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यहां विराजमान है श्रीकृष्ण की दुनिया की सबसे महंगी मूर्ति, कीमत 716 करोड़..लगा है 1280 किलो सोना
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2000 करोड़ है प्रतिमा की एंटिक वैल्यू
दरअसल, यह बंशीधर मंदिर गढ़वा जिले के नगर ऊंटारी में है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत मूर्ति विराजित है। ये प्रतिमा 1280 किलो सोने से बनी है। जिसकी कीमत आज के समय में 716 करोड़ से से ज्यादा मानी जाती है। हालांकि कुछ जानकारो का कहना है कि इस मूर्ति की एंटिक वैल्यू 2000 करोड़ है, क्योंकि साल 2014 में यह कीमत निकली गई थी। यह मूर्ति अष्ट धातु की है और इसका वजन करीब 120 किलो के आसपास है।
5 फीट जमीन के अंदर और 5 फीट जमीन से बाहर है मूर्ति
बंशीधर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा देखने पर करीब 5 फीट लंबी दिखाई देती है। लेकिन इतनी ही लंबाई यानी आधी जमीन के अंदर है, जिसमें श्रीकृष्ण शेषनाग पर विराजमान हैं। कुल मिलाकर मूर्ति की लंबाई 10 फीट है।
दूर-दूर से भक्त आते हैं दर्शन करने
यहां पर दूर से दूर से लोग भगवान बंशीधर के दर्शन करने के लिए आते हैं, श्रीकृष्ण के साथ राधा जी की प्रतिमा भी है। इसलिए मंदिर ट्रस्ट और स्थानीय लोगों ने शहर का नाम नगर ऊंटारी से बदलकर श्री बंशीधर नगर कर दिया है।
त्रिदेवों का स्वरूप है ये मूर्ति
मंदिर के पुजारी धीरेंद्र चौबे का कहना है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के स्वरूप में विराजमान हैं। श्री बंशीधरजी, शिवजी की तरह जटाधारी हैं, विष्णुजी की तरह शेषनाग की शैय्या और कमल के पुष्प पर विराजे हैं। कमल का पुष्प की आसन भगवान ब्रह्माजी जी की है। इस तरह इस मूर्ति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों देवता समाए हुए हैं।
औरंगजेब की बेटी से जुड़ा प्रतिमा का इतिहास
बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास मुगल सम्राट औरंगजेब की बेटी जैबुन्निसा से जुड़ा हुआ है। मंदिर ट्रस्ट के सलाहकार धीरेंद्र कुमार चौबे ने बताया कि जैबुन्निसा भगवान श्रीकृष्ण भक्त थीं। उस समय मुगल देशभर से खजाना लूट कर दिल्ली ले जाते थे। नगर ऊंटारी में शिवाजी के सरदार रुद्र शाह और बहियार शाह रहा करते थे जो मुगलों की चोरी हुई मूर्ति को लूट कर ले जाते थे। उसी दौरान यह मूर्ती भी मुगल चोरी कर कहीं से लेकर जा रहे थे, जिसको बचाकर जैबुन्निसा ने शिवाजी के सरदारों तक पहुंचाई थी। हालांकि इस मूर्ति का इतिहास तो हजारों साल पुराना है, क्योंकि इस पर जिस भाषा में शब्द लिखें उसके कोई नहीं समझ पाता है।
10 लाख लोग आते हैं दर्शन करने
मंदिर के पुजारी ने बताया कि भगवान बंशीधर का यह मंदिर कोरोना के कहर को देखते हुए सारे मंदिर 15 मार्च के बाद से ही बंद हैं। हर साल जन्माष्टमी पर यहां उत्सव बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है। लेकिन इस बार बहुती ही कम लोग यहां पहुंचे हैं। यहां करीब एक साल में लगभग 10 लाख लोग दर्शन करने आते हैं।
यहां के लोग इस मंदिर को मथुरा और वृंदावन के समान ही मानते हैं। बंशीधर का ये मंदिर साढ़े तीन एकड़ में बना हुआ है।