगढ़ के मुंगेली गांव जाता दिखाई दिया था। बच्चा पैदल ही नंगे पैर चला जा रहा था।

1014

पहली तस्वीर में दिखाई दे रहा मजदूर यूपी के गोरखपुर का रहने वाला है। उसने घर जाने के लिए ट्रेन में सीट बुक कराई थी, लेकिन नहीं मिली। आखिरकार उसने बच्चों को पालकी में बैठाया और हिम्मत करके 1000 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा। दूसरी तस्वीर आंध्र प्रदेश के कडपा जिले की है। यह मजदूर 8 लोगों के परिवार के साथ 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ जाने के लिए निकला था। उसने अपने मासूम बच्चों को पालकी में बैठा रखा था। 

1114

पहली तस्वीर फरीदाबाद की है। एक पैर से विकलांग यह बच्ची अपने परिवार के साथ पैदल घर को निकली थी। दूसरी तस्वीर 10 साल की एक बच्ची की है। वो नंगे पांव चंडीगढ़ के पास से यूपी के उन्नाव के लिए जा रही थी।

1214

यह तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई थी। पश्चिम बंगाल के मालदा की खातून 2500 किमी का सफर पैदल करते दिखाई दी थीं। हैरानी की बात उनकी गोद में मासूम बच्चा था।

1314

यह तस्वीर गाजियाबाद की है। कुछ ऐसे सफर करना पड़ रहा बच्चों को।

1414

पहली तस्वीर फरीदाबाद की है। एक पैर से विकलांग यह बच्ची अपने परिवार के साथ पैदल घर को निकली थी। दूसरी तस्वीर 10 साल की एक बच्ची की है। वो नंगे पांव चंडीगढ़ के पास से यूपी के उन्नाव के लिए जा रही थी।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved