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धोनी को पहली नौकरी देने वाले मेंटर देवल सहाय नहीं रहे, जानिए कौन थे ये

रांची, झारखंड. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के मेंटर देवल सहाय नहीं रहे। 73 वर्षीय सहाय का मंगलवार सुबह मेडिका अस्पताल में निधन हो गया। वे तीन महीने से बीमार थे। सहाय झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष भी रहे थे। उन्होंने 1997-98 में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के निदेशक रहते हुए धोनी को स्टाइपेंड पर रखा था। धोनी की बायोपिक में देवल सहाय के बारे में बताया गया कि उनकी वजह से ही धोनी क्रिकेट की ऊंचाइयों तक पहुंचे। सहाय ने खेल प्रशासक रहते हुए रांची में क्रिकेट का एक जबर्दस्त माहौल बना दिया था। इनके मार्गदर्शन में धोनी के अलावा प्रदीप खन्ना, आदिल हुसैन, अनवर मुस्तफा, धनंजय सिंह, सुब्रत दा, संजीव सिन्हा, राजीव कुमार राजा, सरफराज अहमद समेत कई क्रिकेटरों ने झारखंड का नाम रोशन किया। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में...

4 Min read
Amitabh Budholiya
Published : Nov 24 2020, 02:13 PM IST
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देवल सहाय मेकॉन, CMPDI और CCLमें उच्च पदों पर रहे। इस दौरान उन्होंने खिलाड़ियों को सीधे नियुक्तियां दीं। सहाय के परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है। सहाय का पहला नाम देवब्रत था। प्यार से लोग उन्हें देवल बुलाते थे। सहाय के बेटे अभिनव आकाश ने बताया कि उनके पिता को सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि 9 अक्टूबर को उन्हें छुट्टी मिल गई थी। लेकिन 10 दिन पहले फिर से तबीयत बिगड़ी, तो उन्हें फिर से अस्पताल ले जाना पड़ा। आगे पढ़ें-46 एकड़ में फैला है MS धोनी का फार्महाउस, जानिए इसकी खूबियां और देखिए तस्वीरें कैसे खेती करते हैं माही

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रांची. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सफलता और लोकप्रियता दोनों के ही शिखर पर हैं। अब क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद माही वह अपना सारा समय खेती और डेयरी के साथ-साथ मुर्गा पालन पर ध्यान देंगे। कुल मिलाकर अब माही फुल टाइम खेती करेंगे। हाल ही में वह अपनी फार्महाउस में कड़कनाथ मुर्गा लेकर आए हैं, जिसकी उन्होंने की फार्मिंग की भी योजना बनाई है। इसके लिए उन्होंने  मध्य प्रदेश के झाबुआ में दो हजार चूजों का ऑर्डर दिया है। बता दें कि धोनी का यह फार्महाउस कई खूबियों से भरा पड़ा हुआ है। दरअसल, महेंद्र सिंह धोनी का यह फार्महाउस रांची के सैंबो में है। जिसको लोग इजा फार्महाउस के नाम से जानते हैं। जहां पर माही करीब 43 एकड़ जमीन में सब्जी और फलों की खेती करते हैं। साथ ही यहां पर डेयरी भी बनी हुई है। बताया जा रहा है कि इस फार्महाउस पर वह मुर्गों की फार्मिंग भी करेंगे। आइए जानते इसके बारे में....

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माही ने अपने इस फार्महाउस में बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी, पपीता और अमरूद की खेती कर रहे हैं। इसके लिए वह उन्नत किस्म की बीज देश के अलावा विदेश से लेकर आए हैं। वहीं धोनी के एग्रीकल्चर कंसलटेंट रोशन कुमार ने बताया कि माही का खेती बड़ी दिलचस्पी है। वह समय-समय पर यहां आते रहते हैं और खुद काम करने लग जाते हैं। फलों के अलावा धोनी के इस फार्महाउस में बड़े पैमाने पर सब्जी की भी खेती करते हैं। बताया जाता है कि करीब दो एकड़ जमीन पर उन्होंने सिर्फ मटर लगाया हुआ है। वहीं टपक विधि से गोभी, आलू और टमाटर के अलावा अन्य कई सब्जियां लगाई गई हैं।

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वहीं अपने अलावा धोनी  पत्नी साक्षी और बेटी जीवा को भी अक्सर फार्महाउस घुमाने के लिए ले जाया करते हैं। जिसकी फोटो आय दिन सोशल मीडिया में वायरल होती रहती हैं।  बता दें की धोनी का इसके अलावा एक और फार्महाउस है जिसका नाम 'कैलाशपति' है। यह करीब 7 एकड़ जमीन पर बना हुआ है।
 

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टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धौनी रांची के सिमलिया स्थित अपने फार्म हाउस में मप्र के झाबुआ का प्रोडक्ट कड़कनाथ मुर्गा पालेंगे। धौनी ने इसके लिए थांदला(जिला झाबुआ-मप्र) के पास रूंडीपाड़ा में आशीष कड़कनाथ मुर्गीपालन सहकारी संस्था के विनोद मेड़ा को 2000 चूजों का ऑर्डर दिया है। इसकी डिलीवरी 15 दिसंबर को होगी। विनोद ने बताया कि इस सिलसिले में वे 3-4 महीने से रांची के डॉ. एसएस कुल्डु के संपर्क में थे। वेटनरी डॉक्टर कुल्डु धौनी के पारिवारिक मित्र हैं। बता दें कि इससे पहले कृषि केंद्र झाबुआ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और विराट कोहली को पत्र लिखकर डायट में कड़कनाथ शामिल करने को कहा था।

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यह है कड़कनाथ की खूबी..
विनोद बताते हैं कि कड़कनाथ का एक चूजा 130 रुपए में बिकता है। धौनी ने कड़कनाथ पालने की इच्छा जताई थी। बताते हैं कि डॉ. कुल्डु के एक मित्र झाबुआ कृषि विज्ञान केंद्र में हैं। उनके जरिये ही यह डील हुई। कड़कनाथ हाईप्रोटीन वाला मुर्गा माना जाता है। इसमें वसा कम होते हैं। इसकी ओरिजनल ब्रीड सिर्फ झाबुआ में पाई जाती है। बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्र झाबुआ ने कुछ समय पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और कप्तान विराट कोहली को डायट में ग्रिल्ड चिकन के तौर पर कड़कनाथ खाने की सलाह देते हुए पत्र लिखा था। हैदराबाद के राष्ट्रीय मांस अनुसंधान केंद्र ने भी एक रिपोर्ट में कड़कनाथ चिकन को उपयोगी बताया था।

About the Author

AB
Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं

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