MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Madhya Pradesh
  • मध्यप्रदेश की 5 हस्तियों को Padma Shri, किसी ने कला के दम पर पाया मुकाम, किसी ने सेवा में दिन-रात एक कर दिया

मध्यप्रदेश की 5 हस्तियों को Padma Shri, किसी ने कला के दम पर पाया मुकाम, किसी ने सेवा में दिन-रात एक कर दिया

भोपाल : साल 2022 के लिए घोषित पद्म पुरस्कारों में मध्यप्रदेश (madhya pradesh) के पांच लोगों को चुना गया है। इन हस्तियों को पद्मश्री (Padma Shri) अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने इसका ऐलान किया। अर्जुन सिंह धुर्वे को कला के क्षेत्र में, अवध किशोर जड़‍िया को कला और शिक्षा के क्षेत्र में, डॉ. नरेंद्र प्रसाद मिश्रा को मेडिसिन के क्षेत्र में और राम सहाय पांडे तथा दुर्गा बाई व्योम को कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्‍मान मिलेगा। इनमें से तीन ऐसे हैं, जिन्होंने गरीब परिवार में जन्म लिया और अपनी काबिलियत के दम पर यहां तक का मुकाम बनाया। जानें पद्मश्री पाने वाली हल्तियों के बारे में...

4 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jan 26 2022, 11:43 AM IST| Updated : Jan 26 2022, 11:46 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
15

दुर्गा बाई व्योम (कला)
 मंडला जिले के बुरबासपुर में पैदा हुईं दुर्गाबाई व्योम (Durga Bai Vyom) की चित्रकारी की सर्वाधिक आकर्षक विशेषता कथा कहने की उनकी क्षमता है। जब वह छह साल की थीं, तभी से उन्‍होंने अपनी मां से डिगना की कला सीखी। यह शादी-विवाह और उत्‍सवों के मौकों पर घरों की दीवारों और फर्शों पर चित्रित की जाने वाली परंपरागत चित्रकारी है। दुर्गाबाई के चित्र गोंड प्रधान समुदाय के देवकुल पर आधारित हैं। वे लोककथाओं को भी चित्रित करती हैं। इसके लिए वह अपनी दादी की आभारी हैं जो उन्‍हें अनेक कहानियां कहती थीं।

25

राम सहाय पांडे (कला)
बुंदेलखंड के लोक कलाकार रामसहाय पांडे (ramshay pandey) जाने माने राई नर्तक हैं। उनका जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले के ग्राम मड़धार पठा में हुआ था। वे गरीब परिवार से थे। पिता की मौत के बाद वे कनेरादेव आ गए थे, तब से यहीं हैं। उनके 4 बेटे और 5 बेटियां हैं। राम सहाय बचपन में मेला देखने गए थे, जहां उन्होंने पहली बार राई नृत्य देखा। तभी से ठान लिया था कि वे भी राई करेंगे। जिसके बाद उन्होंने मृदंग बजाना शुरू किया, लेकिन बुंदेलखंड के सामाजिक नजरिए से राई नृत्य ब्राह्मण परिवारों के लिए अच्छा नहीं माना जाता था। एक तरह से वर्जित था। कई परेशानियों के बीच उन्होंने मृदंग बजाना और राई नृत्य सीख लिया। जिसके बाद वर्ष 1964 में आकाशवाणी भोपाल ने उन्हें मंच दिया। जहां पांडेय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण की उपस्थिति में राई की प्रस्तुति दी। तभी से उनके नृत्य और कला की सराहना शुरू हुई।

35

डॉ. एनपी मिश्रा (मेडिसिन)
मध्यप्रदेश में मेडिकल क्षेत्र में पितामह के रूप में पहचाने जाने वाले और भोपाल के मशहूर डॉक्टर एनपी मिश्रा (NP Mishra) को मरणोपरांत पद्मश्री से नवाजा जाएगा। डॉ. मिश्रा का पिछले साल 5 सितंबर को निधन हो गया था। डॉ. एनपी मिश्रा ने गांधी मेडिकल कॉलेज से MBBS की डिग्री ली और कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी बने। वे गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन भी रहे। भोपाल में वर्ष 1984 में हुई भीषण गैस त्रासदी के दौरान मरीजों क इलाज में उनकी बड़ी भूमिका थी। चिकित्सकों को भी यह जानकारी नहीं थी कि घातक मिथाइल आइसासाइनाइड गैस के दुष्‍प्रभाव इलाज कैसे करना है। तब उन्होंने अमेरिका और दूसरे देश के डॉक्टरों से बात कर गैस के बारे में इलाज पूछा था। वह लगातार 2 से 3 दिन तक बिना सोए वह मरीजों के इलाज में जुटे रहे।
 

45

अर्जुन सिंह धुर्वे (कला)
मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के रहने वाले अर्जुन सिंह धुर्वे (Arjun Singh Dhurve) बैगा लोक कला के ध्वजवाहक हैं। बैगा लोकगीत और नृत्य के लिए वे मशहूर हैं। पिछले चार दशकों से वे जनजातीय कला को लोकप्रिय बनने के काम में लगे हैं। वह मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री के सामने बैगा नृत्य कर चुके हैं। वे बैगा जनजाति समाज में स्नातकोत्तर करने वाले पहले शख्स हैं। प्रधान अध्यापक भी रह चुके हैं। 1993-94 में मप्र सरकार ने उन्हें तुलसी सम्मान से विभूषित किया। बैगा परधौनी नृत्य बैगा जनजाति का मुख्य नृत्य है। इसमें मोर, हाथी और घोड़ा आदि के मुखौटे में प्रस्तुति दी जाती है।

55

डॉ. अवध किशोर जड़िया (साहित्य एवं शिक्षा)
बुंदेली कवि अवध किशोर जाड़िया (Awadh Kishore Jadia) का जन्म हरपालपुर में 17 अगस्त, 1948 को हुआ था। उन्हें उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। हरपालपुर में शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने ग्वालियर से बीएएमएस की डिग्री ली। इसके बाद सरकारी सेवा में रहते हुए वे बुंदेली साहित्य को आगे बढ़ाने में लगातार लगे रहे। वंदनीय बुंदेलखंड, ऊधव शतक, कारे कन्हाई के कान लगी है और विराग माला प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं।

इसे भी पढ़ें-गरीबी में बीता बचपन लेकिन नहीं लड़खड़ाए पांव, कभी स्कूल भी न जाने वाली दुर्गाबाई को मिला Padma Shri पुरस्कार

इसे भी पढ़ें-Padma Awards: बुद्धदेव भट्टाचार्य ने Padma Bhushan सम्मान लेने से किया इनकार, कहा- मुझे नहीं बताया
 

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved