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इस गुफा में हनीमून मनाने रुके थे एक राजा, जानिए 5000 साल पुरानी इस जगह से जुड़ी रोचक जानकारी
हजारीबाग, झारखंड. 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे मनाया जाएगा। इस दिन का हर वो महिला-पुरुष बेसब्री से इंतजार करता है, जिनके दिलों में अपने किसी खास को लेकर प्यार होता है। दुनिया में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जो प्यार का प्रतीक हैं। इनमें ताजमहल जैसी कुछ प्रत्यक्ष..तो कुछ प्राकृतिक और प्राचीन जगहें भी..जिनके तले प्यार पनपा। या जहां जाने से प्यार का अहसास बढ़ जाता है। ऐसी ही एक जगह है हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड स्थित इस्को गुफाएं। इन्हें लोग 'इसको गुफा' भी कहते हैं। यहां 5000 साल पुराने शैल चित्र मौजूद हैं। इन पर हथियार और जानवरों की तस्वीरें बनी हुई हैं। इनमें महिलाएं और पुरुष दोनों हथियार उठाए देखे जा सकते हैं। ये चित्र महिला-पुरुष समानता को दिखाते हैं। माना जाता है कि रामगढ़ शासन के छठे राजा हेमेंट सिंह(1642) बादम को अपना निवास बनाया था। कहते हैं कि जब इन राजा की शादी हुई..तो उन्होंने अपनी रानी के साथ इसी गुफा में अपना हनीमून मनाया था। आइए जानते हैं इस गुफा से जुड़ीं कुछ और रोचक बातें...
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इस्को गुफा भले गुमनामी के अंधेरे में पड़ी हों, लेकिन ये प्राचीन इतिहास को दिखाती हैं। ये गुफाएं जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बड़कागांव में स्थित हैं।
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इस्को की गुफा में पत्थरों पर बनाए गए चित्र कोहबर कला का प्रतिबिंब हैं। यह झारखंड की लोककला है।
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कोहबर चित्रकला में नैसर्गिक रंगों का प्रयोग होता है इनकी पेंटिंग में ब्रश भी प्राकृतिक ही होते हैं। उंगलियां, लकड़ी की कंघी (अब प्लास्टिक वाली), दातुन से चित्र उकेरे जाते हैं।
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गुफा के आसपास कोयले की खदाने हैं। लिहाजा वहां होने वाले धमाकों के कारण शैल चित्रों पर बुरा असर पड़ रहा है। कोहबर कला धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है।
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इस्को गुफा देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। खासकर प्रेमी युगल के लिए यह जगह बड़ा सुकून वाला मानी जाती है। हालांकि समय के साथ-साथ यह जगह नष्ट होती जा रही है।
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