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51 साल के हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, 4 हजार करोड़ के महल में रहता है परिवार, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की देश-विदेश में एक अलग पहचान है। वे अपने पिता माधवराव सिंधिया के नक्शे-कदम पर चले और राजनीति में अलग मुकाम हासिल किया। कांग्रेस से सियासत शुरू की और अब बीजेपी में शामिल होकर मोदी सरकार में ओहदेदार मंत्री बन गए।
BJP में शामिल होने के बाद उन्होंने कई मिथक तोड़े। सबसे खास था- राजघराने की 160 साल पुरानी परंपरा। हाल ही में वे ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर गए और माथा टेका। सिंधिया की मां किरण राज्य लक्ष्मी देवी नेपाल राजपरिवार की सदस्य थीं।
ग्वालियर के जयविलास पैलेस में 400 कमरे हैं और 12 लाख 40 हजार 771 वर्ग फीट में फैला है। यहां सिंधिया अपने परिवार के साथ रहते हैं। इस राजमहल को फ्रांसीसी आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस ने डिजाइन किया था।
146 पहले सन 1874 में जयविलास के निर्माण में एक करोड़ रुपए खर्च हुए थे। विदेशी कारीगरों की मदद से जय विलास महल को बनाने में 12 साल का समय लगा था। जयविलास पैलेस में साल 1964 में म्यूजियम शुरू हुआ।
जयविलास महल की दूसरी मंजिल पर बना दरबार हॉल बना है। यहां हॉल की दीवारों और छत को पूरी तरह सोने-हीरे-जवाहरात से सजाया गया है। दुनिया का सबसे ज्यादा वजनी झूमर लगाया गया है। साढ़े तीन हजार किलो के झूमर को लटकाने से पहले कारीगरों ने छत की मजबूती को परखा था, इसके लिए छत पर 10 हाथियों को 10 दिन तक खड़ा किया था।
ये हाथी छत पर चहलकदमी करते रहे। जब छत की मजबूती का भरोसा हो गया, तब फ्रांस के कारीगरों ने इस झूमर को छत पर लटकाया। रिसायतकाल में जब भी कोई राजप्रमुख या बड़ी शख्सियत ग्वालियर आते थे तो उनका खास स्वागत दरबार हॉल में ही किया जाता था।
नीचे डायनिंग हॉल बना है। यहां शाही परिवार का भोज होता था। यहां बड़ी डायनिंग टेबल लगी है, इसके आसपास एक वक्त में 50 से ज्यादा लोग शाही भोजन करते थे। खास बात ये है कि भोजन के दौरान परोसने के लिए किसी कर्मचारी की जरूरत नहीं पड़ती थी।
चांदी की ट्रेन से मेहमानों को खाना परोसा जाता था। ट्रेबल पर ट्रेन के लिए बाकायदा पटरी बनाई गई थी। इस पटरी पर चांदी की ट्रेन चलती थी। ट्रेन के डिब्बों में अलग-अलग लजीज पकवान होते थे। ट्रेन मेहमान के सामने रुक जाती, फिर भोजन लेने के बाद आगे रवाना होती थी।
साल 2001 में 30 सितंबर को उनके पिता माधवराव सिंधिया का हवाई जहाज हादसे में निधन हो गया था। इसी साल 18 दिसंबर को ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हुए।
वे 2002 में अपने पिता की लोकसभा सीट गुना से उपचुनाव लड़े और 4.50 लाख वोट से जीतकर पहली बार सांसद बने।
2004 में भी ज्योतिरादित्य यहां से चुनाव जीते। 2007 में मनमोहन सिंह सरकार मे केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री बनाए गए।
साल 2009 में गुना से लगातार तीसरी बार जीते और मनमोहन सिंह सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाए गए। 2014 में सिंधिया फिर चौथी बार जीते। हाल ही में साल 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव हार गए और बीजेपी के केपी सिंह यादव ने डेढ़ लाख वोटों से लोकसभा चुनाव जीत लिया।
साल 2020 में 10 मार्च को सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हो गए। उसके बाद राज्यसभा सांसद बने और मोदी सरकार में केंद्रीय नगरिक उड्डयन मंत्री बनाए गए।