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MP में जलसैलाब: 10 तस्वीरों में देखिए बारिश का भयावह मंजर..गांव डूबे तो पेड़ पर चढ़ने लगे लोग
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दरअसल, जलसैलाब ने सबसे बुरे हालात शिवपुरी और श्योपुर जिले के कर रखे हैं। जहां लोगों के लिए बारिश आफत बन गई है। नदियों के किनारे बसे गांव पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं। लोगों के घर बह गए हैं, आलम यह हो गया है कि पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचानी पड़ रही है। तो कई निचले इलाके वाले ग्रामीणों को पहाड़ पर चढ़े हुए हैं।
लगातार बारिश के चलते रेलवे ट्रैक डूब गए हैं। कई जगहों पर सड़क से संपर्क टूट गया है। सिंध नदी में बाढ़ आने से दतिया जिले के सेवढ़ा शहर सहित कई गांवों में बाढ़ आ गई है। इस बीच यहां के मणिखेड़ा बांध से पानी छोड़े जाने से जलस्तर बढ़ गया। इससे कई गांव डूब गए। सिंध नदी उफनने से दतिया जिले में स्थित प्रसिद्ध रतनगढ़ माता के मंदिर को जाने वाला पुल टूट गया। इसके अलावा इसी जिले में लांच-पिछोर का पुल भी ढह गया।
शिवपुरी-श्योपुर, ग्वालियर में बारिश और उफनती नदियों के चलते हालात खतरे में पहुंचने लगे हैं। बाढ़ में फंसे लोगों के लिए रेस्क्यू टीम दिन रात मेहनत करके बचाने में लगी हुई हैं। बचाव दल अभी तक नदियों के किनारे फंसे गांव से करीब 2000 हजार लोगों को बचा चुका है।
यह तस्वीर चंबल एरिया के सिंध नदी की है, जिसने भारी बारिश के बाद से इस तरह अपना रोद्र रूप धारण किया हुआ है। नदी के पानी के तेज बहाब के कारण सड़कों टूट गई हैं आसपास के सभी गांव टापू बन चुके हैं।
शिवपुरी में रेलवे ट्रैक पूरी तरह डूब गया। जिसके चलते ट्रेनें 15 घंटे तक खड़ी रही। बाढ़ की वजह से लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। बसों में पानी भर चुका है। लोग एक शहर से दूसरे शहर नहीं जा पा रहे हैं। पानी के कहर से लोगों की जिंदगी थम चुकी है।
यह तस्वीर शिवपुरी जिले की है जहां साफ तौर पर देख सकते हैं कि किस तरह से भगवान के मंदिर तक डूबने लगे हैं। एनडीआरएफ ने शिवपुरी के कोलारस में बाढ़ में फंसे करीब एक हजार लोगों को निकाला है। साथ ही यहां पर लोगों को बचाने के लिए तीन हेलिकॉप्टरों को लगाया गया है।
बारिश के कहर से लोगों के घर डूबने से वह सड़कों पर आ गए हैं। जिला प्रशासन उनको ऊंचे स्थानों पर बने सरकारी भवनों या स्कूलों में शरण दे रहा है। यह तस्वीर शिवपुरी की है, देख सकते हैं कि किस तरह से लोगों को रेस्क्यू कर जंगह में बैठाया गया है।
लोगों के घर आशियाने डूबने के बाद वह सड़क पर जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हो गए हैं। आप देख सकते हैं कि श्योपुर जिले के लोग ट्रॉली में सामन रखकर बीच सड़क पर इस तरह बैठे हुए हैं।