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कोरोना का भयावह मंजर: कैसे बिछा रहा लाशें, देखिए दिल कंपा देने वाली तस्वीरें..सिर्फ खौफ और मौत की चीखें
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कोरोना के भयावह मंजर की यह तस्वीर राजधानी भोपाल के भदभदा विश्रामघाट की है, जहां शव जलाने वाले शेड कम पड़ गए। विश्रामघाट में अंतिम संस्कार कराने वाले कर्मचारियों को हर 5 से 10 फीट पर खुले में चिताएं रखकर जलानी पड़ीं। बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे के भीतर 41 कोरोना संक्रमितों के शव पहुंचे। चारो तरफ शव ही शव दिख रहे थे।
कोरोना की सबसे मार्मिक तस्वरी देखिए जो सूरत शहर के अस्पताल से सामने आई है। मासूम अभी महज 11 दिन का है, परिजनों ने उसे गोद में भी नहीं उठाया और उसे कोरोना का ग्रहण लग गया। जन्म के पांच दिन बाद पता चला कि नवजात संक्रमित हो गया है। जिसे इलाज के लिए वेंटीलेटर पर रखना पड़ा। बच्चे को जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया गया है। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चों को उसकी मां से कोरोना हुआ है।
गुजरात में कोरोना जिस रफ्तार से पैर पसार रहा है वह बेहद डरावना है। अहमदाबाद शहर के सबसे बड़े अस्पताल में 1200 बेड कोरोना मरीजों से फुल हो चुके हैं। अगर किसी को भर्ती होना है तो लंबा इंतजार करना होगा। आलम यह था कि अस्पताल के सामने एंबुलेंस की लाइनें लगी हुई थीं, जिनमें मरीज तड़प रहे थे। कुछ को एम्बुलेंस में ही मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है। परिजन दुखी हैं कि कब उनका नंबर आए और वह मरीज को भर्ती करा दें।
कोरोना की दर्दनाक तस्वीर एक ऐसी भी सामने आई है जहां मरीज की मौत के बाद अस्पताल ने शव को शव चादर में लपेटकर परिजनों को सौंप दिया। बेबसी में परिजन बिना पीपीई किट के ही शव को विश्रामघाट लेकर पहुंचे। महज 5 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए एंबुलेंस 17 घंटे बाद मिली।
सरकारी सिस्टम की शर्मनाक तस्वीर यह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल की है, जो शासन-प्रशासन के खोखले दावों को बयां कर रही है। यहां एक कोरोना पॉजिटिव महिला इलाज के लिए तड़पती रही, काफी देर हो जाने के बाद उसे जमीन पर लेटाकर की ऑक्सीजन दी गई।
यह तस्वीर भी राजधानी भोपाल की है, जब शहर के अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने लगी तो परिजन अपने मरीजों को एक अस्पताल से लेकर दूसरे अस्पताल लेकर खुद पहुंचे। दरअसल कुछ अस्पतालों ने तो यह कहकर मरीजों की छुट्टी कर दी कि हमारे यहां पर ऑक्सीजन नहीं है, कहीं और ले जाओ।