- Home
- States
- Madhya Pradesh
- मासूम बेटी 800 किमी पैदल कैसे चलती, यह सोचकर पिता ने लकड़ी से गाड़ी बनाई और फिर गर्भवती पत्नी के साथ चल पड़ा
मासूम बेटी 800 किमी पैदल कैसे चलती, यह सोचकर पिता ने लकड़ी से गाड़ी बनाई और फिर गर्भवती पत्नी के साथ चल पड़ा
बालाघाट, मध्य प्रदेश. लकड़ी की हाथ गाड़ी पर बैठी इस 2 साल की मासूम के लिए यह कुछ देर तक खेल था। लेकिन जब पिता लगातार उसे बैठाकर गाड़ी खींचता रहा, तो बच्ची मायूस हो गई। उसे समझ आ गया कि यह खेल नहीं, मजबूरी है। यह मजदूर परिवार हैदराबाद से 800 किमी का सफर करके जब मप्र के बालाघाट अपने गांव पहुंचा, तो रास्ते में उसे देखकर पुलिसवाले भावुक होकर रो पड़े। बच्ची की मां गर्भवती है। वो भी पैदल चल रही थी। बेटी को पैदल न चलना पड़े और अगर उसे लादकर चलते, तो भी इतना लंबा सफर तय करना आसान नहीं था। लिहाजा, मजबूर पिता ने दिमाग दौड़ाया और बाल बियरिंग के जरिये लकड़ी की एक गाड़ी बना ली। उस पर बच्ची बैठाया..सामान को रखा और चल पड़ा।
- FB
- TW
- Linkdin
भावुक करने वाला यह मंजर मंगलवार की दोपहर बालाघाट में देखने को मिला। रामू नामक यह शख्स हैदराबाद में मजदूरी करता था। काम-धंधा बंद होने से जब खाने के लाले पड़े, तो वो अपनी गर्भवती पत्नी और 2 साल की बेटी को लेकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़ा।
कुछ किमी तक रामू अपनी बेटी को गोद में उठाकर चलता रहा। फिर उसे लगा कि इस तरह 800 किमी का सफर संभव नहीं है। गर्भवती पत्नी भी सामान कब तक उठा पाती? इसके बाद रामू ने बांस-बल्लियों और बाल बियरिंग की मदद से एक गाड़ी बनाई।
रामू ने गाड़ी पर सामान रखा और उस पर बच्ची को बैठा दिया। इसके बाद दम्पती सफर पर निकल पड़े।
इस दम्पती को हैदराबाद से बालाघाट तक पहुंचने में करीब 17 दिन लगे। बालाघाट बॉर्डर पर जब पुलिसवालों ने इस दम्पती को देखा, तो बच्ची के लिए बिस्किट और उनके लिए चप्पलों का इंतजाम किया।
लांजी के एसडीओपी नितेश भार्गव ने कहा कि बालाघाट पहुंचने के बाद पुलिस ने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और दम्पती को उनके गांव तक पहुंचवाया।