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हे भगवान...बेटे के अंतिम संस्कार से पहले पिता की भी मौत, पूरे गांव में दहशत..घर से बाहर नहीं निकले लोग
| Published : Apr 05 2020, 03:20 PM IST / Updated: Apr 05 2020, 03:33 PM IST
हे भगवान...बेटे के अंतिम संस्कार से पहले पिता की भी मौत, पूरे गांव में दहशत..घर से बाहर नहीं निकले लोग
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दरअसल, यह घटना आलीराजपुर जिले के उदयगढ़ में हुई है। जहां करीब चार से पांच दिन से बीमार एक युवक ने इसाल के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। जहां मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए गांववाले और पिता शव लेकर श्मशानघाट पहुंचे थे। पिता बेटे के दाह संस्कार के लिए लकड़ियां इकट्ठी कर रहा था, लेकिन अचानक उसने दम तोड़ दिया, पूरे गांव में हड़कंप मच गया। जैसे ही इस बात की जानकारी कलेक्टर को पता चली तो उन्होंने बाप-बेटे का दाह संस्कार रुकवा दिया। स्वास्थ्य विभाग दोनों के शवों का पहले सैंपल लेगा, इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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शनिवार को छिंदवाड़ा में 33 साल के किशन लाल की कोरोना वायरस के चलते मौत हो गई। उसका नसीब तो देखो उसके अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे तक नसीब नहीं हुए। यहां तक कि उसके अपने घरवाले भी उसको आखिरी बार नहीं देख सके। स्वास्थ्य विभाग के 3 कर्मचारी ने ही उनका अंतिम संस्कार किया।
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रायसेन शहर के शिक्षा विभाग में कर्मचारी अशोक शर्मा की कैंसर की बीमारी के चलते निधन हो गया। घरवालों के सामने यह समस्या थी कि वह उनका अंतिम संस्कार कैसे करें। क्योंकि शहर में चार लोग एक साथ घर से बाहन नहीं निकल सकते। घरवाले और कॉलोनी के लोग शवयात्रा निकालना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी।आखिर में पुलिस ने मृतक परिवार के घर पहुंचकर स्वास्थ्य विभाग की टीम को बुलाया। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने शव को सैनिटाइज कर पैक किया। फिर शव को श्मशान घाट ले जाया गया। जहां महज परिवार के 4 लोगों की मौजदूगी में अंतिम संस्कार किया गया।
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ऐसा मामला 30 मार्च को यूपी के नोएडा में सामने आया था। जहां कोरोना पॉजिटिव बेटा कैंसर पीड़ित पिता की मौत के बाद अंतिम संस्कार नहीं कर सका। पीड़ित की पत्नी, दो बेटे, बहन और भांजे को पहले ही आइसोलेशन में भेज दिया गया था। ऐसे में प्रशासन ने 4 लोगों ने सेफ्टी किट पहनकर युवक का अंतिम संस्कार किया था।
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झारखंड के हेहल के रहने वाले 66 वर्षीय अशोक सिंह की 2 अप्रैल को मौत हो गई थी। जहां दोपहर को ही उनका शव अंतिस संस्कार के लिए एंबुलेंस से हरमू मुक्तिधाम लाया गया। मृतक की शवयात्रा में सिर्फ पांच लोग ही मौजूद थे। जिसमें मृतक के बेटा, दामाद और परिवार के एक सदस्य और था। आसपास के लोग दूर से शव को नमन कर रहे थे।