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क्या आप जानते हैं कैसे बना था देश का दिल मध्य प्रदेश, जानिए ऐसी अनसुनी बातें जिन्हें नहीं जानते होंगे आप
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मध्य प्रदेश को राज्य बनाने में ये कठिनाईयां थीं...
देश का दिल कहे जाने वाला राज्य मध्य प्रदेश आज 1 नवंबर 2021 को अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुई थी। भारत के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश की स्थापना तत्कालीन भारत सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण रही थीं, जिसका मुख्य कारण था चार प्रान्त- मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर एक राज्य बनाना, लेकिन असल में इन बड़े प्रांतों में रहने वाली जनता अलग-अलग विचार, जीवनशैली, खान-पान, रहन-सहन, लोक संस्कृति और आचार-विचार की थी, बहुत-सी बहस और विचार-विमर्श के बाद आखिरकार मध्य-प्रदेश बना। पुनर्गठन के पहले इसे मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था। 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पं. रविशंकर शुक्ल का लाल परेड ग्राउंड पर पहला भाषण हुआ था।
मध्य प्रदेश के अस्तित्व की ये सच्चाई
भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को कुछ चुनिंदा इलाकों को छोड़कर देशभर में संविधान लागू हुआ था। इसके बाद साल 1951-1952 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए। जिसके बाद संसद और विधान मंडल अस्तित्व में आए। प्रशासन की दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया। साल 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को नए राज्य के रूप में मध्य प्रदेश की स्थापना की गई। इस राज्य का पुर्नगठन भाषीय आधार पर किया गया। इसके घटक राज्य मध्य प्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं। इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। बता दें कि देश के मध्य में होने के कारण पहले इसे मध्य भारत के नाम से भी जाना गया था।
भोपाल को ऐसे राजधानी चुना गया...
1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी किया गया। लंबी कशमकश के बाद आखिरकार देश-प्रदेश का दिल कहे जाने वाले भोपाल शहर को प्रदेश की राजधानी के रूप में चुना गया। हालांकि, उस समय भोपाल को जिला घोषित नहीं किया गया था। इसे साल 1972 में जिला घोषित किया गया। इससे पहले भोपाल सीहोर जिले में आता था। मध्य प्रदेश के गठन के समय प्रदेश में कुल 43 जिले ही बनाए गए थे। लेकिन, वर्तमान में बढ़ती आबादी के कारण व्यवस्थाओं को सुचारू ढंग से चलाने के लिए अब तक मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले बनाए जा चुके हैं।
इन शहरों में कड़ी टक्कर के बाद भोपाल में राजधानी पर मुहर
मध्य प्रदेश की स्थापना होने से पहले इसकी राजधानी को लेकर लंबी खीचतान भी देखने को मिली। राज्य के कई बड़े शहरों को राजधानी के स्तर पर रखकर आंका गया। कई क्षेत्रीय विवाद भी सामने आए। भोपाल से ज्यादा ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर का नाम काफी आगे रहा। इसी को देखते हुए जबलपुर में हाईकोर्ट भी स्थापित कर दी गई। लेकिन फिर कुछ क्षेत्रीय कारणों और यहां नवाबी भवनों की संख्या ज्यादा होने के चलते सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त जगह होने के कारण भोपाल को राजधानी चुना गया।
भोपाल के लिए ये भी कारण रहे...
भोपाल को राजधानी के रूप में चुने जाने के पीछे यहां का क्लाइमेट भी बहुत महत्व रखता है। पहाड़ी इलाके यानी ऊंचाई पर बसे इस शहर का हर मौसम अनुकूल रहता है। ना यहां अन्य शहरों के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ती है, ना ही सर्दी और ना ही थोड़ी सी बारिश से यहां बाढ़ के हालात बनते हैं, इसलिए यहां अन्य शहरों के मुकाबले विकसित किये जाने के ज्यादा मौके थे। इसके अलावा जिस तरह मध्य प्रदेश देश के बीचो बीच स्थित है, ठीक उसी तरह भोपाल भी प्रदेश के बीचों बीच स्थित है। यहां से प्रदेश में चारों और के हालात ज्यादा बेहतर ढंग से जाने जा सकते थे।
आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की झलक देखने को मिलेगी
मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक और खेलकूद कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में आपको आत्म-निर्भर मध्य प्रदेश की झलक नजर आएगी। क्योंकि इस बार मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस आत्म निर्भर मध्य प्रदेश के रूप में मनाया जाएगा।
लाल परेड ग्राउंड पर ये कार्यक्रम होंगे
मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर लाल परेड ग्राउंड पर शाम साढ़े 6 बजे से कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस अवसर पर डांस, गीत-संगीत, वाद विवाद प्रतियोगिता, मैराथन, दौड़, प्रभातफेरी, रैली आदि आयोजन किए जाएंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। इस अवसर पर जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, लोकतंत्र सेनानियों एवं शहीद सैनिकों के परिवारों का भी सम्मान किया जाएगा।