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चौथी पास किसान ने कबाड़ से बना दिया मिनी AC कूलर, 2 लड़कों ने पैदा कर दी जुगाड़ से बिजली

सीकर, राजस्थान. कबाड़ चीजें भी बड़ी उपयोगी होती हैं। कबाड़ की जुगाड़ से अकसर ऐसे आविष्कार सामने आते रहे हैं, जो इंजीनियरिंग की डिग्री वालों को भी हैरान कर कर गए। जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील के बड़ा गांव निवासी किसान शिवराम शेखावत ने भी (दूसरे चित्र में) लॉकडाउन में कामकाज छूटने पर कबाड़ से बड़े काम की चीज बना दी। उन्होंने एक मिनी AC कूलर बनाया है। कबाड़ में पड़ीं चीजों को जोड़कर बनाया गया यह कूलर एक आदमी के लिए पर्याप्त है। शिवराम केवल चौथी पास हैं। उनके आविष्कार की सिर्फ गांव में नहीं, सोशल मीडिया के जरिये दूर-दूर तक चर्चा है। आगे पढ़ें शिवराम के आविष्कार के बारे में ही...

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Asianet News Hindi
Published : Nov 23 2020, 03:52 PM IST| Updated : Nov 23 2020, 03:55 PM IST
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शिवराम बताते हैं कि इस कूलर को चारों तरफ से पैक करके ऊपर पंखा लगाया गया है। जालियों पर पानी का छिड़काव करने टेप रिकार्डर की छोटी मोटर फिट कर दी है। कूलर में छोटे-छोटे छेद हैं, जिनसे ठंडी हवा आती है। आगे पढ़ें-यूट्यूब से सीखकर 'भाई' ने बना डाला कबाड़ से टरबाइन, पूरे गांव को दे डाली फ्री में 24 घंटे बिजली

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लोहरदगा, झारखंड. देश में कई गांव आज भी ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है। वहीं, ऐसे भी गांव हैं, जहां बिजली कभी-कभार आती है। महंगी बिजली और कटौती आम समस्या है। इसी समस्या से झारखंड के लोहरदगा जिले का गांव खड़िया भी जूझ रहा था। बिजली की समस्या से गांव अंधेरे में घिरा रहता था। इसी बीच 28 साल के एक युवक ने देसी जुगाड़ (Desi jugaad science) के जरिये बिजली पैदा करने की ठानी। उसने टरबाइन तकनीक सीखने के लिए यूट्यूब का सहारा लिया। इसके बाद उसने एक गड्ढा खोदा। उसमें टरबाइन स्थापित किया और आज गांव में 24 घंटे मुफ्त बिजली मिल रही है। रखरखाव पर जो थोड़ा-बहुत खर्चा होता है, वो सब मिलकर भर देते हैं। हैरानी की बात यह है कि यह युवक कोई इंजीनियर नहीं हैं। यह हैं इंटर पास कमिल टोपनो। इस प्रोजेक्ट में करीब 12 हजार रुपए खर्च हुए। यह 2500 बॉट की बिजली का उत्पादन करता है। आपको बता दें कि देश के थर्मल पॉवर प्लांट्स को सबसे ज्यादा कोयला झारखंड से ही मिलता है। बावजूद यहां के कई गांव आज भी बिजली के लिए परेशान होते हैं। खैर, कमिल टोपनो ने इसके लिए किसी का मुंह नहीं तांका। उसने खुद टरबाइन बनाया और पानी से बिजली पैदा कर दी। पढ़िए देसी जुगाड़ की यह अद्भुत कहानी...

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खड़िया गांव के ठकुराइन डेरा टोले में करीब 100 परिवार रहते हैं। उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि कभी उनके गांव तक बिजली पहुंचेगी। लेकिन कमिल के जुगाड़ के कमाल ने पूरा गांव रोशन कर दिया। 
आगे पढ़िए इसी आविष्कार की कहानी...

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कमिल के प्रोजेक्ट को देखकर अफसर भी हैरान हैं। किस्को के बीडीओ संदीप भगत ने कहा है कि पहाड़ी इलाकों में बिजली पहुंचाना वाकई टेड़ी खीर है। लेकिन कमिल के इस प्रोजेक्ट ने एक आस जगाई है। अफसर उसका अवलोकन करके ऐसे ही टरबाइन अन्य गांवों में लगाएंगे। आगे पढ़िए इसी आविष्कार की कहानी...

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कमिल ने बिरसा  मुंडा कॉलेज खूंटी से इंटर सांइस की पढ़ाई की है। वे  बीसीसीएल धनबाद में पैथोलॉजी के टेक्नीशियन हैं। कमिल ने बताया कि उन्होंने किताबों में पढ़ा था कि पानी के प्रेशर से कैसे टरबाइन से बिजली पैदा की जा सकती है? बस उसी पर अमल किया। आगे पढ़िए इसी आविष्कार की कहानी...

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कमिल ने यूट्यूब पर टरबाइन बनाने की तकनीक पढ़ी। 2014 में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। फिर दोस्तों के साथ मिलकर गांव के पास कच्चा बांध बनाकर ऑयरा झरिया नदी का पानी रोका। करीब 100 फीट का गड्ढा बनाया और  उसमें टरबाइन स्थापित किया। आगे पढ़ें-बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली...

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रांची, झारखंड. इसे कहते हैं  दिमाग की बत्ती जल जाना!  ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं।  केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था। 

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