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भोपाल के अस्पताल में मासूमों की मौत: किसी मां ने नवजात को देखा तक नहीं, कोई सलामती की दुआ मांग रहा
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ना जाने किस हालत में होगा मेरा बच्चा...
सीहोर के रईश खान ने बताया कि उनका बच्चा पांच दिन से अस्पताल में भर्ती है। उनके साथ खड़ी पत्नी की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। वह अस्पताल स्टाफ से अपने बच्चे के बारे में पूछ रही थी। रईश का कहना था कि उनके बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है। उसे आईसीयू में रखा है। आग के बाद ना जाने किस हालत में होगा बच्चा... कोई खबर नहीं मिल रही है।
मुझे अंदर आने देते तो सारे बच्चों को निकाल लेता...
राजगढ़ निवासी रमेश दांगी ने बताया कि उनकी पत्नी सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती हैं। तीन दिन पहले उनके घर दो जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ। बच्चों को अभी मां ने देखा तक नहीं है। डॉक्टरों ने बच्चों को पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती किया है। रात करीब 8 बजे वह दूध लेकर आए थे। उन्होंने दूध की डिब्बी रखकर सिस्टर को बोला कि यह दूध पिला देना। सिस्टर ने कहा कि रख दो, अभी थोड़ी देर में पिलाएंगे। मैं कुछ दूरी तक गया ही था कि इतने में आग लगने का शोर सुनाई दिया। मैं दौड़कर वापस आया तो देखा कि वार्ड के अंदर धुआं भर गया है। मैंने सिस्टर को बोला कि गेट खोलो, इन बच्चों को निकाल लेते है। लेकिन, सिस्टर ने गेट नहीं खोला। इस मैंने सोचा कि धुएं में बच्चे मर जाएंगे। काले धुएं कुछ दिखाई नहीं दे रहा। मैंने गेट पर लात मारना शुरू किया, लेकिन गेट नहीं टूटा। इसके बाद मैंने हाथों से गेट तोड़ने की कोशिश की। जिससे कई जगह चोट लग गई। जब गेट तोड़ने के बाद देखा तो वहां स्टाफ भाग गया था। अंदर कुछ भी दिखाई नहीं दिया। धुआं के कारण आंखों में आंसू आ रहे थे। बच्चे भी नहीं दिख रहे थे। रमेश कहते हैं कि यदि उस समय सिस्टर गेट खोल देती तो मैं अपने बच्चों के साथ दूसरों के बच्चों को भी बचा कर बाहर ले आता। मैंने सुबह ही पत्नी की छुट्टी के लिए बोला था, लेकिन छुट्टी नहीं दी।
हमें बच्चे के बारे में बता दो...
भोपाल के बागमुगालिया की सोनी रो रही थी। वो यहां अस्पताल के बाहर बदहवास हालत में थी और अपने भांजे के बारे में हर किसी से पूछ रही थी। बच्चे की मां भी हमीदिया अस्पताल में भर्ती है। सोनी ने डॉक्टर से पूछा तो बोलते हैं कि बच्चा भी सीरियस है और मां भी सीरियस है। हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा है। हमें अपने बच्चे के बारे में बता दो, हम चुप हो जाएंगे।
बच्चे से दो दिन से नहीं मिला...
राजगढ़ के वासिद खान भी अस्पताल के बाहर बच्चे के बारे में जानकारी के लिए परेशान होते देखे गए। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती थी। 15 दिन का बच्चा है। मैं बच्चे से दो दिन से नहीं मिला हूं। अभी भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है। हमें अपने बच्चे के बारे में जानकारी चाहिए और जोर से रोने लगते हैं।
धुएं इतना था कि मास्क भी पड़ गया काला..
राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ के पर्वत सिंह की 7 दिन की पोती भी कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती है। जबकि बच्ची की मां हमीदिया अस्पताल में भर्ती है। पर्वत बताते हैं कि वे बाहर खड़े थे, तभी रात करीब 8 बजे पता चला कि आईसीयू में आग लग गई है। यह सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई। वहां पहुंच तो वहां धुआं ही धुआं था। सीढ़ियों पर भीड़ लग गई थी। धुएं में मेरा मास्क भी काला हो गया। डॉक्टरों से पूछा तो कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं था। यहां कोई हमें जानकारी ही नहीं दे रहा है।
बता दें कि इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपर मुख्य सचिव को जांच सौंपी है। इसके अलावा, मृतक नवजात बच्चों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए के आर्थिक मुआवजे का भी ऐलान किया गया है।
हादसे का कारण अब तक स्पष्ट नहीं
हादसे का कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। चर्चा है कि सिलेंडर या वेंटिलेटर में ब्लास्ट होने से आग भड़की। वहीं, शॉर्ट सर्किट की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा। मुख्यमंत्री मामले में रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन को बच्चों की सुरक्षा और इलाज के निर्देश दिए हैं।