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95% लंग्स खराब..80 दिन ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहीं, डॉक्टरों ने छोड़ा साथ..फिर भी कोरोना को हराकर लौंटी घर
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दरअसल, इस भयानक महामारी को मात देने वाली बहादुर महिला 62 वर्षीय उषा निगम हैं। जो कि उज्जैन जिला सहकारी बैंक से मैनेजर से रिटायर्ड हुईं हैं। उन्होंने अपने मजबूत इरादे और सकारात्मक सोच से यह जंग जीत ली है। उषा निगम की करीब 7 महीने पहले 20 अक्टूबर 2020 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्हें परजिनों ने माधवनगर अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया। जब डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उनके लंग्स में इंफेक्शन इतना बढ़ गया है कि वह जीरो पहुंच गया है। ICU में भर्ती करना पड़ा, इसके बाद उनको रेमडेसिविर के 6 इंजेक्शन लगाए गए। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है।
बिगड़ती हालत के बीच परिजनों ने उषा निगम को 29 अक्टूबर को इंदौर अरविंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन यहां भी कोई सुधार नहीं हुआ उनके लंग्स में और ज्यादा इंफेक्शन बढ़ गया। डॉक्टर कहने लगे कि अब उनका ठीक होना मुश्किल, वह अब नहीं बच पाएंगी। लेकिन मरीज के बेटे और बहू निराश नहीं हुए, वह रोजाना PPE किट पहनकर अस्पताल मिलने आते रहे। दोनों ने डॉक्टरों से कहा कि आप तो बस इलाज करो, जो होगा वह भगवान करेंगे। हैरानी की बात यह थी कि उषा जी के चेहरे पर मु्स्कान हमेशा रहती थी। उन्हें देखकर नहीं लगता था कि वह इतनी गंभीर हालात से जूझ रही हैं।
अरविंदो अस्पताल के डॉक्टरों ने फिर से जांच की तो दूसरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। इस बीच उषा निगम को रेमडेसिविर के 5 इंजेक्शन का डोज फिर लगा। लेकिन कोई सुधार नहीं, प्लाज्मा चढ़ा, 40-40 हजार के दो इंजेक्शन फिर लगे। सीटी स्कैन किया तो पता चला कि लंग्स में इंफेक्शन बढ़कर 95 प्रतिशत हो गया है। डॉक्टर परिजनों से कहने लगे कि अब मरीज के पास समय बहुत कम है आप लोग घर ले जाकर सेवा कीजिए। हालांकि तीसरी रिपोर्ट निगेटिव थी। परिवार वाले उनको डिस्चार्ज कराकर 2 दिसंबर को घर लेकर आ गए। घर पर ही उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट में होम आइसोलेशन में रखा गया। इस दौरान डॉक्टर उन्हें जांच के लिए आते रहते थे।
बेटा-बहू मिलकर उषा जी की दिन रात सेवा करते। अपने हाथ से हाथों से खाना खिलाते, ब्रश कराया, कपड़े बदले। वह अक्सर कहते कि मम्मी आप जल्द ही ठीक हो जाएंगे। उनके सामने ऐसा व्यवहार करते जैसा कि घर में कोई बीमार है ही नहीं। हंसते-मुस्कुराते और बहुत सारी बांते करते। ताकि किसी तरह मरीज का आत्मविश्वास बना रहे। परिवार वालों ने खूब हौसला बढ़ाया। फिजियोथैरेपी की मदद से उठना-बैठना चलना शुरू करवाया। 20 फरवरी 2021 के बाद से वह धीरे-धीरे चलने-फिरने लगीं। अब वह बिलकुल स्वस्थ हैं और अपना काम स्वयं कर लेती हैं।
कोरोना से जंग जीतने के बाद उषा निगम ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव होने पर डरे नहीं, बल्कि अपना हौसला दिखाते हुए महामारी का डटकर सामना करना चाहिए। साथ ही कहा कि ऐसी मुश्किल घड़ी में मनोबल बनाए रखने के लिए परिवार का साथ सबसे ज़्यादा जरुरूी है। वह आपके साथ होना चाहिए, तो आप बड़ी से बड़ी जंग जीत सकते हैं। उषा जी का कहना है कि वह अपने परिवार और माधवनगर अस्पताल के डॉक्टरों डॉ एच पी सोनानिया और इंदौर के डॉ रवि डोसी की वजह से जिंदा हूं। जिन्होंने आखिर दम तक मेरा साथ दिया। बेटा-बहू ने मुझे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए। साथ ही मेरी खुद की विल पावर ने भी साथ दिया। जब उषा जी ठीक हुईं तो परिवार ने घर में जन्मदिन-शादी की सालगिरह की तरह उनके सामने खुशी को सेलिब्रेट किया।