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बेटी को क्या मालूम था कि पिता की मौत के बाद उसे मोपेड चलाकर मायके से ससुराल लौटना पड़ेगा
बालाघाट, मध्य प्रदेश. लॉकडाउन के दौरान जगह-जगह फंसे लोगों की कई भावुक तस्वीरें सामने आ रही हैं। कुछ लोग पैदल घरों को जा रहे हैं, तो किसी को जो साधन मिला..उससे निकल पड़े। कोई साइकिल, कोई बैलगाड़ी..तो कोई रिक्शा। यह महिला अपने मायके आई थी। उसके पिता का निधन हो गया था। तेहरवीं के बाद जब वो घर लौटने को हुई, तो लॉकडाउन हो गया। उसने परमिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन नहीं मिला। आखिरकार उसने अपने पिता की अंतिम निशानी मोपेड उठाई और अपने बेटे को बैठाकर घर के लिए निकल पड़ी। महिला की ससुराल 500 किमी दूर टीकमगढ़ के बोधिर गांव में है। द्रोपदी नामक यह महिला अपने 8 साल के बेटे को मोपेड पर बैठाकर घर जाते दिखाई दी।
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महिला लंबे समय से ई-पास का इंतजार कर रही थी। लेकिन जब इंतजार खत्म नहीं हुआ, तो वो मोपेड से ही निकल पड़ी। महिला ने बताया कि वो 30 जनवरी को बालाघाट आई थी। उसका बेटा नाना-नानी के पास रहकर ही पढ़ रहा है। मार्च में बेटे की परीक्षा को देखते हुए वो यहीं रुक गई थी। फिर वापस नहीं जा सकी। आगे देखें लॉकडाउन के दौरान पैदल घरों को जाते प्रवासी मजदूरों की तस्वीरें...
यह तस्वीर जयपुर की है। मां के पीछे चले आ रहे मासूम बच्चों को नहीं मालूम कि वे घर कितने दिनों में पहुंचेंगे।
यह तस्वीर भुवनेश्वर की है। ऐसे हजारों मजदूर परिवार पैदल तपती सड़कों पर घर जाते दिखाई देते हैं।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। सैकड़ों लोग साइकिल से ही अपने घरों को निकल पड़े हैं।
यह तस्वीर राजस्थान की है। कड़ी धूप में महिलाएं ऐसे अपने घरों की ओर जाते दिखाई दे रही हैं।
यह तस्वीर लखनऊ की है। सैकड़ों परिवार ऐसे मिनी ट्रकों में भरकर घर को निकले।
यह तस्वीर नोएडा की है। सैकड़ों रिक्शा चालक अपने इसी साधन से घर को निकल पड़े।
यह तस्वीर चंडीगढ़ की है। रास्ते में जो मिलता है, उसे खाकर आगे बढ़ लेते हैं मजदूर।