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IAS बनी दुल्हन, इस अफसर के साथ रचाई शादी, पिता से नहीं कराया कन्यादान, वजह ऐसी कि सबका दिल छू जाए
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नरसिंहपुर (Narsinghpur) जिले के करेली इलाके में छोटा सा गांव जोबा (Joba) है। यहां दो दिन पहले हुई एक शादी चर्चा में है। उसके दो बड़े कारण है। पहला, शादी में कन्यादान नहीं हुआ, बल्कि जब कन्यादान रस्म की बारी आई तो दुल्हन ने अपने मन की बात कहकर हर किसी को गर्वित कर दिया।
ये शादी थी 2018 बैच की मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी तपस्या परिहार (Tapasya Parihar) की। तपस्या ने आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार ( Garvit Gangwar) के साथ शादी की है। गुरुवार को जोवा गांव में इस शादी का रिसेप्शन हुआ है। इसमें दोनों पक्षों के रिश्तेदार और परिचित शामिल हुए।
शादी के दौरान तपस्या ने अपने पिता से ये कहकर कन्यादान की रस्म करवाने से इंकार कर दिया कि मैं तो आपकी बेटी हूं और हमेशा रहूंगी। बेटी की ये बात सुनकर हर कोई खुश हो गया। तपस्या का बचपन ज्वॉइंट फैमिली में बहुत लाड़-प्यार में बीता। परिवारवालों का कहना था कि बेटी हमेशा पूरे परिवार से प्यार करती आई है। घरवालों को खुशी रखती है। उसकी खुशी ही हमारी खुशी होती है।
22 नवंबर 1992 को जन्मीं तपस्या सामान्य परिवार से हैं। पिता विश्वास परिहार किसान हैं और मां ज्योति परिहार सरपंच। तपस्या बचपन से ही पढ़ने में होशियार थीं। उनकी स्कूलिंग सेंट्रल स्कूल से हुई और उन्होंने 10वीं और 12वीं दोनों में अपने स्कूल में टॉप किया।
साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा में तपस्या की 23वीं रैंक आई थी। तपस्या का कहना है कि मैं पूरे परिवार के साथ रहती हूं। खासतौर पर पापा मेरे काफी करीब हैं। तपस्या ने बताया कि गर्वित गंगवार के रूप में उन्हें एक ऐसा परिवार मिला, जिन्हें मेरी ये बातें सही लगती हैं। एक बार और भी है कि हमेशा लड़कियों से ही सवाल होते हैं, लड़कों से क्यों नहीं? इसलिए कई चीजें ऐसी हैं जो ठीक नहीं लगती हैं।
तपस्या बताती हैं कि मसूरी (उत्तराखंड) में ट्रेनिंग के दौरान गर्वित से उनकी मुलाकात हुई। विचार एक जैसे और स्वतंत्र थे। गर्वित गंगवार पहले तमिलनाडु कैडर के आईएफएस रहे। नवंबर में उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिल गया। कैडर ट्रांसफर के लिए तपस्या और गर्वित ने जुलाई में कोर्ट मैरिज की थी। अब पारंपरिक तरीके से विवाह कार्यक्रम हो गया।
दोनों अफसरों तपस्या और गर्वित ने शादी के कार्ड में अपनी अखिल भारतीय सेवा का जिक्र नहीं किया है। दोनों इसे भी ठीक नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि ये सब बताने और दिखाने की बात नहीं है।
तपस्या कहती हैं कि शादी के बाद बहू को मंगल सूत्र पहनाना पड़ता है। मांग भी भरनी पड़ती है। सिर्फ इसलिए क्योंकि बेटे की आयु बढ़े, सरनाम बदले भी तो हमारा। सिर्फ एक व्यक्ति के लिए दूसरा ही त्याग करता रहे। मुझे ये चीजें शुरू से पसंद नहीं रहीं।
तपस्या ने कहा कि इसलिए जब शादी में कन्यादान की रस्म आई तो मैंने मना कर दिया था। मैंने पिताजी से कहा कि मैं दान करने की चीज नहीं हूं। जब दो परिवार एक हो रहे हैं और दो लोग एक रिश्ते में बंध रहे हैं तो ऐसे में दान की कोई बात ही नहीं आनी चाहिए।