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दिल को छू जाएगी जांबाज महिला की कहानी, शादी के 40 दिन बाद शहीद हुए लेफ्टिनेंट पति..अब चली बदला लेने
रतलाम (मध्य प्रदेश). महिला त्याग-समर्पण और धैर्य की मूर्ति होती है। लेकिन समय आने पर वह दुर्गा का रुप धारण कर दुश्मनों का खात्मा करती है। ऐसी एक महिला मिसाल बनकर सामने आई है। जिसने शादी के 40 दिन बाद अपने हाथों की चूड़ियां तोड़कर बंदूक थाम ली। दुल्हन, प्रोफेसर और अब वो इंडियन आर्मी में ऑफिसर बनने जा रही है। जिसके लेफ्टिनेंट पति के शहीद होने के बाद ऐसा लगा कि अब सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन देश सेवा का जज्बा ऐसा कि अब वो खुद थल सेना का हिस्सा बनकर दिवंगत पति को सबसे प्यारा और अनूठा गिफ्ट देने जा रही हैं। पढ़िए दिल को छू देने वाली एक जबांज महिला की कहानी...
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं वीरांगना करुणा सिंह चौहान की, जिसकी शादी नेवी में लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान से पिछले साल 12 अप्रैल 2019 को हुई थी। पति के हाथ में मेहंदी लगाकर वह बहुत खुश थी, नए-नए सपने देखने लगी, जब शादी हुई तो ऐसा लगा कि उसे जिंदगी में सब कुछ मिल गया। लेकिन दुल्हन बने एक महीने ही हुए थे कि 26 अप्रैल को एक मनहूस खबर आई है कि पति INS विक्रमादित्य पर आग बुझाते हुए शहीद हो गए हैं। यह सुनते ही वह बेसुध हो गई और लगा कि अब इस जिंदगी में कुछ नहीं रखा है। लेकिन अपने जज्बे से उसने खुद अपनी एक अनोखी कहानी लिखी।
बता दें कि करुणा चौहान ने जिंदगी में वह सब हासिल कर लिया था जो एक महिला को चाहिए। पढ़ाई में मैकेनिकल में एमटेक किया। इसके बाद उनकी सरकारी नौकरी लग गई और वो आगरा के दयालबाग यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गईं। जब इतने बड़े अफसर से शादी हुई तो वह शादी के बाद बहुत खुश थी। लेकिन जब उसको हादसे की खबर मिली तो उसे यकीन नहीं हुआ कि शादी के सिर्फ 40 दिनों के बाद धर्मेंद्र को खो दिया था। जिस दौरान लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह शहीद हुए थे उस दौरान करुणा अपने ससुराल रतलाम में थी।
पति के शहीद होने के बाद करुणा टूटी नहीं और उसने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ इंडियन आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया। अब चेन्नई में 11 महीनों की ट्रेनिंग के बाद करुणा जनवरी माह में बतौर लेफ्टिनेंट भारतीय थल सेना का हिस्सा बन जाएंगी। उन्होंने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि सेना की वर्दी पहनना मेरी जिंदगी का सबसे खास पल है। सेना में जाकर देश सेवा करके मुझे लगेगा कि यह धर्मेंद्र को शादी का सबसे अच्छा तोहफा होगा। इसके अलावा वह दुश्मनों को मार गिराएगी, जिससे देश की शहीद पत्नियों का बदला पूरा हो सके।
करुणा की जिंदगी बचपन से ही दर्दभर रही है। जब वो ग्रेजुएशन कर रही थी तो उनके पिता गुजर गए। तब छोटा भाई 10वीं में था। ऐसे में पूरे परिवार की जम्मेदारी मेरे सिर पर आ गई। लेकिन में हारी नहीं और परिवार को वह सब दिया जो एक पिता करता है। जब धर्मेंद्र से शादी हुई तो मुझे लगा कि अब पिता की कमी पूरी हो जाएगी। कोई तो मेरा ख्याल रखेगा। लेकिन वह भी एक सपना था जो 40 दिन में टूट गया।
बता दें कि शहीद लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान का परिवार मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में रहता है। शहीद माता-पिता के इकलौते संतान थे। उन्होंने अपने माता-पिता के लिए शादी से कुछ दिन पहले नया घर बनवाया था। जिसमें उनकी मां टमा कुंवर के साथ अन्य परिवार के लोग रहते हैं।
शहीद की पत्नी करुणा चौहान ने बताया कि सेना में नियम है कि शहीद अधिकारियों की पत्नियों को सेना सीधे एसएसबी इंटरव्यू के लिए बुलाती है। ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद उनको पोस्टिंग मिलती है। करुणा ने कहा कि मुझे मेरी योग्गता के अनुसार सेना ने सितंबर में एसएसबी भोपाल में पहली बार इंटरव्यू के लिए बुलाया था। लेकिन वहां वर चयन नहीं हुआ। इसके बाद मैं 27 अक्टूबर को फिर से इंटरव्यू के लिए उपस्थित हुई और सभी चीजों को पार करते हुए सिलेक्ट हो गई। (शहीद की अंतिम यात्रा की फोटो)