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कोरोना से ज्यादा खतरनाक यहां की अस्पताल: मरीज की निकाल दी ऑक्सीजन, पूरी रात तड़पा..सुबह हो गई मौत
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दरअसल, शिवपुरी जिला अस्पताल में भर्ती संक्रमित मरीज की इलाज के दौरान एक वार्ड बॉय ने ऑक्सीजन मशीन हटा दी। मरीज कई घंटों तक तड़पता रहा, कभी वह अपना सिर घुटनों में फंसाता तो कभी पलंग पर सिर पकटता। दर्द के चलते उसकी चीख भी नहीं निकल पा रही थी। वह मुंह को दबाकर ऑक्सीजन लेने की कोशिश करता रहा। करीब 9 घंट तक वह तड़ता रहा, लेकिन कहीं से ना तो कोई नर्स आई और ना ही कोई डॉक्टर आा। किसी तरह बेटे ने अपने लाचार पिता को आईसीयू में ले जाने की कोशिश की, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आखिर में बेटे के ही सामने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। बेबस बेटा भी सरकारी सिस्टम की लापरवाही के सामने सिर्फ रोते रहा, लेकिन कुछ कहने की हिमाकत नहीं कर पाया।
मामला यहीं पर खत्म नहीं हुआ, जब परिजनों ने हंगामे किया और मीडिया तक पहुंचा तो अस्पताल के अधीक्षक डॉ केबी वर्मा ने कुछ अलग ही सफाई दी। उन्होने कहा कि हमारे किसी स्टाफ ने मरीज की ऑक्सीजन नहीं हटाई है। उनकी हालत ज्यादा खराब हो चुकी थी। संक्रमण ज्यादा फैल चुका था, इसलिए उनको बचाने में हम कामयाब नहीं हो पाए। लेकिन डॉक्टरों और वार्ड बॉय की लापरवाही की यह पूरी घटना कोविड वार्ड में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। जिसे परिजनों ने बाद में रिकॉर्ड से निकलवाया तो सारी सच्चाई सामने आ गई।
सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर वार्ड बॉय मरीज की ऑक्सीजन हटाते हुए दिखा। तो मामले को संभालने के लिए मेडिकल कॉलेज के डीन ने आए और उन्होंने अलग ही बयान दिया। कहने लगे की मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं थी, इसलिए एक नर्स के कहने पर उनकी ऑक्सीजन निकाली गई। फिर क्या था एक ही स्टाफ के दिए अलग-अलग बयानों से मामला और भी संदिग्ध हो गया। इसके बाद प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित करने के आदेश दिए। इसके बाद खुद वा खुद सारी लापरवाही सामने आ गई।
बता दें कि यह दुखद कहानी पिछोर के दुर्गापुर के रहने वाले शिक्षक सुरेंद्र शर्मा की है। जिन्हें कोरोना संक्रमित होने के बाद दो दिन पहले शिवपुरी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज सुरेंद्र शर्मा का बेटा दीपक शर्मा इस दौरान मंगलवार रात करीब 11 बजे पिता की नींद लगने के बाद अपने घर चला गया। इसके कुछ देर बाद वार्ड बॉय पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दूसरे मरीज के लिए निकाल ले गया। जब सुरेंद्र शर्मा की नींद टूटी तो वह पूरी रात सिर पटकते रहे, लेकिन ऑक्सीजन नसीब नहीं हो पाई। उनके पास पूरी रात ना तो डॉक्टर आया और नहीं कोई अन्य स्टाफ।