रेअर PHOTS:जानें एक सीधी-सादी लड़की कैसे बनी 'बैंडिट क्वीन'
| Published : Aug 09 2019, 03:05 PM IST
रेअर PHOTS:जानें एक सीधी-सादी लड़की कैसे बनी 'बैंडिट क्वीन'
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कहा जाता है कि फूलन देवी कठोर दिल वाली थीं। लेकिन इसके पीछे बहुत बड़ा कारण था। जानकारों की मानें तो उन्हें हालात ने बेंडिट क्वीन बनने पर मजबूर किया, जिससे फूलन को कठोर दिल का कहा जाने लगा। वक्त ने उन्हें इतना कठोर बना दिया कि बहमई में उन्होंने एक साथ 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके मार दिया था।
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मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद भी सभी उन्हें पकड़ने में नाकाम हुए थे। 1983 में इंदिरा गांधी की सरकार में समझौता किया गया कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा और ना ही उनके परिवार को कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा। इसके बाद इन सभी शर्तों को मानते हुए फूलन देवी ने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
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करीब 11 साल जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ये रिहाई उस वक्त की गई थी, जब दलित उनके समर्थन में आ गए थे। उन्हें इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। रिहाई के बाद उन्होंने बौद्ध धर्म में अपना धर्म बदल लिया था।
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1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से लोकसभा चुनाव जीता और वे संसद पहुंची। 25 जुलाई , 2001 को दिल्ली आवास पर फूलन की हत्या कर दी गई। उनके परिवार में सिर्फ उनके पति उम्मेद सिंह हैं।
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फूलन देवी के जीवन आधारित किताब भी लिखी गई है। जिसका नाम 'बैंडिट क्वीन: द स्टोरी ऑफ फूलन देवी' है। इसी किताब के नाम पर फिल्म भी बनाई गई है।
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फूलन देवी की हत्या शेर सिंह राणा ने की थी। जिसे दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया था। हत्या के बाद शेर सिंह फरार हो गया था। इसके बाद उसने एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए दावा किया कि अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लाने की कोशिश की थी।
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फूलन देवी का हत्यारा शेर सिंह राणा ने बड़ा मलहारा जिला छतरपुर, मध्य प्रदेश से 2008 में विधायक रहे राणा प्रताप सिंह की बेटी प्रतिमा के साथ पिछले साल शादी की थी।
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फूलन देवी।
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फूलन देवी सांसद के रूप में।
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फूलन देवी आत्मसमर्पण करते हुए।