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कितना भयावह था सीधी हादसा, बेटी के सामने मां डूब गई तो दादा की उंगली थामे पोता बह गया..जो बचा वो चमत्कार
सीधी (मध्य प्रदेश). सीधी में बस डूबने से जो भयावह हदासा हुआ है वो सच में मंगलवार का दिन अमंगल साबित हो गया। कैसे एक ड्राइवर की जल्दबाजी में 51 लोग मौत के मुंह में समा गए। शासन-प्रशासन भले ही इस भयानक मंजर को भूल जाए, लेकिन उनका क्या हो गा जिनके अपने बीच सफर में ही साथ छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए चले गए। नहर में डूबी बस तो बाहर आ गई, लेकिन उसने कई परिवारों को जिंदगीभर का गहरा जख्म दिया है। शायद अपनों को खोने का जख्म कभी नहीं भरेगा। क्योंकि मरने वाले अधिकतर युवा थे, जिनके लिए बूढ़े मां-बाप ने कई सपने देखे थे, लेकिन वह पानी की लहरों में बह गए। हादसे का पल इतना हैरान कर देने वाला था कि मां के सामने बेटी डूब गई तो दादा की ऊंगली थामे-थामे पोता मौत मुंह में समा गया। पढ़िए जिंदा बचे लोगों की जुबनी...
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इस हादसे में जो जिंदा बचा है वह किसी चमत्कर से कम नहीं है। मौत के मुंह से जिंद बचकर आई एक स्वर्णलता द्विवेदी (24) ने जब हादसे की आपबीती सुनाई तो हर किसी की आंखों में आंसू आ गए। स्वर्णलता कहा कि उसका मंगलवार को नर्सिंग की परीक्षा थी, सुबह 7 बजे में अपनी मां के साथ बस में सवार हुई। मां को आगे वाली सीट पर बैठा दिया था। जबकि मैं भीड़ होने के कारण दरवाजे के पास खड़ी हो गई। बस इतनी भरी थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था और ड्राइवर तेज रफ्तार में बस को दौडाए जा रहा था। मैं ही नहीं की कई यात्री ड्राइवर को बस धीमे चलाने की बोल रहे थे, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी।
स्वर्णलता ने बताया कि अचानक नहर किनारे जाते ही बस को जोर का झटका लगा। बस दो से तीन पलटी खाते हुए नहर में गिर गई। में दरवाजे पर खड़ी थी, इसलिए बस की पलटी खाने की वजह से पहले ही उछलकर पानी में गिर गई। मुझे तैरान आता था, इसलिए तैरकर किनारे लग गई। लेकिन मेरी आंखों के सामने मां (विमला देवी) डूब गई और मैं चीखने के अलावा कुछ नहीं कर सकी। इतना भयानक एक्सीडेंट में पूरी जिंदगी नहीं भूल पाऊंगी। उस पल को याद कर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। (स्वर्णलता द्विवेदी)
इस हादसे के ऐसी ही एक शख्स हैं 60 साल के सुरेश गुप्ता जो इस भयानक हादसे में जिंद बच गए। लेकिन उनकी आंखों के सामने उनकादो वर्षीय पोता अथर्व और बहू पिंकी (24 डूबकर मर गए। सुरेश जिंदा बचने के बाद भी बिलख रहे हैं, वह बार-बार यही कह रहे हैं कि मैं मर जाता, लेकिन मेरा पोता और बूह तो बच जाती।
(सुरेश गुप्ता की बहू पिंकी गुप्ता)
सुरेश गु्प्ता ने बताया कि वह किसी तरह बस की खिड़की से कूदे और कुछ समय तक हाथ-पैर मारते रहे। फिर मुझे फड़फड़ाते देख किनारे खड़ी एक शिवरानी लुनिया नाम की बच्ची ने छलांग लगा दी। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक पत्थर पर बैठा दिया। फिर किसी तरह रस्सी के सहारे मुझे बाहर निकाल लिया।(सुरेश गुप्ता )
इस भयानक हदासे का शिकार मासूम अथर्व भी नहीं बच सका, अब उसकी मुस्कुराहट हमेशा के लिए पानी की लहरों में खमाोश हो गई।
मौत का मंजर इतना भयानक था कि महिला विभा अपने एक साल छोटे भाई दीपेश का हाथ पकड़े हुए बैठी हुई थी। लेकिन पानी के तेज बहाव में भाई का हाथ छूट गया और वह डूब गया, जबकि विभा जिंदा बचकर लौट आई।
सीधी बस हादसे में बहने वाला दीपेश जो बहन के हाथ थामे थामे मौत के मुंह में समा गया। जबकि उसकी बहन विभा जिंदा बच गई।