- Home
- States
- Madhya Pradesh
- गुस्से में बदली पेट की आग, गांववालों ने इंजीनियर, सरपंच आदि को पेड़ से बांधकर सुनाई खरी-खरी
गुस्से में बदली पेट की आग, गांववालों ने इंजीनियर, सरपंच आदि को पेड़ से बांधकर सुनाई खरी-खरी
मंडला, मध्य प्रदेश. यह तस्वीर मजदूरों के गुस्से को दिखाती है। मजदूरी न मिलने से आक्रोशित हुए गांववालों ने इंजीनियर, सरपंच, सहायक सचिव और सुपरवाइजर को पकड़कर पेड़ से बांध दिया। गांववालों का कहना था कि इन्हें महसूस करना चाहिए कि वे कितने परेशान हैं। हालांकि बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने गांववालों को समझाया। तब कहीं, सबको छुड़ाया जा सका। मामला मंडला जिले की निवास जनपद के ग्राम पंचायत भीखमपुर का है। यहां मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को पैसा नहीं मिला था। इससे वे नाराज थे। गांववालों ने खुद इसका वीडियो बनाकर वायरल किया, ताकि प्रशासन तक उनकी बात पहुंचे। जानकारी एसडीएम के जरिये निवास थाना प्रभारी जयवंत सिंह को मिली। इसके बाद वे गांव पहुंचे।
- FB
- TW
- Linkdin
भीखमपुर में खेत में मनरेगा के तहत काम चल रहा था। बुधवार सुबह इंजीनियर मूल्यांकन करने पहुंचे थे। चूंकि मजदूरों से जितने दिनों तक काम कराया जाना था, वो अवधि पूरी हो गई थी। इसलिए इंजीनियर ने काम रोकने को कहा। इस पर विवाद हो गया। वहीं, पुराने भुगतान को लेकर भी मजदूर नाराज थे।
आगे देखें लॉकडाउन में मजूदरों की मार्मिक तस्वीरें
यह तस्वीर मप्र के बालाघाट की है। यह मजदूर परिवार हैदराबाद से 800 किमी का सफर करके जब मप्र के बालाघाट अपने गांव पहुंचा, तो रास्ते में उसे देखकर पुलिसवाले भावुक होकर रो पड़े। बच्ची की मां गर्भवती है। वो भी पैदल चल रही थी। बेटी को पैदल न चलना पड़े और अगर उसे लादकर चलते, तो भी इतना लंबा सफर तय करना आसान नहीं था। लिहाजा, मजबूर पिता ने दिमाग दौड़ाया और बाल बियरिंग के जरिये लकड़ी की एक गाड़ी बना ली। उस पर बच्ची बैठाया..सामान को रखा और चल पड़ा। आगे पढ़ें बैलगाड़ी में जुता आदमी...
यह तस्वीर मप्र के इंदौर में बायपास रोड पर दिखने को मिली। यह शख्स है राहुल। कुछ समय पहले यह और उसके भाई-भाभी मजदूरी करने इंदौर आ गए थे। सभी हम्माली करते थे, लेकिन लॉकडाउन में काम-धंधा सब बंद हो गया। जब खाने के लाले पड़े, तो अपना 15 हजार की कीमत का बैल सिर्फ 5000 रुपए में बेचना पड़ा। इसके बाद घर वापसी में वो एक बैल के साथ खुद गाड़ी में जुत गया। आगे पढ़ें रिक्शे पर पूरा परिवार...
यह तस्वीर झारखंड के देवघर में देखने को मिली। मूलत: पश्चिम बंगाल के रहने वाले गणेश दिल्ली में काम करते थे। काम-धंधा बंद हुआ, तो भूखों मरने की नौबत आ गई। लिहाजा, उन्होंने 5000 रुपए में पुराना रिक्शा खरीदा और अपने घर को निकल पड़े। रिक्शे पर उनकी पत्नी और साढ़े तीन साल की बच्ची बैठी थी। करीब 1350 किमी रिक्शा खींचकर वे देवघर पहुंचे, तो यहां कम्यूनिटी किचन में सबने खाना खाया। इसके बाद आगे निकल गए। आगे पढ़िये 6 दिन पैदल चली गर्भवती...
यह तस्वीर राजस्थान के डूंगरपुर में सामने आई थी। घर जाने के लिए न तो पैसा था और न ही साधन। लिहाजा, यह फैमिली पैदल ही अपने घर को निकल पड़ी। महिला को मालूम था कि वो 9 महीने की गर्भवती है, लेकिन वो बेबस थी। उसके साथ 2 साल की लड़की और 1 साल का लड़का भी था। डूंगपुर में यानी 200 किमी का सफर करने के बाद एक चौकी पर पुलिसवालों को इन पर दया आई। यहां उन्हें खाना खिलाया गया और फिर एम्बुलेंस की व्यवस्था करके उन्हें घर पहुंचा गया। यह दम्पती 6 दिन पहले अहमदाबाद से मप्र के रतलाम जिले के सैलाना के गांव कूपडा गांव के लिए निकले थे। आगे देखिए लॉकडाउन में फंसे लोगों की पीड़ा दिखातीं तस्वीरें
यह तस्वीर लखनऊ की है। अपने बीमार पति को साइकिल पर हॉस्पिटल ले जाती बेबस पत्नी।
यह तस्वीर नोएडा की है। एक मजदूर अपने बच्चों को साइकिल पर बैठाकर घर की ओर जाता हुआ।
घर वापसी के लिए साधन के इंतजार में बैठी एक महिला।
यह तस्वीर गुरुग्राम की है। पैदल घर जाते मजदूरों का सब्र कभी-कभार जवाब दे जाता है।