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Bhopal Gas Tragedy: मिनटों में हुईं हजारों मौतें, लाशों का लगा था अंबार, आज भी रुला देतीं हैं ये तस्वीरें
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मिक नामक जहरीली गैस के रिसाव हुआ था भोपाल गैस कांड
भोपाल गैस त्रासदी की वजह यहां स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी (Union Carbide Company) से कीटनाशक संयंत्र में मिथाइल आइसो साइनेट (मिक) गैस का रिसाव होना था। इस जहरीली गैस से ट्रेजडी में जान गंवाने वाले लोगों की याद में हर साल 2 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day) मनाया जाता है।
औद्योगिक आपदा के रूप में जानी जाती है ये आपदा
भोपाल गैस त्रासदी विश्व इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रूप में जानी जाती है। इस पूरी घटना के बाद आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोगों को घुटन, खांसी, आंखों में जलन, पेट फूलना और उल्टियां तक होने लगीं। उसके कुछ देर बाद अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ पहुंचने लगी थी।
त्रासदी में खोने वाले परिवार आज भी दंश झेल रहे
इस दुर्घटना का असर सालों-साल तक चला था, क्योंकि कैंसर और जन्म दोषों के काफी बढ़ गए थे। कई लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए, जो आज भी त्रासदी की मार झेल रहे हैं। अब भी कई लोग ऐसे हैं जो उचित मुआवजा और न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। गैस पीड़ितों में सबसे बुरी हालत उन महिलाओं की हैं, जिन्होंने अपने पति को इस त्रासदी में खो दिया।
कई विधवाओं को नहीं मिली अब तक पेंशन
कई महिलाओं को विधवा पेंशन योजना के तहत हर महीने 1 हजार रुपए की राशि मिलती है तो बहुत-सी महिलाएं ऐसी भी है जो अब तक इससे वंचित हैं। सरकारों ने घोषणाएं कीं, लेकिन लाभ अब तक नहीं मिल पाया है।
मरने वालों का अब तक नहीं आ सका सही आंकड़ा
इस दर्दनाक हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड के मुख्य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन रातोंरात भारत छोड़कर अमेरिका भाग गया था। इस दर्दनाक घटना ने पूरी नस्ल को बर्बाद करके रख दिया है। भोपाल गैस त्रासदी के बाद मौत का सही आंकड़ा भी कभी सामने नहीं आ सका है, जो कड़वा सच है।
दोषियों को मिली थी 2-2 साल की सजा
त्रासदी के बाद जिन बच्चों ने जन्म लिया, उसमें कई दिव्यांग थे। आज भी प्रभावित इलाकों में कई बच्चे असामान्यताओं के साथ जन्म ले रहे हैं। दूसरी तरफ इस घटना को लेकर 7 जून 2010 को स्थानीय कोर्ट ने फैसला भी सुनाया। लेकिन, दोषियों को सिर्फ दो-दो साल की सजा सुनाई गई थी।
घटना के मुख्य दोषी की हो गई मौत
बाद में सभी दोषी जमानत पर रिहा कर दिए गए। जबकि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के तत्कालीन चीफ और इस त्रासदी के मुख्य आरोपी वरिन एंडरसन की भी 29 सिंतबर 2014 को मौत हो गई।
दूषित पानी को मजबूर हैं लोग
गैस राहत के अस्पतालों में हांफते-कांपते मरीजों की लंबी लाइन आज भी देखने को मिल जाती है। गैस कांड से प्रभावित इलाके में स्वच्छ पानी देने के लिए साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश किया, लेकिन आज भी लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं।
बीमारियों के शिकंजे में आ रहे हैं लोग
दूषित पानी पीने से लोगों को घुटन, आंखों में जलन, उल्टी, पेट फूलना, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों में पानी भर जाना जैसी आदि समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इसके अलावा, फैक्ट्री में जमा कचरा, हवा, पानी, जमीन को प्रदूषित कर रहा है।
घातक रसायनों को अब तक नहीं किया डिस्पोज
यूनियन कार्बाइड प्लांट में पड़े घातक रसायनों को अब तक ठिकाने नहीं लगाया गया, इन रसायनों ने कारखानों के आसपास हवा, पानी, मिट्टी में जहर घोल दिया है।
भोपाल गैस त्रासदी पर फिल्म बनी
इधर, सरकार पीड़ितों के दर्द पर आज तक मरहम नहीं लगा पाई। इस हादसे को 37 साल हो गए हैं। आलम ये है कि आज भी पीड़ित मुआवजे समेत बुनियादी जरूरतों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इस दर्दनाक हादसे को
लेकर साल 2014 में फिल्म 'भोपाल ए प्रेयर ऑफ रेन' बनी थी।
अब वेब सीरिज की शूटिंग
इसके अलावा, यशराज फिल्म भी अपनी पहली वेब सीरीज भोपाल गैस त्रासदी पर बनाने जा रहा है। एक दिन पहले यानी 1 दिसंबर से शूटिंग शुरू हो गई है। इसका टायटल ‘द रेलवे मैन’ है। इस सीरीज में आर माधवन और इरफान के बेटे बाबिल लीड एक्टर हैं। उनके साथ साथ केके मेनन और दिव्येंदु शर्मा भी नजर आएंगे।
गुमनाम हीरोज को श्रद्धांजिल देंगे
यशराज फिल्म्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अक्षय विधान ने कहा- ‘भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बुरा इंडस्ट्रियल एक्सिडेंट है। इससे कई लोगों पर असर हुआ है। हमारा प्रोजेक्ट इस त्रासदी के उन गुमनाम हीरोज को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने बदकिस्मती भरी उस रात में हजारों लोगों की जान बचाई थी। मगर वे दुनियाभर के लोगों के लिए अभी भी अनजान हैं।’