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- 5 साल बाद पाकिस्तान जेल से छूट घर लौटा बेटा, देखने उमड़ा पूरा गांव..मां ने आरती उतार कराया गृहप्रवेश
5 साल बाद पाकिस्तान जेल से छूट घर लौटा बेटा, देखने उमड़ा पूरा गांव..मां ने आरती उतार कराया गृहप्रवेश
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अनिल ने सबसे पहले पैर छूकर अपने दादा का आशीर्वाद लिया। पोते को देख बुजुर्ग की आंखें डबडबा गईं और कांपते हाथ सिर पर रख बोला-मुझे लगता था कि में तुझे देखे ही मर जाऊंगा। यह भावुक सीन देख पुलिसवालों और गांव के सभी लोगों की आंखे नम हो गईं।
दरअसल, छदहाई गांव का रहने वाला अनिल साकेत 3 जनवरी 2015 को अचानक घर से लापता हो गया था। परिजन अपने लापता बेटे की खोज करते रहे, कई बार थाने गए, पुलिस ने भी युवक को खोजने की काफी कोशिश की, लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चला। इस तरह माता पिता और युवक की पत्नी को खोजते-खोजते 3 साल गुजर गए, उसके लौटने की आस छोड़ दी थी। फिर साल 2019 में खबर मिली कि अनिल पाकिस्तान जेल में बंद है।
पुलिस को युवक के परिजनों ने बताया था कि उनका बेटा अनिल मानसिक रूप से कमजोर था, कभी वह अपने घर का रास्ता भूल जाता था। इसलिए आशंका है कि भटकते-भटकते वह देश की सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया होगा। उसकी दिमागी हालत की जानकारी पाकिस्तान को दी गई थी। जिसके बाद उसे वापस भेजने की तैयारी की।
बता दें कि अनिल की शादी हो चुकी थी, पत्नी ने तीन साल तक उसके लौटने ता इंतजार किया। लेकिन एक दिन उसने भी उसके वापस आने की उम्मीद छोड़ दी थी। इसलिए महिला ने उसे मृत समझकर अपने मायके चली गई और परिवार ने उसकी दूसरी शादी कर दी।
घर के सभी लोगों ने उसके वापस लौटने की आशा छोड़ दी थी। लेकिन अनिल की मां हर वक्त अपने बेटे का लौटने का रोज इंतजार करती थीं। वह दरवाजे पर इस इंतजार में बैठतीं कि कभी ना कभी उसका बेटा घर लौट आएगा। महिला जब कभी अपने गांव से बाहर जाती है तो बेटे की फोटो साथ ले जाती है और लोगों को तस्वीर दिखाकर उसके बारे में पूछने लगती थी।
जून 2019 में भारत सरकार के विदेश विभाग मंत्रालय ने रीवा पुलिस को एक चिट्टी भेजी। जिसमें अनिल साकेत के 3 साल से लाहौर जेल में बंद होने की खबर थी और उसके बारे में जानकारी मांगी गई थी। जिसके बाद युवक की जानकारी पाकिस्तान को दी गई और उसके भारत लाने की कवायद तेज कर दी गई।
बता दें कि रीवा और प्रदेश के सांसदों ने यह मुद्दा संसद पहुंचाया था। जिसके चलते 14 सितंबर 2020 को पाकिस्तान सरकार ने अनिल साकेत सहित जेल में बंद तकरीबन 111 कैदियों को रिहा कर दिया गया।
अपने बेटे के स्वागत के लिए पूजा की थाली सजाकर लाई मां और आरती उतार तिलका लगाकर उसका गृहप्रवेश कराया।