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सीधी बस हादसे की पूरी कहानी: 32 सीट मे भरे 55 यात्री, ड्राइवर ही नहीं मालिक की भी गलती..51 की मौत
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दरअसल, दुर्घटनाग्रस्त बस 32 सीटर थी, लेकिन ड्राइवर और कंडक्टर ने बस की क्षमता से दो गुना यात्रियों को बैठा लिया था। बताया जाता है कि बस को अपने तय समय से सुबह 5 बजे निकलना था, लेकिन ड्राइवर बालेंद विश्वकर्मा ने मालिक के कहने पर दो घंटे पहले ही 3 बजे ही रवाना कर दिया था। ज्यादातर यात्री युवा थे जो रेलवे की परीक्षा देने के लिए सतना जा रहे थे। लेकिन उनको क्या पता था कि आगे मौत उनका इंतजार कर रही है। फिर आगे ट्रैफिक जाम होने के कारण ड्राइवर ने रास्ता बदल लिया और 7 किमी नए रूट पर संकरी सड़क पर गाड़ी को दौड़ाने लगा। रास्ते में किसी ने उससे साइड भी मांगी, लेकिन वह रफ्तार में दौड़ाता रहा, फिर रामपुर के नैकिन इलाके में पटना पुल के पास सुबह करीब साढ़े सात बजे के आसपास बस नहर में जा गिरी।
बस के गिरते ही देखते ही देखते वह गहराई होने के चलते पानी में डूब गई। नदी का बहाव इतना तेज था कि यात्रियों को संभलने का तक का मौका नहीं मिला। बस के नहर में गिरते ही ड्राइवर बालेंद विश्वकर्मा ने तैरकर अपनी जान बचा ली। हादसे का जिम्मेदार ड्राइवर मूल रुप से रीवा जिले के हरदुया सेमरिया गांव का रहने वाला है। बताया जाता है कि आए दिन वह बस की क्षमता से ज्यादा यात्रियों को बैठाकर बस चलाता था। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी मालिक को नहीं थी, लेकिन ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में उसने भी इसको अनदेखा कर दिया। अब उनकी इन गलतियों की वजह से 45 जिंदगियां खत्म हो गईं।
जल्दी पहुंचनने के चक्कर में बस ड्राइवर ने अपना रूट बदल लिया था। जबकि इस रूट पर बस को चलने की परमिशन ही नहीं थी। इस मामले पर यहां से पूर्व लोकसभा प्रत्याशी शशांक सिंह ने कहा कि बस की परमिशन नहीं थी फिर भी वग दौड़ रही थी। यह लापरवाही मालिक-ड्राइवर के साथ साथ सतना RTO की भी है। सतना RTO को तत्काल सस्पेंड कर देना चाहिए। हालांकि, प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को इस हादसे की जांच के साथ परमिट रद्द कर करने के आदेश दे दिए हैं।
बता दें कि यह जबलानाथ परिहार ट्रेवल्स की थी, जिसका बस क्रमांक Mp19p 1882 है। बस के मालिक कमलेश्वर सिंह हैं। जांच में सामने आया है कि बस की फिटनेस 2-5-21 तक है और वहीं बस का परमिट 12-5-25 तक का है। क्षमता से ज्यादा यात्रियों को बैठाने की जानकारी बस मालिक कमलेश्वर सिंह पहले से थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया।