- Home
- States
- Madhya Pradesh
- औरंगाबाद हादसा: उनके लौटने की खबर से घरवाले खुश थे, लेकिन गांव पहुंची टुकड़ों में लाशें, इमोशनल तस्वीरें
औरंगाबाद हादसा: उनके लौटने की खबर से घरवाले खुश थे, लेकिन गांव पहुंची टुकड़ों में लाशें, इमोशनल तस्वीरें
- FB
- TW
- Linkdin
हादसे में मारे गए निर्वेश और राघवेंद्र सिंह शहडोल जिले के अंतौली गांव के रहने वाले थे। वहीं, मुनीम और नेमसा उमरिया जिले के ममान गांव से थे। इन चारों के परिवालवाले इस बात से खुश थे कि काम भले छूट गया, लेकिन वे घर आ रहे हैं। लेकिन कुछ देर बाद जब उनकी मौत की खबर मिली, तो जैसे परिजनों पर पहाड़ टूट पड़ा। बता दें कि मरने वाले 9 मजदूर अंतौली गांव से थे। सब आपस में रिश्तेदार थे। निर्वेश और राघवेंद्र की मां का बहुत पहले निधन हो चुका है। अब घर में अकेले 80 साल के बूढ़े पिता बचे हैं। उन्हें अपने बेटों की मौत का गहरा सदमा लगा है। निर्वेश की कुछ समय बाद शादी होने वाली थी। इस हादसे ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर सरकार की नाकामी को सामने ला दिया है।
यह तस्वीर औरंगाबाद हादसे की रूह कंपाने वाली स्थिति दिखाती है। तीन मजदूर पटरी से दूर सो रहे थे, इसलिए उनकी जान बच गई। हादसे के बाद पटरी पर टुकड़ों में लाशें पड़ी थीं। खून से सनी रोटियां बिखरी पड़ी थीं।
यह तस्वीर रांची की है। स्पेशल ट्रेन से मजदूरों को उनके घर रवाना किया गया। लेकिन काम-धंधा बंद होने का दर्द उनके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।
यह तस्वीर गाजियाबाद की है। पैदल अपने घरों को निकले लोग थककर ब्रिज के नीचे सो गए।
पटियाला से आजमगढ़ जाने वाली स्पेशल ट्रेन में मायूस बैठा एक शख्स।
यह तस्वीर रांची की है। इनके हाथों में फूल हैं, लेकिन जिंदगी की राह में कांटे बिछे हैं।
लॉकडाउन ने बाहर काम करने वाले लोगों की सबसे ज्यादा फजीहत कराई है।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। काम-धंधा छिन जाने के बाद मजदूरों की हालत बहुत खराब है।
सिर पर गृहस्थी का बोझ लेकर पैदल घरों को जाते लोग।